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Yogi Adityanath के इस फुल पेज विज्ञापन का खर्चा कौन दे रहा? पूर्व IAS ने दागा सवाल, कहा- ECI देखे 'थर्ड पार्टी प्रचार'
(योगी का अंबानी के चैनल वाले फुल पेज विज्ञापन को लेकर सवाल)
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर तो जारी है ही उपर से झूठ की नदियां भी बह रही हैं। लोक लुभावने वादों और दावों के साथ टीवी अखबार भी खरीदे-बेचे जा चुके हैं। जिसपर सवाल उठ रहे हैं। इसी तरह का एक सवाल पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह (Surya Pratap Singh) ने दागा है।
नेता की फोटो बड़ी, कार्यकर्ता की छोटी।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) February 5, 2022
मुकेश अंबानी का चैनल अब फ़ुल पेज विज्ञापन देकर योगी जी के इंटरव्यू का प्रचार कर रहा है।
क्या बाकी नेताओं के इंटरव्यू का भी फ़ुल पेज विज्ञापन दिया जाएगा?
इन विज्ञापनों का खर्च कौन वहन कर रहा है? चुनाव आयोग 'थर्ड पार्टी प्रचार' पर ध्यान दे। pic.twitter.com/fHrK56sbbm
पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट कर कहा है, 'नेता की फोटो बड़ी, कार्यकर्ता की छोटी। मुकेश अंबानी का चैनल अब फ़ुल पेज विज्ञापन देकर योगी जी के इंटरव्यू का प्रचार कर रहा है। क्या बाकी नेताओं के इंटरव्यू का भी फ़ुल पेज विज्ञापन दिया जाएगा? इन विज्ञापनों का खर्च कौन वहन कर रहा है? चुनाव आयोग 'थर्ड पार्टी प्रचार' पर ध्यान दे।'
देशभर को पता है और जिन्हे नहीं पता है उन्हें बता दें कि मुकेश अंबानी के लगभग 20 से अधिक टीवी चैनल हैं। उनमें से एक नेटवर्क 18 भी है। न्यूज 18 इसी नेटवर्क का हिस्सा है जिसका ये फुल पेज विज्ञापन दिया गया है। जाहिर सी बात है देनिक जागरण जैसे अखबार के फ्रंट पेज में प्रकाशित यह विज्ञापन लाखों रूपये कीमत का है।
अब जब यह विज्ञापन दिया गया तो इसकी कीमत किसने दी यह सवाल है। अगर यह कीमत सरकार ने दी तो क्यों दी। अगर यह वैल्यू चैनल ने दी तो बाकी लोगों के भी इंटरव्यू का विज्ञापन देकर प्रचार करना चाहिए। अगर उसने ऐसा नहीं किया तो उसपर वह मुहर लगती है जिसके लिए उसका नया नामकरण किया गया है...गोदी मीडिया। जिसकी हालत और सत्ता की तरफ झुकाव नजर आता ही रहता है, जैसा नीचे के एक ट्वीट में दिख रहा।
@HindiNews18 सरकार का साथी#गोदी_मीडिया_दलाली_बंद_करो #गोदी_मीडिया_पर_थूकता_है_इंडिया pic.twitter.com/Qob42Ju0It
— Poni JAT हरियाणे का 🇮🇳🚜 (@Poni07Jat) February 5, 2022
लेकिन यहां चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल जरूर खड़े होते हैं..कि चुनाव आयोग यह सब क्यों नहीं देख रहा। चुनाव आयोग रैलियां क्यों नहीं देख रहा। चुनाव आयोग नेताओं की जहरीली और मजहबी बोली क्यों नहीं सुन पा रहा है। क्या चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं रहा। यह तमाम और बड़े सवाल हैं। जो जनता जनार्दन को अपने आप से पूछने चाहिए।