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विमर्श

ब्राजील में चुनाव हारे बोलसोनारो समर्थकों ने नये वामपंथी राष्ट्रपति​ को डराने के लिए पुलिस मुख्यालय पर किया हमला, देश को झोंका हिंसा की आग में

Janjwar Desk
15 Dec 2022 10:47 AM IST
ब्राजील में चुनाव हारे बोलसोनारो समर्थकों ने नये वामपंथी राष्ट्रपति​ को डराने के लिए पुलिस मुख्यालय पर किया हमला, देश को झोंका हिंसा की आग में
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ब्राजील में चुनाव हारे बोलसोनारो समर्थकों ने नये वामपंथी राष्ट्रपति​ को डराने के लिए पुलिस मुख्यालय पर किया हमला, देश को झोंका हिंसा की आग में

जेर बोल्सेनारो का अब प्रयास यह है कि देश को हिंसा के हवाले झोंककर नए राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डासिल्वा के शपथ ग्रहण समारोह को रोका जा सके, पुलिस मुख्यालय पर हमले के दिन ही ब्राज़ील के इलेक्टोरल कोर्ट में अधिकृत तौर पर नए राष्ट्रपति की चुनावी जीत का ऐलान किया था...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

In Brazil, supporters of Jair Bolsenaro stormed the Federal Police Headquarters – observers say it is a repeat of US Capitol Hill attack. ब्राज़ील की राजधानी ब्रासिलिया में 12 दिसम्बर को राष्ट्रपति जेर बोल्सेनारो के कट्टर समर्थकों ने हजारों की संख्या में पहुँचकर पुलिस मुख्यालय पर धावा बोल दिया, वाहनों को आग के हवाले कर दिया, और तोड़-फोड़ की। ब्राज़ील के राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार प्रजातंत्र पर यह ठीक वैसा ही हमला था जैसा अमेरिका में ट्रम्प समर्थकों ने 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी संसद, कैपिटोल हिल, पर किया था।

अक्टूबर के चुनावों में घुर दक्षिणपंथी जेर बोल्सेनारो की हार हो चुकी है, और वामपंथी लुइज़ इनासियो लूला डासिल्वा नए राष्ट्रपति निर्वाचित किये गए हैं। नए राष्ट्रपति 1 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं। जेर बोल्सेनारों ने चुनावों में खूब धांधली की, नतीजों के बाद चुनाव प्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए, नतीजों को मानने से इनकार किया, और अब हिंसा द्वारा देश को अस्थिर कर चुनाव नतीजों को टालने की जीतोड़ कोशिश में लगे हैं। उन्होंने अपने एक सहयोगी उद्योगपति द्वारा चुनाव नतीजों में धांधली का आरोप लगाकर मुकदमा भी करवाया, पर न्यायालय ने उस सहयोगी पर ही भारी जुर्माना थोप दिया।

जेर बोल्सेनारो का अब प्रयास यह है कि देश को हिंसा के हवाले झोंककर नए राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डासिल्वा के शपथ ग्रहण समारोह को रोका जा सके। पुलिस मुख्यालय पर हमले के दिन ही ब्राज़ील के इलेक्टोरल कोर्ट में अधिकृत तौर पर नए राष्ट्रपति की चुनावी जीत का ऐलान किया था।

इस ऐलान के ठीक बाद स्थानीय पुलिस ने जेर बोल्सेनारो के एक कट्टर समर्थक को गिरफ्तार कर लिया। यह समर्थक एक बैठक में देश में व्यापक हिंसा फैलाने की बात कर रहा था। इसी गिरफ्तारी के ठीक बाद ही बोल्सेनारो के हजारों समर्थक पुलिस मुख्यालय पर पहुंचकर हिंसा और आगजनी करने लगे। हालां कि पुलिस ने इस हमले को नाकाम कर दिया पर राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार ब्राज़ील में ऐसी वारदातें और होंगीं। राजनैतिक विश्लेषक थॉमस ट्रूमैन ने कहा है कि जेर बोल्सेनारो ने एक अत्यंत लोकप्रिय दक्षिणपंथी आन्दोलन से शुरुआत कर उग्रवादी गिरोह के सरगना बन गए। एक स्थानीय पत्रकार, एलन रिओस, के अनुसार हमले के समय पूरा शहर एक युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया था।

दक्षिणपंथी स्वार्थी, सत्तालोभी और हिंसक होते हैं – यह एक वैश्विक सत्य है और इसका उदाहरण तमाम देशों के शासक लगातार देते रहे हैं। दूसरा वैश्विक सत्य यह है कि ऐसे सभी शासक एक दूसरे के घनिष्ट मित्र होते हैं, और निरंकुशता के आयाम एक-दूसरे से सीखते हैं। वर्तमान समय में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं, जिन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए अमेरिका जैसे देश में भी मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी को बेतरह कुचला, अपने ही देश के चुनाव प्रणाली पर अनर्गल आरोप लगाए, चुनाव नतीजों को मानने से इनकार किया और अंत में अपने समर्थकों से अमेरिकी संसद पर हमला करवा दिया।

6 जनवरी 2021 को पूरे दुनिया स्तब्ध होकर यह तमाशा देश चुकी है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि डोनाल्ड ट्रम्प वर्ष 2024 में फिर से राष्ट्रपति बनाने के सपने देख रहे हैं, और यदि ऐसा हो गया तो प्रजातंत्र की दुहाई देते सभी देश उनका फिर से गले मिल कर स्वागत करेंगें, और अमेरिका जाकर "अबकी बार ट्रम्प सरकार" का नारा भी लगायेंगे, ट्रम्प के स्वागत में झोपड़पट्टी को ढककर कपडे की सफ़ेद दीवाल भी खडी कर देंगें। जेर बोल्सेनारो और डोनाल्ड ट्रम्प में गहरी दोस्ती थी।

