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विमर्श

Uttar pradesh in Yogiraj : PM मोदी के सपनों का प्रदेश है नरसंहार करता उत्तर प्रदेश

Janjwar Desk
4 Oct 2021 8:18 AM GMT
Uttar pradesh in Yogiraj : PM मोदी के सपनों का प्रदेश है नरसंहार करता उत्तर प्रदेश
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उत्तर प्रदेश में क़ानून और व्यवस्था के नाम पर पुलिसिया और प्रशासनिक जुर्म पूरी दुनिया देख रही है (file photo)

योगी आदित्यनाथ ने ताल ठोककर बार बार कहा, अब प्रदेश में अपराधी नहीं हैं, या तो मार दिए गए या फिर दूसरे राज्यों में एक्सपोर्ट कर दिए गए, जाहिर है उसके बाद जितने भी अपराध हुए, सब पुलिस, अंधभक्तों और प्रशासन ने मिलकर किये...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जनज्वार। प्रधानमंत्री मोदी ने जालियांवालाबाग को एक पिकनिक स्थल के तौर पर विकसित किया है तो दूसरी तरफ पूरे देश को ही जलियांवालाबाग़ बना डाला है – जिसमें हत्यारे नरसंहार के लिए स्वछन्द हैं। अब हत्यारे की कोई शक्ल नहीं होती – पुलिस, प्रशासन, सत्ता से करीबी के मद में डूबे अंधभक्त – अब सभी हत्यारे हैं।

उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में क़ानून और व्यवस्था के नाम पर पुलिसिया और प्रशासनिक जुर्म पूरी दुनिया देख रही है, पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष को उत्तर प्रदेश के तानाशाह आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के राज में उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पूरे देश से बेहतर नजर आती है। जाहिर है, प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्री-संतरी के सपनों का भारत ऐसा ही है जहां हत्यारे शासन कर रहे हों, पुलिस उग्रवादी बन चुकी हो, समर्थक उन्मादी भीड़ तंत्र चला रहे हों और जनता बस कराह रही हो।

जिन लोगों को मोदीमय गुजरात में क़ानून-व्यवस्था की हालत पर जरा सी भी शंका हो, वे आज के दौर का उत्तर प्रदेश देख लें – फिर स्पष्ट हो जाएगा कि मुख्यमंत्री मोदी ने अपने शासन के दौरान गुजरात में कितने परदे डाले थे और गुजरात मॉडल (Gujrat Model) वाकई में कैसा था।

प्रायः प्रधानमंत्री जी का पसंदीदा राज्य वो होता है, जहां निकट भविष्य में चुनाव होने वाले होते हैं। पर उत्तर प्रदेश के साथ ऐसा नहीं है – अब तो चुनाव नजदीक आ रहे हैं, पर बंगाल और इससे पहले बिहार चुनावों के दौरान भी प्रधानमंत्री खुले मन से उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बताते रहे हैं। दूसरी तरफ, निरंकुशता और उन्माद के प्रतीत पुरुष आदित्यनाथ देशभर के चुनावों में स्टार प्रचारक की तरह से भ्रमण करते हैं और गुंडागर्दी का पाठ पढ़ाते हैं।

उत्तर प्रदेश की और उसके मुख्यमंत्री की तारीफ़ के पुल प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष लगातार बांधते रहते हैं और दुनिया को स्पष्ट शब्दों में सन्देश देते हैं कि ऐसी ही अराजकता उनका सपना है। ऐसी तारीफ़ की जैसे रामराज्य पूरी तरह से उत्तर प्रदेश में उतर आया हो और मुख्यमंत्री योगी साक्षात मर्यादा पुरुषोत्तम हो गए हों। इस वर्ष मई-जून में किसी योजना को शुरू करते हुए इसे कोविड 19 से मुकाबला करने, सरकारी योजनाओं को लागू करने और क़ानून व्यवस्था के मसले पर देश के सर्वश्रेष्ठ राज्य का दर्जा दे दिया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने 14 सितम्बर को अलीगढ में उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ सरकार में क़ानून-व्यवस्था को फिर से देश में सर्वोत्तम बताया था, जबकि ठीक उसी समय भारत सरकार के ही नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो ने पिछले वर्ष के आंकड़े जारी किये थे। इन आंकड़ों के अनुसार ह्त्या और अपहरण के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है और बलात्कार के सन्दर्भ में राजस्थान के बाद दूसरे स्थान पर है। इतने स्पष्ट शब्दों में अपराधों और अपराधियों की तारीफ़ करने वाला प्रधानमंत्री दुनिया के किसी भी देश ने कभी नहीं देखा होगा।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और बीजेपी झूठ बोलने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों के लिए सबसे योग्य हैं। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के क़ानून व्यवस्था पर प्रधानमंत्री के वक्तव्य को चुनौती देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री कम से कम अपने ही गृह मंत्रालय और दूसरे स्त्रोतों के आंकड़े तो देख लेते।

