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विमर्श

Gautam Adani – Richest Person in Asia | प्रधानमंत्री के चहेते गौतम अडानी कैसे बने एशिया के सबसे अमीर कारोबारी

Janjwar Desk
10 Feb 2022 12:18 PM IST
Gautam Adani – Richest Person in Asia | प्रधानमंत्री के चहेते गौतम अडानी कैसे बने एशिया के सबसे अमीर कारोबारी
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Gautam Adani – Richest Person in Asia | प्रधानमंत्री के चहेते गौतम अडानी कैसे बने एशिया के सबसे अमीर कारोबारी (file photo)

Gautam Adani – Richest Person in Asia | फोर्ब्स और ब्लूमबर्ग (Forbes & Bloomberg) के अनुसार मोदी जी के चहेते गौतम अडानी (Gautam Adani) अब केवल भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के भी सबसे अमीर कारोबारी बन गए हैं|

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Gautam Adani – Richest Person in Asia | फोर्ब्स और ब्लूमबर्ग (Forbes & Bloomberg) के अनुसार मोदी जी के चहेते गौतम अडानी (Gautam Adani) अब केवल भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के भी सबसे अमीर कारोबारी बन गए हैं| यही नहीं, वे दुनिया के 10 सबसे अमीर कारोबारियों (10 richest person of world) की सूचि में भी शामिल हो गए हैं| अब गौतम अडानी की संपत्ति की कीमत 88.5 अरब डॉलर तक पहुँच गयी है, पिछले वर्ष के दौरान ही जब पूरा देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, तब अडानी की संपत्ति में 12 अरब डॉलर बढ़ गए थे|

गौतम अडानी दरअसल पूंजीवाद की उस हद पर बैठे हैं जहां सिर्फ और सिर्फ मुनाफा मायने रखता है, और मुनाफे के लिए यदि देश को लूटना पड़े, नरसंहार करना पड़े तब भी उन्हें जायज लगता है| जगजाहिर है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के समय गौतम अडानी ने नरेंद्र मोदी का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से खूब साथ दिया था| यह उनके व्यवसाय का एक इन्वेस्टमेंट था क्योंकि वे जानते थे कि नरेंद्र मोदी पक्के व्यक्तिवादी है, पूंजीवादी विचारधारा के हैं, राजनैतिक मुनाफे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और वही अकेले पूरी सरकार हैं| सरकार की सभी नीतियाँ वही अकेले तय करते हैं| जाहिर है, मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही गौतम अडानी का सारा कारोबार नए सिरे से उभरने लगा, सभी सरकारी विभाग उनका ही हुक्म बजाने लगे, पर्यावरण मंत्रालय ने प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट की अनुमति दे दी और इसके बाद गौतम अडानी देश के सभी कानूनों से केवल ऊपर ही नहीं उठ गए बल्कि हरेक क़ानून उनके मुनाफे को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं|

उन्हें कोयला चाहिए था, उसकी खानें राष्ट्रीय उद्यान के बीच उन्हें सौपी गईं, उन्हें पेट्रोलियम का कारोबार करना था तो ओएनजीसी और आयल इंडिया लिमिटेड (ONGC & Oil India Limited) उनकी मदद करते रहे| विदेशों में कारोबार करने की स्वीकृति मिनटों में गौतम अडानी को मिल जाती है| सरकार ने हवाई अड्डों की सौगात उन्हें दी और पूरे वर्यावरण का विनाश कर बनाया गया गुजरात के मुद्रा पोर्ट के मालिक भी अडानी हैं| देश में किसी के पास कुछ ग्राम अफीम मिलती है तब नारकोटिक्स ब्यूरो उसके पीछे हाथ धो कर पड़ जाता है, पर जब अडानी के मुद्रा पोर्ट (Mudra Port) से टनों अफीम मिली तो इसी ब्यूरो ने आँखें बंद कर लीं| एक वक्तव्य तक नहीं आया|

जब जलवायु परिवर्तन और तापमान बृद्धि को नियंत्रित करने की मांग तेज होने लगी तब दुनियाभर में कोयले के कारोबार से प्रदूषण करने वाले अडानी अचानक सौर उर्जा के क्षेत्र में कूद पड़े| यह कोई पर्यावरण को लेकर ह्रदय परिवर्तन नहीं था, बल्कि इससे होने वाले अकूत मुनाफे का आकलन था| जलवायु परिवर्तन से जुड़े सभी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रधानमंत्री स्वयं जाते हैं और लगातार सौर उर्जा का प्रचार करते हैं| हमारे प्रधानमंत्री के लिए जलवायु परिवर्तन नियंत्रण का मतलब कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाले कोयले का उपयोग कम करना नहीं है, पवन उर्जा का प्रसार भी नहीं हैं, वन संरक्षण भी नहीं है – बस सौर उर्जा का प्रसार है| सौर उर्जा के प्रसार के लिए फ्रांस के साथ ग्लोबल सोलर अलायन्स (Global Solar Alliance) भी स्थापित किया गया, जिसके तहत भारी मात्रा में विदेशी निवेश आता है और फिर इसके तहत यहां की कम्पनियां अपनी सौर उर्जा कंपनी के हिस्से भी विदेशी कंपनियों को आसानी से बेच सकेंगीं|

