Indian Politics : अब आर-पार के मूड में नीतीश कुमार, बोले – विपक्ष एकजुट होकर आगे बढ़ेगा, पर कैसे
मोदी के खिलाफ नीतीश के बदले तेवर पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण
Indian Politics : नाटकीय अंदाज में बिहार ( Bihar ) में हुए सियासी बदलाव ने विपक्षी दलों को नया मोड़ पर ला खड़ा किया है। इतना ही नहीं, विपक्षी दलों ( Opposition Parties ) और उनके समर्थकों के बीच इस बात को लेकर रोमांच की स्थिति भी है। होनी भी चाहिए। लोकतंत्र में बेहतर सियासी समीकरण बने, ऐसा बेहतर समाज निर्माण का ख्याल रखने वाला हर इंसान सोचेगा। इन बातों को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ( Chief Minister Nitish Kumar ) भी इस बार आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं।
बिहार में जेडीयू-भाजपा संबंधों में पटाक्षेत्र में बाद विपक्षी खेमें ( Opposition Parties ) में हलचल का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि महाराष्ट्र में शरद पवार ( Sharad Pawar ) नये सिरे से एमवीए ( MVA ) को एकजुट करने में जुट गए हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) की खुशी उनके ट्विट से समझा जा सकता है। इन सबके बीच आठवीं बार सीएम पद का शपथ लेने के एक दिन बाद नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) ने बिना नाम लिए पीएम मोदी ( PM Narendra Modi ) पर हमला बोल दिया है। उन्होंने अपना लक्ष्य भी साफ कर दिया है। जेडीयू प्रमुख और देश के अनुभवी राजनेता नीतीश ने आत्मविश्वास के साथ कहा - विपक्ष 2024 का लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election 2024 ) एकजुट होकर लड़ेगा।
नीतीश ने और क्या कहा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( Chief Minister Nitish Kumar ) ने भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बगैर कहा कि जिसको जो बोलना है बोलने दीजिए। मैंने, उपराष्ट्रपति पद की कभी और किसी भी स्तर पर दावेदारी नहीं की। यह बात बोगस है। अब पूरा विपक्ष ( Opposition Parties ) लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मजबूती के साथ एकजुट होकर लड़ेगा। महागठबंधन का पूरा कुनबा मिलकर लडे़गा। ये लड़ाई आर या पार की होगी। मंत्रिमंडल विस्तार पर उन्होंने कहा कि ये काम बहुत जल्द पूरा हो जाएगा। इससे पहले, बुधवार को सीएम पद की शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने सीधे पीएम मोदी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि 2014 वाले 2024 में रहेंगे तब न। यानि उनका मतबल साफ है, पीएम मोदी 2024 में मोदी पीएम पद की रेस में कहीं नहीं होंगे।
क्या 2024 में विपक्ष एकजुट होकर लड़ पाएगा
नीतीश कुमार के बयानों से ही एक अहम सवाल यह उठता है कि क्या विपक्ष 2024 में लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ पाएगा। लोकसभा चुनाव के अभी लगभग दो साल हैं। क्या इस बीच नीतीश कुमार विपक्ष के सर्वमान्य नेता बन पाएंगे। क्या उन्हें पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व अन्य राज्यों के विपक्षी दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनीतिक क्षत्रप अपना नेता मान लेंगे। इन लोगों की सियासी महत्वाकांक्षाएं नीतीश की राह में रोड़ा साबित नहीं होंगी। क्या सोनिया गांधी ने उन्हें आश्वासन दे दिया है कि राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) पीएम पद के दावेदार नहीं होंगे।
याद कीजिए, 2017 में लालू यादव को धोखा देकर भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाने से पहले भी मोदी के खिलाफ नीतीश कुमार ने महागठबंधन में एकजुटता का नारा दिया था। उन्होंने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात कर जल्द नीतिगत रोडमैप तैयार करने पर जोर दिया था, पर क्या वैसा हुआ, महागठबंधन को मजबूत करने के बदले, उन्होंने जेडीयू-भाजपा की सरकार बना ली थी। उसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 तक महागठबंधन मजबूती के साथ भाजपा के सामने चुनौती नहीं पेश कर पाई थी।
विपक्षी एका का सवाल यहीं तक सीमित नहीं है
विपक्षी एकता का सवाल यहीं तक सीमित नहीं है। ध्यान दीजिए, नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के सीएम बने हैं, लेकिन विपक्ष की ओर से पीएम पद के दावेदारों में से केवल एक ने उन्हें इसकी बधाई दी है। और वो हैं मराठा क्षत्रप शरद पवार। अखिलेश यादव ने जरूर नीतीश और तेजस्वी दोनों को बधाई दी है, लेकिन वो विपक्ष के शीर्ष चेहरों में कहीं नहीं हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम पद के प्रमुख दावेदारों में राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) , ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) और अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) यहां तक कि प्रियंका गांधी ने भी नीतीश कुमार को आठवीं बार सीएम बनने पर बधाई नहीं दी। इस बात की चर्चा मीडिया में नहीं है। ट्विटर पर बधाई देना ट्रेंड में हैं, पर इनमें से किसी ने ट्विटकर नीतीश को बधाई दी है क्या। संभवतः आपका का भी जवाब होगा नहीं।
फिर, नीतीश ( Nitish Kumar ) खुद में एक चुनौती हैं। पूछिए कैसे, विपक्ष ( Opposition Parties ) मोदी सरकार ( Modi Government ) को महंगाई ( inflation) , बेरोजगारी ( Unemployment ), भ्रष्टाचार ( Corruption ), सांप्रदायिकता ( Communalism ) जैसे प्रमुख मुद्दों पर 2024 में पटखनी देने की कोशिश करेगा, यही न। तो आप समझ लीजिए, बिहार में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। पिछले कुछ वर्षों में लगातार छात्र आंदोलनों से ये साबित भी हो चुका है। यानि दो साल के अंदर ही नीतीश को इन सबसे पार पाना होगा।
नीतीश मोदी को टक्कर दे सकते हैं, पर शर्त ये है कि
कहने का मतलब ये नहीं है कि नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) 2024 में विपक्ष का चेहरा नहीं बन सकते। उनमें विपक्षी चेहरा बनने की सभी खूबियां हैं। वह लंबे समय तक राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाने के बाद बिहार लौटे थे। बिहार में सीएम रहते हुए भी वो राष्ट्रीय राजनीति में दखल देते रहे हैं। दखल देने की उनकी हैसियत अब पहले से ज्यादा हो गई है। वे पीएम मोदी ( PM Modi ) को टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि वो उनकी खूबियों और कमजोरियों को सबसे करीब और दूर से भी जानते हैं। मोदी की कार्यशैली को अच्छे संबंधों के दौर में और बुरे संबंधों के दौर को करीब से देखने और समझने का उनके पास अनुभव और गुर है। इन सबके बावजूद शर्त ये है कि नीतीश को विपक्षी दल अपना नेता मान लें। अगर ऐसा हो जाता है, तो ये भी समझ लीजिए, 2024 में वो होगा, जो अभी तक नहीं हुआ, कहने का मतलब यह है कि फिर नीतीश कुमार केवल पीएम मैटीरियल नहीं होंगे, बल्कि देश का पीएम बन भी सकते हैं।