इन अपराध के आंकड़ों को गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला संस्थान ही एकत्रित कर प्रकाशित करता है, और गृहमंत्री अमित शाह ही उत्तर प्रदेश को क़ानून व्यवस्था के सन्दर्भ में देश का सबसे बेहतर राज्य करार देते हैं। हाल में 1 अगस्त को लखनऊ में यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस के भवन का शिलान्यास करते हुए भी गृहमंत्री ने यही वक्तव्य दिया था। बीजेपी के अध्यक्ष नड्डा भी लगातार यही बताते हैं – स्पष्ट है कि बीजेपी और प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों की नजर में हत्या, अपहरण और महिला उत्पीड़न के सन्दर्भ में अग्रणी राज्य की क़ानून व्यवस्था ही सबसे अच्छी है।

पिछले लोकसभा चुनाव के ठीक बाद माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था, इस बार गणित को केमेस्ट्री ने हरा दिया। दरअसल, प्रधानमंत्री जी के सामने गणित, यानी आंकड़े हमेशा हार ही जाते हैं और केमेस्ट्री हावी हो जाती है। यही केमेस्ट्री अबकी बार ट्रम्प सरकार, नमस्ते ट्रम्प जैसे नारों से, ब्राज़ील के राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बनाने से, न किसी ने घुसपैठ की कई और न ही कोई हमारी सीमा में घुस आया है जैसे वक्तव्यों से बार-बार जाहिर होती है। इसी केमेस्ट्री का ही कमाल है जो जंगलराज से भी नीचे जा चुके उत्तर प्रदेश को प्रधानमंत्री श्रेष्ठ राज्य का दर्जा देते हैं।

प्रवासी मजदूरों के मामले में भी प्रधानमंत्री ने ऐसा बताया था, जैसे इस राज्य में उन्हें स्वर्ग जैसी सुविधा दी गई, जबकि हकीकत कुछ और ही है। उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों के संकट और कष्ट से सम्बंधित खबर देने वाले पत्रकार जेल भेज दिए गए। पुलिस ने इन मजदूरों पर खूब लाठियां भांजीं और सेनिटाईजेशन के नाम पर जहरीले रसायन तक उड़ेले। जब विपक्ष ने इन श्रमिकों के लिए बस का इंतजाम किया तब सरकार ने अपने पूरे तंत्र के झूठ के प्रसार में लगा दिया। एक दिन सरकारी तंत्र बताता था, बसें नहीं ऑटो रिक्शा है, दूसरे दिन फिटनेस सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ने लगती थी। अकेले उत्तर प्रदेश में जितने प्रवासी श्रमिक सड़कों पर दुर्घटना में मरे होंगे, शायद उतने पूरे देश में नहीं मरे। इन श्रमिकों को मुफ्त में मानवीय आधार पर खाना बांटने वालों को भी बार-बार धमकाया गया।

प्रधानमंत्री जी उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर भी योगी जी की वाहवाही करते हैं। ऐसा करना लाजिमी भी है क्योंकि यह नीतिगत मामला है। BJP की नीति ही है कि मानवाधिकार पर आवाज उठाने वालों को अपराधी और अर्बन नक्सल बना दो, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दो, तो दूसरी तरफ अपराधियों को सुरक्षा देते रहो और जेल से बचाते रहो। आखिर, अपराधी ही चुनाव जीता सकते हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश बीजेपी की प्रयोगशाला है। हरेक उस व्यक्ति, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता को उत्तर प्रदेश में जेल में डाला गया, जिसने भी समाज की परेशानियों को उजागर किया।

नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ आन्दोलनकारियों के साथ सरकार की शह पर पुलिस ने ऐसे वर्ताव किया मानो जालियांवाला बाग की यादें ताजा कराने की कवायद चल रही हो। मिड-डे मील की खामियों से लेकर प्रधानमंत्री के चहेते गाँव में भूख की खबर बताने वाले सभी अपराधी करार दिए गए।

इस पूरी कवायद में पुलिस ने अपना क्रूरतम चेहरा दिखा दिया, पर जिस व्यवस्था को बढ़ावा पुलिस दे रही है वह उसी के लिए घातक बनता जा रहा है। पुलिस और प्रशासन का तंत्र ही पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। पुलिस अब केवल राजनीति का मोहरा बनकर रह गयी है, और राजनीति में नीतियों का विरोध करने वाले अपराधी और शातिर अपराधी हिमायती होते हैं। अब यही पुलिस के बर्ताव में शामिल हो गया है।

आन्दोलनकारियों को बिना किसी जुर्म के चन्द मिनटों में सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले हाथ अपने 8 साथियों की मौत के बाद भी खाली रहते हैं। यह वही पुलिस है जो बलात्कारियों को सुरक्षा देती है और पीड़ित की हत्या करवा देती है। सामान्य लोगों के लिए पुलिस बल का नाम यदि दमन बल रख दिया जाए तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों कि पुलिस अब यही करती है।

धीरे-धीरे समय के साथ पुलिस वास्तविक अपराधियों को अपराधी समझना, उनसे निपटना और पकड़ना ही भूल गई है, क्योंकि उसे निरपराध जनता ही अपराधी नजर आती है, और उसे बिना मशक्कत के कभी भी पकड़ा जा सकता है, या उसका एनकाउंटर कर प्रमोशन पाया जा सकता है। पुलिस को यह भी स्पष्ट हो गया कि दंगे भड़काकर केवल एक समुदाय को निशाना बनाकर किस तरह से राज्य और केंद्र के नेताओं से वाहवाही बटोरी जा सकती है।

इन सब गतिविधियों से पुलिस ने वाहवाही बटोरने का एक शॉर्टकट ढूंढ लिया, और फिर इस तरह की हरकतों से वह अपने आप को देश के सभी कानूनों से अपने को बड़ा समझती है। हो भी यही रहा है। पुलिस का एक अदना सिपाही किसी भी निर्दोष को पकड़कर कितना भी बड़ा अपराधी घोषित कराने की क्षमता रखता है, उसकी ह्त्या कर सकता है और फिर उसके परिवार को प्रताड़ित भी कर सकता है।

इन सबके बीच सामाजिक तौर पर नुकसान पुलिस बल को ही हो रहा है। कोई बुद्धिजीवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता पुलिस वालों की ह्त्या पर आवाज नहीं उठाते। ऐसे समाचार कुछ दिनों में खुद मर जाते हैं। फिर भी राजनीति जारी है। योगी जी ने ताल ठोककर बार बार कहा था, अब प्रदेश में अपराधी नहीं हैं, या तो मार दिए गए या फिर दूसरे राज्यों में एक्सपोर्ट कर दिए गए। जाहिर है उसके बाद जितने भी अपराध प्रदेश में हुए, सब पुलिस, अंधभक्त और प्रशासन ने किये, तभी तो सब पर प्रशासन और पुलिस ने लीपापोती की, अब पुलिस ही अपराधी है और अपराधी पहले से अधिक दबंग होते चले गए।

यही प्रधानमंत्री जी का उत्तम प्रदेश है, पर इसके साथ ही वे क़ानून व्यवस्था के सन्दर्भ में अपने विज़न को जनता के सामने बार-बार प्रस्तुत करते हैं – अब समय ही बता सकता है कि प्रधानमंत्री और बीजेपी का यह हिंसक विज़न जनता को कब समझ में आता है।

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