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Uttarakhand Election 2022 : पुराने संघी पर भरोसा करके इस तरह गच्चा खा गए कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत
Uttarakhand Election 2022 : संघ कार्यकर्ताओं की फितरत से अनभिज्ञ कांग्रेस दिग्गज नेता हरीश रावत (Harish Rawat) उम्र के इस दौर में ऐसा गच्चा खा गए जिससे उनकी राजनैतिक समझदारी ही सवालों के घेरे में आ गई। कुछ दिन पहले संघ के एक चर्चित नेता को कांग्रेस में शामिल कर उसे बूथ मैनेजमेंट के सर्वे-सर्वा बनाने वाले हरीश रावत को संघ पृष्ठभूमि के इस नेता ने ऐन चुनाव के समय ही पलटी मारते हुए एक बार फिर अपनी स्वभाविक भारतीय जनता पार्टी की शरण ले ली है। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस (Congress) में ही दूसरे खेमे के लोग रावत की चुटकी लेने में लग गए हैं।
दरअसल कुछ अरसा पहले ही कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बूथ प्रबंधन पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हुए आरआरएस प्रचारक रहे व विहिप नेता राजकिशोर (Raj Kishor) को कांग्रेस पार्टी में शामिल किया था। हरीश रावत ने इसकी बड़े गर्व से घोषणा करते हुए राजकिशोर को कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान में बूथ मैनेजमेंट सलाहकार की जिम्मेदारी सौंपी थी।
इन राजकिशोर की ब्रांडिंग करते हुए बताया गया था कि इन्हें बूथ मैनेजमेंट में महारत हासिल है। खुद भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह ने इन्हें 2017 के विधानसभा तथा 2019 के लोकसभा चुनाव के सर्वश्रेष्ठ बूथ मैनेजमेंट प्रबंधक का तमगा भी दे चुके हैं। उस समय राजकिशोर को लेकर खुद हरीश रावत ऐसे आल्हादित थे कि राजकिशोर के कांग्रेस जॉइन करने और उनकी बूथ मैनेजमेंट में नियुक्ति करने की जानकारी खुद हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया पर दी थी।
अब इन्हीं राजकिशोर के मामले में नया राजनैतिक अपडेट यह है कि वह हरीश रावत को गच्चा देकर अपनी जड़ों की ओर वापस हो लिए हैं।
भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी मनवर सिंह चौहान ने राजकिशोर द्वारा भाजपा जॉइन करने की सूचना दी है। भारतीय जनता पार्टी मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष श्री मदन कौशिक के निर्देशानुसार राजकिशोर को पार्टी में शामिल करने के बाद भाजपा प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य नामित किया गया है।
गुटबाजी में बंटी कांग्रेस के दूसरों धड़ों ने राजकिशोर के भाजपा में जाने के बाद हरीश रावत की हुई हास्यापद स्थिति पर चुटकी लेनी शुरू कर दी है। इस मामले में उनकी सोशल मीडिया पर की गई पुरानी पोस्ट को ताजा घटनाक्रम से जोड़ते हुए रावत की राजनैतिक समझदारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
लोगो का कहना है कि चालीस साल की कांग्रेस राजनीति की लंबी पारी खेल चुके हरीश रावत क्या अभी भी राजनैतिक समझदारी के तौर पर इतने भोले हैं कि वह यह न समझ सकते हों कि वैचारिक धरातल पर खड़े संघ विचारधारा के लोग भाजपा में उपेक्षित होने पर भाजपा को दबाव में लेने के लिए दूसरी पार्टियों में आने-जाने जैसी कवायद करते रहते हैं। जिससे अपनी मूल पार्टी को दबाव में लेकर सौदेबाजी की जा सके।