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अमृतकाल के जश्न में डूबे देश में बड़ी अर्थव्यवस्था के सुनहरे सपनों के बीच बढ़ रही असमानता, अरबपतियों की संपत्ति में 41 प्रतिशत इजाफा !

Janjwar Desk
24 Aug 2024 1:36 PM IST
अमृतकाल के जश्न में डूबे देश में बड़ी अर्थव्यवस्था के सुनहरे सपनों के बीच बढ़ रही असमानता, अरबपतियों की संपत्ति में 41 प्रतिशत इजाफा !
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 (file photo)

प्रधानमंत्री जी ने भले ही संपत्ति पुनर्वितरण को लेकर चुनावों के समय लगातार भ्रामक प्रचार करते रहे हों, पर मोदी राज में भी संपत्ति का पुनर्वितरण बड़े पैमाने पर हो रहा है। मोदीराज में इसके लाभार्थी अडानी-अम्बानी जैसे अरबपति हैं...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

A new report published by Hurun India tells about increasing economic inequality in India : हरुन इंडिया नामक संस्था ने हाल में ही भारत के खानदानी उद्योगपतियों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के अनुसार परम्परागत व्यवसायी परिवार के सन्दर्भ में मुकेश अंबानी खानदान देश में आर्थिक तौर पर सबसे प्रभावी परिवार है, इस परिवार की कुल संपत्ति 309 अरब डॉलर या 25.75 लाख करोड़ रुपये के समतुल्य है। यहाँ तक तो सबकुछ सामान्य लगता है, पर हैरानी तो यह जानकार होती है कि मुकेश अंबानी खानदान की कुल संपत्ति पूरे भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत है। जाहिर है, कुल जीडीपी का 10 प्रतिशत मालिक केवल एक परिवार है, और शेष 90 प्रतिशत 140 करोड़ से अधिक जनता के हिस्से आता है।

परम्परागत व्यावसायी परिवार में संपत्ति के सन्दर्भ में दूसरे स्थान पर बजाज परिवार है, जिसकी कुल संपत्ति 7.13 लाख करोड़ रुपये के समतुल्य है। तीसरे स्थान पर 5.39 लाख करोड़ रुपये के साथ कुमार मंगलम बिड़ला परिवार है। अम्बानी, बजाज और बिड़ला परिवार की सम्मिलित संपत्ति 460 अरब डॉलर है, जो भारत के कुल जीडीपी का लगभग 15 प्रतिशत और पूरे सिंगापुर के जीडीपी के समतुल्य है। पहले जेनरेशन के व्यवसायियों के परिवारों की सूची में पहला नाम गौतम अडानी परिवार का है, और दूसरा नाम पूनावाला का है। अडानी परिवार के पास 15.45 लाख करोड़ रुपये और पूनावाला परिवार के पास 2.37 लाख करोड़ रुपये हैं। पहले के तीनों परिवारों के साथ यदि अडानी और पूनावाला के परिवारों की संपत्ति जोड़ दें तो यह संपत्ति पूरे देश के जीडीपी के लगभग 22 प्रतिशत के समतुल्य है।

हमारे देश में अडानी और अंबानी के पास इतनी संपत्ति है कि इनके सामने दूसरे अरबपति निहायत ही गरीब नजर आते हैं। अंबानी के पास 25.75 लाख करोड़ और अडानी के पास 15.45 लाख करोड़ रुपये हैं। खानदानी व्यवसायियों की सूची में अम्बानी के बाद दूसरे स्थान पर बजाज परिवार है, जिसके पास अम्बानी के 25.75 लाख करोड़ रुपये की तुलना में महज 7.13 लाख करोड़ रुपये हैं। पहली पीढ़ी के व्यवसायियों में पहले स्थान पर 15.45 लाख करोड़ रुपये के साथ अडानी हैं, जबकि दूसरे स्थान पर काबिज पूनावाला परिवार के पास महज 2.37 लाख करोड़ रुपये हैं।

देश में आर्थिक असमानता केवल पूंजीपतियों और आम जनता में नहीं है, बल्कि आम जनता के सन्दर्भ में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में भी है। केंद्र सरकार के नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस द्वारा प्रकाशित पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-2023 के अनुसार देश के ग्रामीण आबादी द्वारा प्रतिव्यक्ति महीने में 3773 रुपये खर्च किया जाता है, जबकि शहरी आबादी द्वारा यह प्रतिव्यक्ति खर्च 6459 रुपये है – यानि शहरी क्षेत्र की आमदनी ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में औसतन 1.71 गुना अधिक है। इस रिपोर्ट से आर्थिक असमानता के बारे में बहुत कुछ पता चलता है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की 60 से 70 प्रतिशत आबादी की आमदनी राष्ट्रीय औसत से भी कम है।

इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1999-2000 से वर्ष 2011-2012 के बीच ग्रामीण क्षेत्र में औसत आमदनी 2.94 गुना बड़ी, जबकि शहरी क्षेत्र में यह बृद्धि 3.08 गुना रही, पर इसके बाद आमदनी में वृद्धि की रफ़्तार कुछ कम रही। वर्ष 2011-2012 से 2022-2023 के बीच ग्रामीण आमदनी में 2.64 गुना और शहरी आबादी में 2.45 गुना बृद्धि दर्ज की गयी। इसके बाद भी मोदी सरकार ने आमदनी बढाने के तमाम निराधार दावे किये, और मेनस्ट्रीम मीडिया ने और सोशल मीडिया ने इन निराधार दावों का खूब प्रसार किया।

इस रिपोर्ट के अनुसार शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बढती अमीरी के साथ आर्थिक असमानता बढ़ती जाती है, यानी गरीब शहरी और गरीब ग्रामीण आबादी में आर्थिक असमानता कम है, जबकि अमीर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में यह असमानता अधिक है। आर्थिक स्तर पर सबसे कमजोर 5 प्रतिशत आबादी में यह असमानता 1.46 गुना है, जबकि सबसे समृद्ध 5 प्रतिशत आबादी में यह असमानता 1.98 गुना तक है।

ग्रामीण क्षेत्र में सबसे गरीब 5 प्रतिशत आबादी की तुलना में सबसे अमीर 5 प्रतिशत आबादी की आमदनी 7.65 गुना अधिक है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह असमानता 10.41 गुना अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे गरीब 60 प्रतिशत आबादी जितना सम्मिलित तौर पर खर्च करती है, उससे अधिक खर्च सबसे अमीर 10 प्रतिशत आबादी कर डालती है। शहरी क्षेत्रो में 70 प्रतिशत गरीब आबादी जितना सम्मिलित खर्च करती है, उससे अधिक खर्च सबसे अमीर 10 प्रतिशत आबादी कर डालती है।

फोर्ब्स द्वारा वर्ष 2024 के अरबपतियों की सूची में 200 नाम भारत से हैं, जबकि वर्ष 2023 के सूची में महज 169 भारतीय ही थे। इन 200 अरबपतियों की सम्मिलित सम्पदा 954 अरब डॉलर, यानी लगभग 1 खरब डॉलर है। देश की 140 करोड़ से अधिक आबादी है और इसकी जीडीपी औसतन 7.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ती है – इस आबादी में से महज 200 लोगों के पास जीडीपी का 27 प्रतिशत है, और इस 27 प्रतिशत में 41 प्रतिशत का उछल हो रहा है – यानी देश के गरीबों की सम्पदा में वृद्धि तो निगेटिव में हो रही है। यही मोदी जी का तथाकथित विकास है, जिस पर बेरोजगार, भूखे, नंगे सभी तालियाँ बजा रहे हैं और मोदी-मोदी के नारे लगा रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी ने भले ही संपत्ति पुनर्वितरण को लेकर चुनावों के समय लगातार भ्रामक प्रचार करते रहे हों, पर मोदी राज में भी संपत्ति का पुनर्वितरण बड़े पैमाने पर हो रहा है। मोदीराज में इसके लाभार्थी अडानी-अम्बानी जैसे अरबपति हैं। वर्ष 2023 की तुलना में भारत के अरबपतियों की सम्मिलित सम्पदा में 41 प्रतिशत का उछाल आया है, वर्ष 2023 में यह 675 अरब डॉलर थी और अब 954 अरब डॉलर है। वर्ष 2024 के लिए यदि देश के सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है तो देश की अर्थव्यवस्था 4 खरब डॉलर की होगी और अरबपतियों की संपत्ति में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाएं तो इनकी हिस्सेदारी 1.33 खरब डॉलर तक पहुँच जायेगी। जाहिर है, अगले वर्ष इन गिने-चुने अरबपतियों की भागीदारी देश की कुल अर्थव्यवस्था में 27 प्रतिशत से बढ़कर 33 प्रतिशत पहुँच जायेगी।

इन आंकड़ों से इतना तो स्पष्ट है कि हमारे देश में हरेक स्तर पर आर्थिक असमानता स्पष्ट होती है, पर हमारे मेनस्ट्रीम मीडिया और विपक्ष के लिए यह कोई मुद्दा नहीं है। आर्थिक असमानता कभी चुनावी मुद्दा भी नहीं बनता। अमृतकाल के जश्न में डूबे देश में बड़ी अर्थव्यवस्था के सुनहरे सपनों के बीच असमानता बढ़ रही है, पर सब खामोश हैं।

संदर्भ:

1. https://hurunindia.com/blog/barclays-private-clients-and-hurun-india-release-the-first-edition-of-barclays-private-clients-hurun-india-most-valuable-family-businesses/

2. Survey on Household Consumption Expenditure: 2022-2023, NSS Report No. 591(HCES:2022-23), National Sample Survey Office, Government of India – www.mospi.gov.in

3. Forbes 38th Annual World’s Billionaires List: Facts & Figures - https://www.forbes.com/sites/chasewithorn/2024/04/02/forbes-38th-annual-worlds-billionaires-list-facts-and-figures-2024/?sh=8888f7443a60

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