'भारत में 70 प्रतिशत लोग पहले से भुखमरी के शिकार, 3 करोड़ राशन कार्ड निरस्त होने से और बढ़ेगा आंकड़ा'
मानवाधिकार मामलों के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस से जनज्वार के मुख्य संपादक अजय प्रकाश की खास बातचीत
साल 2017 में झारखंड की 11 साल बिटिया संतोषी ने भूख के चलते दम तोड़ दिया था। संतोषी ने भात-भात चिल्लाते हुए अपनी अंतिम सांस ली थी। तब यह खबर देशभर में काफी चर्चाओं में रही थी। संतोषी की मां कोइली देवी के मुताबिक बेहद गरीबी में राशन कार्ड की वजह से आटा-दाल आ जाता था लेकिन परिवार का राशन कार्ड रद्द हो गया था। कोइली देवी के मुताबिक इसकी वजह राशन कार्ड का आधार कार्ड से लिंक न होना था। बेटी के दुनिया छोड़ देने के बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया और भूख से मौत की जांच, रद्द राशन कार्ड को दोबारा चालू और बेटी की मौत का मुआवजा मांगा था।
इसके बाद 17 मार्च 2021 को इस मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस इस वक्त कोइली देवी की ओर से वकील हैं। उन्होंने जनज्वार से विस्तार से बातचीत की-
-क्या 3 करोड़ राशन कार्ड की पीआईएल झारखण्ड की बच्ची संतोषी की मौत के बाद दाखिल की गयी थी?
उसी दौरान यह पीआईएल डाली गयी थी लेकिन राशन कार्ड को रद्द करने का केंद्र सरकार का बहुत ही अहम कार्यक्रम था। केंद्र सरकार सभी राशन कार्ड को बोगस बताता है जिस पर कुछ अकादमिक शोधकर्ताओं ने शोध किया जिससे ये साबित हुआ कि राशन कार्ड बोगस होने के बजाय सही थे और अगर बोगस हैं भी तो लोगों को बिना नोटिस के मालूम कैसे होगा । कानून में ये नियम हैं कि कोई भी प्रक्रिया होने से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए।
-राशन कार्ड रद्द करने का प्रोसेस क्या रखा गया था ?
देखिए,आधार एक बड़ा लिंक है लेकिन अगर सरकार इन सभी राशन कार्ड को बोगस बता रही है तो भी बगैर नोटिस दिए कोई भी एक्शन लेना गैरकानूनी है। कुछ आधार कार्ड आँखों के मेल न होने तो कुछ अंगूठे के निशान के मेल न खाने पर रद्द कर दिया गया जो कि वास्तव में ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में इंटरनेट की कमी से कई बार प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से राशन कार्ड रद्द हो गए। इसके बाद सीधे परिवारों को बताया गया कि राशन कार्ड रद्द हो गया है और उन्हें दूसरा राशन कार्ड बनवाना होगा। ये पूरी प्रक्रिया गलत है, सरकार फ़ूड सब्सिडी, पीडीएस सिस्टम ख़त्म करना चाहती है। आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक जैसे जितने भी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान हैं वो कई सालों से सरकार पर इन्हें बंद करने का दबाव डालते हैं।
-भाजपा की सरकार तो कहती है कि एनजीओ में विदेशी शक्तियां लगती हैं, आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक तो अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां हैं तो भाजपा की राष्ट्रवादी सरकार इनकी बात क्यों मान रही है?
बीजेपी और यूपीए सरकार में कोई फर्क नहीं है जहां अंतर्राष्ट्रीय रिश्ते और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिश्ते एक ही बात पर निर्भर हैं। चाहे वो मनमोहन सिंह थे या नरेन्द्र मोदी, सभी सब्सिडी काम करने की ही बात कहते हैं।
-आप फूड सिक्योरिटी के जानकार हैं तो हमारे पाठकों को बताएं असल में जो विश्व के बड़े बैंक है जैसे आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक इनका हमारी सब्सिडी कम कराने में उनका क्या इंट्रेस्ट रहता होगा और क्यों?
इनका बहुत बड़ा इंट्रेस्ट है क्योंकि उनके हिसाब अगर इंडिया सब्सिडी कम करता है तो उनकी इकोनोमी और मजबूत हो जाएगी। उनके हिसाब से सब्सिडी भारत के गरीबों पर एक फालतू खर्च की तरह है और अगर उसमें बचत होगी तो भारत की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और अंतर्राष्ट्रीय बैंक भारत को लोन देगा क्योंकि इनकी आर्थिक स्थिति भारत के लोन पर आधारित है। पीडीएस ख़त्म करने से भारत की जीडीपी में एक पॉइंट की बढ़ोतरी होगी। अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान और भारतीय केंद्र संस्थानों में कोई अंतर नहीं है। ये सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारत की स्वतंत्रता एक दिखावा है जबकि अमरीका भारत पर अपना हुकुम चलाता है और भारत उसी के कहे पर चलता है।
-अक्सर सत्ताधारी पार्टी के लोग ये बोलते दिखते हैं कि सरकार मुफ्त में राशन बांटती है तो आप ये बताएं कि ये ये जो राशन मिलता है वो भारत सरकार देती है या विश्व बैंकों का इससे कोई लेना देना है?
नहीं इसे विश्व में और कोई नहीं देता इसे भारत सरकार ही देती है। इसकी खरीददारी हमारे किसानों से ही होती है। ये सरकार एफसीआई को पूरी तरह रद्द करना चाहती है। नए कानून लाकर जो भी ये बेचना चाहें बेच सकते हैं। यानि किसान जो आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं वो 100 प्रतिशत सही है।
-2017 में ही राशन कार्ड वाले मामले में जनहित याचिका दाखिल कर दी गयी थी और आज इस बात को 4 साल हो चुके हैं लेकिन मामला अभी तक कोर्ट में है?
बेहद दुःख की बात है और मैं बेबस महसूस करता हूँ। मैंने कोशिश की कि यह जल्दी से जल्दी हो सके लेकिन मेरे हाथ में ज़्यादा कुछ नहीं है ।
-पिछले दिनों राशन कार्ड रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या फर्क पड़ेगा?
हो तो बहुत कुछ सकता है लेकिन मैं पूरी तरह से नहीं बता पाउँगा क्योंकि आजकल सब चीज़ें अनिश्चित हैं लेकिन भुखमरी की स्थिति ये है की भारत के 70% लोग भुखमरी का शिकार है (800 मिलियन) और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को भुखमरी पीड़ित देशों में शीर्ष पर देखा जाता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़े के ज़रिये आप सरकार की सारी सच्चाई देख सकते हैं। अगर हमें इस कलंक से बचना है तो सभी को राशन कार्ड की व्यवस्था दी जानी चाहिए जिससे कोई भूख से न मरे। नहीं तो ये देश युवाओं का देश होने के बजाय भूख से विकलांगो का देश बन जाएगा। क्योंकि इसकी कतार में 300 मिलियन बच्चे खड़े हैं जो इस देश का भविष्य हैं ।