वर्ष 2020 में ब्राज़ील के सर्वोच्च न्यायालय में राष्ट्रपति जेर बोल्सोनारो पर मुक़दमा दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति संघीय पुलिस को अपने अधिकार में करना चाहते हैं। सर्वोच्च न्यायालय में इस मुकदमे की सुनवाई में कहा, गणतंत्र के राष्ट्रपति पर भी वैसे ही सारे क़ानून लागू होते हैं जैसे किसी भी सामान्य व्यक्ति पर। राष्ट्रपति समेत किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह देश के क़ानून या संविधान की अवहेलना करे। ये वही राष्ट्रपति हैं जिन पर तमाम आरोप लगते रहे हैं - महिलाओं के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, नस्लवादी और रंगभेदी वक्तव्य देते हैं, हिंसा और खून-खराबा को बढ़ावा देते हैं, खुलेआम तानाशाही के समर्थक हैं, अमेजन के जंगलों को बर्बाद कर रहे हैं। जेर बोल्सेनारो और हमारे प्रधानमंत्री में भी अच्छी मित्रता है - हमारी सरकार इनको इतना सम्मान देती है कि गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनाकर स्वागत करती है।

सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति पर अधिकारों के दुरुपयोग, न्याय प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इन सबके बाद से राष्ट्रपति बोल्सोनारो की लोकप्रियता लगातार कम हो रही है, और वर्ष 2020 में एक सर्वेक्षण में 50 प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने कहा कि उन्हें अपने पद से हटा देना चाहिए। ब्राज़ील के विपक्ष के साथ-साथ दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ता उनपर पर्यावरण, संस्कृति और लोकतंत्र को बर्बाद करने का आरोप लगाते रहे हैं।

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम में भी वे पूरी तरह से असफल रहे थे, संक्रमण की आंकड़े छुपाने का भी उनपर आरोप है। मार्च 2020 के शुरू में वे एक प्रतिनिधिमंडल लेकर अमेरिका में ट्रम्प से मिलने अमेरिका गए थे, वापसी में उस दल के 20 सदस्य कोरोनाग्रस्त पाए गए थे। दुनिया के तमाम बुद्धिजीवियों, कलाकारों, वैज्ञानिकों और मशहूर हस्तियों ने वर्ष 2020 में एक खुले पत्र के माध्यम से जेर बोल्सोनारो से अपील की थी कि ब्राज़ील के अमेज़न के जंगलों में बसने वाली स्थानिक जनजातियों को कोरोना वायरस के कहर से बचाने का इंतजाम किया जाए, नहीं तो ये जनजातियाँ विलुप्त हो जायेंगी और यह एक सामूहिक नरसंहार जैसा ही कृत्य होगा।

जेर बोल्सोनारो के सत्ता में आने के बाद से अमेज़न के जंगल तेजी से काटे जा रहे हैं, इन पर कृषि और उद्योग स्थापित किये जा रहे हैं और विरोध करने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरा बताकर मारे जा रहे हैं। ब्राज़ील का अमेज़न क्षेत्र धरती का फेफड़ा कहा जाता है, और यह पूरे धरती की जलवायु को नियंत्रित करने का महत्वपूर्ण अवयव है। पर, जेर बोल्सोनारो के सत्ता में आने के बाद से इसे बुरी तरह से नष्ट किया जा रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 103 स्थानिक जनजातियाँ हैं, पर जंगलों के विनाश के कारण अब इनका अस्तित्व संकट में है। बाहरी लोग उद्योग और कृषि के लिए यहाँ कब्जा करते जा रहे हैं।

वर्ष 2020 में ही नव-निर्वाचित राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डेसिल्वा ने कोविड 19 के सन्दर्भ में एक इंटरव्यू में कहा था कि जेर बोल्सोनारो देश को स्लॉटरहाउस बना चुके हैं। सेंटर फॉर हेल्थ ऑपरेशंस एंड इंटेलिजेंस, जो ब्राज़ील के विश्विद्यालयों और वैज्ञानिकों का एक स्वतंत्र समूह है, के अनुसार ब्राज़ील कोविड 19 से ग्रस्त मरीजों और इनसे मरने वालों के जो आंकड़े दुनिया को बता रहा था, वह वास्तविक संख्या का केवल 8 प्रतिशत है। भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का तोहफा ट्रम्प के साथ ही जेर बोल्सोनारो को भी दिया था, जिस पर जेर बोल्सोनारो ने मोदी जी को हनुमान बताया था।

भले ही यह खबर ब्राज़ील का अंदरूनी मामला हो, पर इससे दुनिया के सारे लोकतंत्र एक सबक तो ले ही सकते हैं। ब्राज़ील की यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस खबर से इतना तो स्पष्ट है कि वहां की न्याय व्यवस्था, चुनाव प्रणाली, संवैधानिक संस्थाएं, पुलिस और मीडिया आज भी स्वतंत्र है, निष्पक्ष है। ब्राज़ील के पुलिस की निष्पक्षता देखिये, जो राष्ट्रपति और उनके परिवार की शिकायतें भी उतनी ही कर्तव्यनिष्ठ के साथ दर्ज करती हैं, जितना सामान्य नागरिकों के।

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