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विमर्श

इंतज़ार कीजिये, जल्दी ही संसद, मंत्री, प्रधानमंत्री सब निजी हाथों में चले जायेंगे

Janjwar Desk
2 Feb 2021 4:48 PM IST
इंतज़ार कीजिये, जल्दी ही संसद, मंत्री, प्रधानमंत्री सब निजी हाथों में चले जायेंगे
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मोदी सरकार के द्वारा इस साल पेश किए गए बजट में हर सेक्टर को निजीकरण के लिए खोल दिया गया है। इससे उत्पन्न होने वाले खतरों व चुनौतियों का विश्लेषण कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पांडेय...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

पिछले कुछ वर्षों से बजट का सार्वजनिक उत्साह मर गया है, इसे लेकर लम्बी चर्चाएँ और क्षेत्रवार विश्लेषण ख़त्म हो गया है। इसे लेकर लंबी चर्चाएं और क्षेत्रवार विश्लेषण खत्म हो गया है। अब तो निजी हाथों में रहते हुए भी सार्वजनिक उपक्रम की तरह व्यवहार करता मीडिया अपनी आदत से मजबूर इसे जनता और किसानों के हित में बताता है, सरकारी विश्लेषक चैनलों पर बैठकर बिना आंकड़ों के ही जनता को सब्जबाग दिखाते हैं - और जनता पूरी तल्लीनता से अपनी बर्बादी का मंजर देखती है। इस वर्ष भी ऐसा ही हुआ है। इस बार के बजट के अनुसार अब देश बिकाऊ है - बीमा, बैंक, हाईवे, एअरपोर्ट, स्टेडियम, जमीन, रेलवे स्टेशन और लगभग सारे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम। सरकार कहती है इससे तेजी से विकास होगा।

देश बेचने की जो रफ़्तार चल रही है, उससे तो यही लगता है कि कुछ दिनों बाद गाँव, कसबे, शहर, महानगर भी अपनी पूरी आबादी के साथ नीलाम होने लगेंगे। जल, जंगल और जमीन तो अप्रत्यक्ष तौर पर पहले से ही बेचे जा रहे हैं। जाहिर है, जब पूरी आबादी ही निजी हाथों में पहुँच जायेगी तो हम.आप सभी बंधुवा मजदूर कहलायेंगे और पूंजीपतियों की चाकरी करते नजर आयेंगे। एक ऐसी स्थिति आयेगी जब बंधुवा मजदूरों के शरीर से चिपके चीथड़ों पर पूंजीपतियों का विज्ञापन होगा, जैसे भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के कपड़ों पर रहते हैं। फिर देश तेजी से विकास करेगा।

इसके बाद सारे सरकारी विभाग - पुलिस, क़ानून, वित्त, वाणिज्य, उद्योग, परिवार कल्याण, स्वास्थ्य, पर्यावरण, गृह इत्यादि - का निजीकरण किया जाएगा। जो पूंजीपति जितनी अधिक बोली लगाएगा उसे उतने अधिक विभाग आवंटित कर दिए जायेंगे। फिर, विधानसभा और संसद का नंबर आएगा और फिर सभी विधायक, सांसद, मंत्री, प्रधानमंत्री निजी हाथों में चले जायेंगे। इससे एक फायदा जरूर होगा, विधायकों की बाद में बोली लगानी बंद हो जायेगी। फिर चुनाव बंद हो जायेंगे और पूंजीपति अपने पसंदीदा लोगों को विधायक, सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री नामित करेंगे। अब आप पूछेंगे इसमें नया क्या है, यह तो आज भी हो रहा है। नया यह होगा कि अब तक यह तमाशा जनता की आँखों में धूल झोंककर किया जा रहा था, पर बाद में सबकुछ जनता, जो बंधुवा मजदूर हो चुकी होगी, के आँखों के सामने होगा। विधायक, सांसद, मंत्री और यहाँ तक कि प्रधानमंत्री के कपड़े भी तरह-तरह के रंगीन विज्ञापनों से भरे होंगे। कम से कम विधानसभा और संसद में कुछ रंग तो आएगा, यह बात दूसरी है कि जनता पूरी तरह से बदरंग हो चुकी होगी।

सरकार जितनी तेजी से निजीकरण की बात करती है, अडानी-अंबानी की संपत्ति भी उतनी ही तेजी से बढ़ती है। वर्तमान सरकार तो चुनिन्दा पूंजीपतियों को उपहार में एअरपोर्ट, पेट्रोलियम संस्थान, रेलवे स्टेशन, हाईवे इत्यादि दे ही रही है, और हम तमाशा देख रहे हैं और तालियाँ बजा रहे हैं। इस समय भी देश के अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्र ऐसे हैं जो पूंजीपतियों के हवाले किये जा चुके हैं और ऊर्जा क्षेत्र इसमें सबसे महत्वपूर्ण है। पेट्रोलियम क्षेत्र अडानी-अंबानी की जागीर बन चुका है, कोयला क्षेत्र भी इनके हवाले किया जा रहा है। जरा सोचिये किसी भी एक क्षेत्र, जो जनता से सीधे जुदा है, उस पर केवल एक-दो पूंजीपतियों के अधिकार का क्या मतलब होगा।

निति आयोग के सीईओ के अनुसार निजीकरण के बाद किसी क्षेत्र की उत्पादकता और दक्षता बढ़ जाती है, यह कथन अपने आप में सरकार के मुँह पर कितना बड़ा तमाचा है, इसका अंदाजा शायद सरकार को भी नहीं होगा। इसका सीधा-सा मतलब है सरकार के नियंत्रण के बाद निकम्मापन बढ़ जाता है या इसे कह सकते हैं कि सरकार निकम्मी है। कुछ दिनों बाद आवाज उठेगी कि नीति आयोग भी निजी हाथों में सौंप देना चाहिए, फिर पूंजीपति देश के दशा और दिशा तय करना शुरू करेंगे।

दुनिया भले ही भारत को प्रजातंत्र का नाम देती हो, पर न तो यहाँ प्रजा है और ना ही तंत्र है। यहाँ तो बस पूंजीवाद के सामने नतमस्तक एक सरकार है जो जनता के हिस्से की हरेक चीज उठाकर बेचती जा रही हैं और जनता को बता रही है कि इसमें भी तुम्हारा भला है। मीडिया भी 24सों घंटे केवल जनता का भला दिखा रही है और बता रही है कि जिसे भला नहीं दीख रहा है, वे सभी आतंकवादी हैं और देशद्रोही हैं। एक दिन ऐसा भी आयेगा जब हम जहां खड़े होंगे वहां केवल पैरों के नीचे की जमीन और सिर के ऊपर का आसमान ही नहीं बल्कि हम भी बिक चुके होंगे और दूर किसी समाचार चैनल पर तरह-तरह के विज्ञापनों से लैस प्रधानमंत्री हमें बिकने के फायदे किसी मान की बात में सुना रहे होंगे।

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