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UP Election 2022 : कल्याण सिंह से अमर सिंह तक...यूपी चुनाव 2022 में इस बार नहीं दिखेंगे ये दिग्गज नेता

Janjwar Desk
11 Jan 2022 6:55 AM GMT
UP Election 2022 : कल्याण सिंह से अमर सिंह तक...यूपी चुनाव 2022 में इस बार नहीं दिखेंगे ये दिग्गज नेता
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यूपी चुनाव 2022 में इस बार नहीं दिखेंगे ये दिग्गज नेता

UP Election 2022 : इस बार के विधानसभा चुनाव में कई दिग्गज चेहरे नजर नहीं आएंगे....

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों (UP Assembly Election 2022) की तैयारियां जोरों पर हैं। राजनीतिक दल जी-जान से अपने-अपने प्रचार में जुटे हैं। चुनाव आयोग (ECI) 8 जनवरी को मतदान की तारीखों का ऐलान कर चुका है जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश सात चरणों में मतदान होना है। 10 मार्च को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे लेकिन इन चुनावों से कई ऐसे चेहरे गायब रहेंगे जिनका कभी प्रदेश की राजनीति में दबदबा रहा करता था। पिछले विधानसभा चुनाव (2017) में इन नेताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी। आइए इनके बारे में जानते हैं-

कल्याण सिंह

कल्याणा सिंह (Kalyan SIngh) का जन्म 5 जनवरी 1932 को अतरौली में हुआ था। वह भाजपा के हिंदुत्व (Hindutva) के बड़े चेहरों में एक थे। कल्याण सिंह का उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम रहा है। साल 1992 में जब बाबरी विध्वंस हुआ था तब कल्याण सिंह ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। बाबरी कांड (Babri Demolition Case) होने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन कारसेवकों पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। उनके इस फैसले उनकी छविक एक बड़े हिंदुवादी नेता के रूप में स्थापित हुई। कल्याण सिंह ने साल 2017 के चुनाव में बड़ी भूमिका निभाई थी। इस चुनाव में भाजपा को यह चेहरा खल रहा है। कल्याण सिंह का 21 अगस्त 2021 को निधन हुआ। उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी समेत तमाम भाजपा के नेताओं ने श्रद्धांजलि दी थी। उनके निधन पर विपक्ष की ओर से श्रद्धांजलि नहीं देने का मामला भाजपा के नेता उठाते रहे हैं। चुनावी सभाओं में उन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री अमित शाह 'बाबूजी' कहकर याद कर रहे हैं।

बेनी प्रसाद वर्मा

इन विधानसभा चुनावों में बेनी प्रसाद वर्मा (Beni Prasad Verma) भी नजर नहीं आएंगे। 11 फरवरी 1941 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी (Barabanki) में जन्मे बेनी को दोस्तों का दोस्त माना जाता था। उन्होंने दल बदले लेकिन कभी दिल नहीं बदल पाए। उनके प्रति समाजवादी पार्टी के संरक्षण मुलायम सिंह यादव के मन में ऐसा भाव था जिसने उन्हें कभी दिल नहीं बदलने दिया। मुलायम सिंह यादव और अजीत सिंह के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर छिड़ी जंग में उनका नाम लाया गया था लेकिन उन्होंने दोस्तों के लिए पद लेने से इनकार कर दिया। मुलायम सिंह यादव से टकराव हुआ तो राष्ट्रीय क्रांति बनाया। इसके बाद कांग्रेस में शामिल हुए और फिर सपा में आ गए। मुलायम और बेनी की दोस्ती ऐसी रही कि वह मुलायम के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल पाए। पार्टी में वापस आने पर उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया। 27 मार्च 2020 को उनका निधन हो गया।

चेतन चौहान

चेतन चौहान (Chetan Chauhan) का जन्म 21 जुलाई 1947 को उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था। उनका पूरा नाम चेतन प्रताप सिंह चौहान था। क्रिकेटर से राजनीति की पिच का सफर उन्होंने भाजपा के जरिए किय़ा और साल 1991 में अमरोहा से चुनाव लड़ा और वे सांसद चुने गए। इसके बाद भाजपा ने 1996 में एक बार उन्हें चुनावी मैदान में उतारा लेकिन वो हार गए। हालांकि 1998 में चेतन एक बार फिर सांसद चुने गए। साल 1999 और साल 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का साना करना पड़ा। योगी सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया। क्रिकेट की पिच पर 1970 के दशक में चेतन चौहान सुनील गावस्कर के साथ ओपनर हुआ करते थे। चेतन ने चालीस टेस्ट मैचों में 2084 रन बनाए और उनका सर्वाधिक स्कोर 97 रहा। 16 अगस्त 2020 को कोरोना संक्रमण के कारण उनका निधन हो गया।

कमला रानी

कमला रानी का जन्म लखनऊ में 3 मई 1958 को हुआ था। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत वर्ष 1977 के चुनाव बूथ पर पर्ची काटने से की थी। साल 1989 में भाजपा ने उन्हें द्वारिकापुरी वार्ड से कानपुर पार्षद का टिकट दिया। चुनाव जीतकर कमला रानी साल 1995 में दोबारा उसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुईं। साल 1996 में भाजपा ने उन्हें घाटमपुर संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतारा। इसमें कमला रानी ने अप्रत्याशित जीत हासिल की। साल 1998 में उसी सीट पर दोबारा जीत हासिल की। इसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 585 मतों से बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल संखवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 2012 में कानपुर देहात के रसूलाबद से भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि साल 2017 में घाटमपुर सीट से जीत दर्ज कर वह विधानसभा पहुंची और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं। 2 अगस्त को कोरोना संक्रमण से उनका निधन हो गया।

अमर सिंह

अमर सिंह (Amar Singh) का जन्म 27 जनवरी 1956 को अलीगढ़ में हुआ था। वह समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के दाहिने हाथ माने जाते थे। लेकिन मुलायम से उनका रिश्ता बाद में बनता-बिगड़ता रहा। उद्योगपति से राजनेता बने अमर सिंह की यूपी के कद्दावर नेता के रूप में पहचान थी। वह समाजवादी पार्टी के महासचिव भी रहे। बाद में अखिलेश से नाराजगी को लेकर भी खूब चर्चा में रहे। साल 2008 में सदन में नोटों की गड्डी लहराकर उन्होंने जबरदस्त विवाद खड़ा किया। उन्होंने मनमोहन सरकार पर वोट खरीदने का आरोप लगाया था। फिल्म अभिनेता संजय दत्त और जया प्रदा को सपा में लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। साल 2010 में उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद मुलायम सिंह ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। साल 2011 में वे कुछ समय के लिए जेल भी गए। इसके बाद राजनीति से सन्यास ले लिया। साल 2016 में उन्होंने वापस राज्यसभा सदस्य के रूप में राजनीति में वापसी की थी। 1 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया।

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