2020 से 2023 के बीच दुनिया में अत्यधिक गरीबों की संख्या बढ़ी 16.5 करोड़ और दुनिया में अरबपतियों की संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोत्तरी
file photo (janjwar)
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
Ultra-rich are getting wealthier despite global instability and poor people are getting poorer. वर्ष 2023 में रूस-यूक्रेन युद्ध लगातार जारी रहा, इजराइल और फिलिस्तीन युद्ध भी महीनों से चल रहा है, पूरा मध्य-पूर्व और पूर्वी एशिया तनाव में है – फिर भी दुनिया के अरबपतियों की संपत्ति बढ़ रही है। इस वर्ष के अंत तक के आकलन के अनुसार दुनिया के सर्वाधिक धनाढ्य 50 लोगों में से 38 की संपत्ति में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है, जबकि सबसे धनी 500 व्यक्तियों में यह आँकड़ा 77 प्रतिशत है। (https://www.theguardian.com/business/2023/dec/27/musk-zuckerberg-and-most-of-rest-of-the-worlds-richest-got-richer-in-2023)।
सबसे अमीरों की सूची में पहले स्थान पर एलोन मस्क हैं, वर्ष 2023 में इनकी संपत्ति में 98 अरब डॉलर का इजाफा दर्ज किया गया है। यह आश्चर्यजनक है, क्योंकि लगभग पूरे वर्ष पहले के ट्विटर और अब के X में एलोन मास्क को भयंकर घाटा होने की बात कही जा रही थी और इससे अनेक कंपनियों ने अपने विज्ञापन भी हटा लिए थे।
दूसरी तरफ बिजली से चलने वाले वाहनों की प्रमुख निर्माता कंपनी, टेस्ला, जिसके मालिक एलोन मस्क हैं, को पूरे वर्ष टेस्ला ने इतना फायदा पहुंचाया कि x का घाटा हटाने के बाद भी एलोन मस्क की संपत्ति में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी। दूसरी तरफ वर्ष 2023 के दौरान फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग की संपत्ति में 184 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। इस वर्ष फेसबुक की पैतृक कंपनी मेटा के शेयरों की कीमतों में 172 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। कुछ अमीरों की संपत्ति में तो किसी भी अनुमान से अधिक वृद्धि दर्ज की गयी है। इंडोनेशिया के जियो-थर्मल उर्जा से सम्बंधित उद्योगपति प्रजोगो पंगेस्तेक की संपत्ति वर्ष 2023 के दौरान 7 गुना बढ़ गयी है।
यह आकलन ब्लूमबर्ग बिलियोनायर इंडेक्स (Bloomberg Billionaire Index, daily data on 27th December 2023, https://www.bloomberg.com/billionaires/) के आधार पर किया गया है। इस इंडेक्स में पहले स्थान से लेकर 14वें स्थान तक सभी संपत्ति बढी है, पर 15वें स्थान पर गौतम अडानी हैं, जिन्हें वर्ष 2023 में 36 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है। इस सूची में पहली महिला 12वें स्थान पर लोरियाल पेरिस की मालकिन फ़्रन्कोइज बेटनकोर्ट मेयर्स हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा घोषित सख्त प्रतिबंधों के बाद भी रूस के अधिकतर अरबपतियों की संपत्ति वर्ष 2023 में बढ़ी है, इससे इतना तो स्पष्ट है कि अरबपतियों पर प्रतिबंधों का भी कोई असर नहीं होता है।
दुनिया के सबसे धनाढ्य 500 व्यक्तियों में 22 नाम भारत से हैं। अमेरिका से 189 और चीन से 52 नाम इस सूची में हैं। अरबपतियों की सूची में अमेरिका का दबदबा इस कदर है कि पहले 100 नामों में फ्रांस के 5, मेक्सिको के 2, भारत के 8; स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जापान, इटली, इंडोनेशिया और रूस के 1-1, चीन के 5, जर्मनी के 2 नामों को छोड़कर शेष सभी नाम अमेरिकियों के हैं। इस सूची में भारत से पहले नाम मुकेश अम्बानी का है, जो 13वें स्थान पर हैं, और वर्ष 2023 में इनकी संपत्ति में 9.16 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। पहले 100 नामों में अम्बानी और अडानी के बाद 41वें स्थान पर शापूर मिस्त्री, 43वें स्थान पर शिव नादर, 62वें स्थान पर अज़ीम प्रेमजी, 68वें स्थान पर सावित्री जिंदल, 86वें स्थान पर लक्ष्मी मित्तल और 100वें स्थान पर राधाकृषन दमानी हैं।
पूजीपतियों की चकाचौंध के बीच विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 से 2023 के बीच दुनिया में अत्यधिक गरीबों की संख्या में 16.5 करोड़ की और वृद्धि हुई है, और दुनिया से गरीबी मिटाने का संकल्प कहीं भी नजर नहीं आ रहा है। भारत जैसे देशों में सकल घरेलू उत्पाद साल-दर-साल बढ़ रहा है, पर साथ ही गरीबों की सख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। गरीबी हटाने की चर्चाएँ केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुनाई देते हैं, पर देशों की नीतियों में यह नजर नहीं आता।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव द्वारा संयुक्त तौर पर प्रकाशित रिपोर्ट, ग्लोबल मल्टीडाईमेंशनल पावर्टी इंडेक्स 2023 के अनुसार दुनिया के 100 विकासशील और अल्पविकसित देशों की कुल आबादी 6.1 अरब है और इसमें से 1.1 अरब आबादी गरीब है, जबकि 48 करोड़ से अधिक आबादी अत्यधिक गरीब हैं (Global Multidimensional Poverty Index 2023 by UNDP & Oxford Poverty & Human Development Initiative, hdr.undp.org/system/files/documents/hdp-document/ 2023mpireportenpdf.pdf)। गरीबों की सबसे अधिक संख्या अफ्रीका में 54 करोड़ और दक्षिण एशिया में 39 करोड़ है।
आश्चर्य यह है कि गरीब देशों में गरीबों की संख्या 39 करोड़ है, पर भारत जैसे मध्यम आय वाले देशों में गरीबों की सम्मिलित संख्या 73 करोड़ है। इस इंडेक्स में शामिल 110 देशों में मोदी जी के सपनों का विकसित भारत 58वें स्थान पर है, जिसे सत्ता 5 ख़रब डॉलर की अर्थव्यवस्था और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का सपना दिखा रही है। गरीबों की बढ़ती संख्या के बीच अरबपतियों की बढ़ती संपत्ति से इतना तो स्पष्ट है कि साल-दर-साल पूंजीवाद के बढ़ते असर के साथ ही आर्थिक असमानता भी बढ़ती जा रही है।