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Uttarakhand Election 2022 : आरक्षण बचाने के लिए देश में कांग्रेस की वापसी जरूरी - प्रीतम सिंह
(उत्तराखंड : जनसभा को संबोधित करते नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह)
Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखण्ड के रामनगर के दलित बाहुल्य मालधन क्षेत्र में सोमवार को कांग्रेस (Congress) नेताओं ने इलाके की व्यापक दलित (Dalits) आबादी को रिझाने के लिए निजीकरण (Privatisation) की आड़ में खत्म हो रहे आरक्षण (Reservation) को मुद्दा बनाया। नेता प्रतिपक्ष सहित पार्टी के सभी दिग्गज नेताओं ने दलितों को केंद्र में रखते हुए उनके उत्थान की बात की।
पूर्व सैनिकों व शहीद सैनिकों के परिजनों को सम्मानित किए जाने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में कांग्रेस के बड़े नेता व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भाजपा (BJP) की केंद्र व प्रदेश सरकार पर संविधान को कमजोर कर आरक्षण पर हमला करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सीधे संविधान पर हमला करने के बजाए संविधान (Constitution) में दिए गए अधिकारों को खत्म करके संविधान को अप्रासंगिक बना रही है। जिससे बाद में संविधान को ही खत्म किया जा सके।
उन्होंने सभी वन गांवों को राजस्व गांव का दर्जा देने की बात कर करते हुए कहा कि जिस दबे-कुचले वर्ग को कांग्रेस ने मजबूत करके उनके हाथों में शक्ति दी, उसी वर्ग पर भाजपा हमला कर उन्हें दबाने का काम कर रही है।
'निचले पायदान पर खड़े लोगों को भुगतना पड़ेगा खामियाजा'
एआईसीसी सदस्य मनीष खंडूरी ने आगाह करते हुए कहा कि यह बात नहीं भूलनी है कि भाजपा जो हमला आज हिन्दू-मुसलमान के नाम पर देश के धार्मिक ढांचे पर कर रही है, आने वाले समय में इसका विस्तार जाति के आधार पर होगा। जो आग भाजपा लगा रही है, यदि हम सचेत नहीं हुए तो उसकी आग में देर-सवेर सब झुलसेंगे। जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों को भुगतना पड़ेगा।
'आरक्षण को केवल किताब तक सीमित करना चाहती है भजपा'
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. जीतराम ने कहा कि भाजपा सरकार दलितों की एक नम्बर की विरोधी पार्टी है। दलितों व देश के वंचितों को मिले आरक्षण को वह सभी सरकारी संस्थानों को निजी क्षेत्र के हवाले कर आरक्षण को केवल संविधान की किताब तक सीमित करना चाहती है। धरातल पर यदि आरक्षण को बचाना है तो भाजपा से पीछा छुड़ाना ही होगा।
'दलित समाज का आरक्षण लुटना अफसोसजनक'
रणजीत सिंह रावत ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस जमाने में लोग पैदल चलते थे उस ज़माने में हमारे पुरखे हमारे लिए विकट परिस्थितियों से संघर्ष करके भी हमारे लिए जमीन, आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण जैसी व्यवस्था कर गए। लेकिन आज दलित समाज के पास इतनी सामर्थ्य होते हुए भी आपका आरक्षण लुट जाए तो यह अफसोसजनक बात है।