Acharya Balkrishna : दुनिया के मशहूर वैज्ञानिकों की लिस्ट में बालकृष्ण- लोग बोले, जैसे मोदी अर्थशास्त्री हैं वैसे बालकृष्ण वैज्ञानिक
दुनिया के मशहूर वैज्ञानिकों की लिस्ट में बालकृष्ण- लोग बोले जैसे मोदी अर्थशाष्त्री हैं वैसे बालकृष्ण वैज्ञानिक हैं
Acharya Balkrishna : पतंजली वाले बालकृष्ण के बारे में सूचना मिल रही कि उन्हें अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूरोपियन पब्लिशर्स एल्सेवियर की तरफ से जारी सूची में विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है। इस उपलब्धि पर पतंजली के साथ ही आयुर्वेद और योग के प्रति निष्ठा रखने वाले वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
स्वामी रामदेव ने कहा कि आचार्य ने विश्व के अग्रणी और प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में जगह बनाकर बॉटनी पर आधारित मेडिसिन सिस्टम, योग-आयुर्वेद चिकित्सा और चिकित्सा परिणामों को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है। आचार्य के नेतृत्व में संचालित पतंजली अनुसंधान संस्थान के अंतर्गत अनेक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों पर अनुसंधान करके विभिन्न विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल्स में प्रकाशित किया गया।
वहीं, दूसरी तरफ आचार्य बालकृष्ण के विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक बनने को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियायें भी सामने आ रही हैं। प्रवीन चालिया नाम के यूजर ने लिखा, 'जैसे मोदी एक अर्थशाष्त्री हैं, वैसे बालकृष्ण एक वैज्ञानिक हैं।' अल्पेश पटेल लिखते हैं, 'मैने सोचा था कि इस महीने रिचार्ज नहीं कराउंगा, लेकिन इस महान प्रतिभा को देखकर लगता है लेन लेना पड़ेगा।'
अमन कुमार यादव ने लिखा, 'अब दुनिया की लिस्ट में टॉप पर हैं तो दुनिया झेलेगी। हिंदुस्तान में इसके सैंपल तो फेल हो जाते हैं।' कवि स्वप्नेश लिखते हैं, 'हमारी राय है कि ढपोरशंखियों की कमी नहीं है, एक ढ़ूढ़ो तो हजार मिलते हैं। नकद मांगों उधार मिलते हैं। यानि की एडवांस में तैयार मिलते हैं। इस हिसाब से ये नोबेल के हकदार हैं।' जुल्मीराम सिंह यादव लिखते हैं, 'तब तो नाले के गैस से चाय बनाने वाले को महा वैज्ञानिक घोषित करना चाहिए।'
Peerzada नाम के यूजर ने लिखाहै, 'इन्होने छीछी करने का नया तरीका इजाद किया है, इसलिए यह विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की लिस्ट में शामिल किया रहा है।' प्रदीप प्रकाश लिखते हैं, 'छन छन के सुनो झंकार या दुनिया है काला, बाजार या पैसा बोलता है, कि पैसा बोलता है।' लाल बहादुर ने लिखा, 'ई कब वैग्यानिक बन गईल भाय!' कमल सिंह लिखते हैं, 'देश ऐसे ही विश्वगुरू बना रहा है।'
संदीप चौकसे लिखते हैं, 'ये आयुर्वेद के वो वैज्ञानिक हैं, जो बीमार होने पर अपना इलाज एम्स में कराते हैे।' राजेश जैन लिखते हैं, 'अमेरिकन्स बैवकूफ हैं।' शेखर लिखते हैं, 'गांजा की मात्रा कितनी लेनी चाहिए सीखने की कला....।' राजेंद्र प्रसाद नाम के यूजर लिखते हैं, 'हमारे देश में ब्राह्मणों के वेद ग्रंथ छपे थे। उसके बाद से हमारे देश में एक सुई तक का निर्माण नहीं हो सका।' खालिद हुसैन ने लिखा है, जिसकी 10वीं तक की मार्कशीट तक सस्पेक्टेड हो वो आदमी साइंटिस्ट हो, ये मोदी राज में ही संभव है।