यह क्षेत्र ऐसा था, जिसमें प्रधानमंत्री स्वयं हरेक मंच से प्रचार करते हैं, सो अडानी ने अडानी ग्रीन एनर्जी कंपनी बना ली और सौर उर्जा के क्षेत्र में कूद पड़े| यही क्षेत्र उन्हें अब तक देश के सबसे अमीर रहे, मुकेश अम्बानी (Mukesh Ambani) , से भी आगे ले गया| पिछले वर्ष इस कंपनी के शेयर मूल्य में दुगुने से भी अधिक का उछाल आया| इस क्षेत्र में निवेश के लिए पूंजी की कोई कमी नहीं थी और विदेशी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित है| जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी अपने देश के संसाधन को लूटकर ब्रिटेन को अमीर बना रही थीं उसी तरह अडानी अपने देश की सौर उर्जा को लूटकर स्वयं अमीर बन रहे हैं और देश की सौर उर्जा को विदेशों में बेच रहे हैं|

फिलहाल अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) में 20 प्रतिशत भागीदारी फ्रांस की पेट्रोलियम कंपनी टोटल (Total) के पास है, दूसरे शब्दों में हमारे देश की 20 प्रतिशत सौर उर्जा का मालिक फ्रांस है| अभी और भी विदेशी कम्पनियां भागीदारी के लिए आगे आ रही हैं, तभी अडानी इस कारोबार को तेजी से बढ़ा रहे हैं और साथ में अपना मुनाफा भी| अडानी ने जैसे ही घोषणा की थी कि वे वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र में 70 अरब डॉलर का निवेश कर दुनिया के सबसे बड़े सौर उर्जा कारोबारी बन जायेंगें, उनके प्रचारक प्रधानमंत्री ने ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन सम्मलेन (COP26 at Glasgow) में ऐलान किया कि वर्ष 2030 तक भारत 500 गीगावाट बिजली गैर परम्परागत स्त्रोतों से, जिसमें सबसे प्रमुख सौर उर्जा है, द्वारा उत्पन्न करेगा और देश के कुल बिजली उत्पादन में से आधा हिस्सा ऐसे स्त्रोतों से ही उत्पन्न होगा| केवल मुनाफे के लिए कारोबार करने का अडानी आदर्श उदाहरण हैं – वर्ष 2030 तक जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कोयले से बिजली के उत्पादन में भी अडानी शीर्ष पर होंगें और जलवायु परिवर्तन नियंत्रित करने में सहायक सौर उर्जा के उत्पादक भी अडानी होंगें|

सौर उर्जा के क्षेत्र में हमारी सरकार पूरी तरह से उनके साथ है, विदेशी भागीदार भी उनके साथ हैं, इससे केवल उनका मुनाफा कई गुना नहीं बढ़ा बल्कि उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि भी चमकेगी| ऑस्ट्रेलिया में कोयला खान परियोजना के कारण उनपर प्रदूषण फैलाने और प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करने के जो आरोप लगे थे, अब झूठे करार दिए जायेंगें| गुजरात में मुद्रा पोर्ट और एसईजेड बनाने के समय सागर तट को बर्बाद करने और मंग्रोव जंगलों को नष्ट करने के जो आरोप लगे थे – सभी आरोप भुला दिए जायेंगें और वे पर्यावरण संरक्षण के मसीहा के तौर पर जाने जायेंगें|

अडानी पर मानवाधिकार हनन के आरोप भी भुला दिए जायेंगें| नरसंहार करने वाली और लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट करने वाली म्यांमार की सेना के लिए अडानी की कंपनी म्यांमार में पोर्ट का विकास कर रही है और दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया में कोयला खदान परियोजना के विरोधियों और उनके परिवारों की जासूसी प्राइवेट जासूसों से करवाई जा रही है और उन्हें खुले आम धमकियां दी जा रही हैं|

गौतम अडानी और नरेंद्र मोदी में समानताएं ही समानताएं हैं| दोनों ही व्यक्तिवादी, निरंकुश और क्रूर हैं| दिनों ही केवल अपने मुनाफे के लिए काम करते हैं – अडानी आर्थिक मुनाफे के लिए और मोदी राजनैतिक मुनाफे के लिए| दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों को ही जनता से कोई मतलब नहीं है| अब जब अडानी दुनिया के सबसे अमीर दस कारोबारियों में शामिल हो गए हैं, तब यह सवाल उठाना तो लाजिमी है कि क्या अडानी के सहयोग के बिना मोदी देश के प्रधानमंत्री बन पाते और क्या यदि मोदी के बदले कोई और प्रधानमंत्री बनता तब अडानी आज जिस मुकाम पे खड़े हैं वहां पहुँच पाते? हरेक साल जब बजट पेश होता है तब नरेंद्र मोदी इसे गरीबों का बजट बताते हैं – पर गरीबों की देश में संख्या बढ़ती जाती है और अडानी पहले से अधिक अमीर हो जाते हैं – इससे इतना तो स्पष्ट है कि मोदी जी के "गरीब" दरअसल गौतम अडानी ही हैं| सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश के उर्जा क्षेत्र, समुद्री बंदरगाह, हवाई अड्डों और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को केवल एक मुनाफाखोर कारोबारी के हवाले कर कहीं सरकार देश की सुरक्षा और जनता के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रही है|

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