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विमर्श

Israel-Hamas War : अपने ही घोषणापत्र को झुठलाते भारत समेत जी20 के सभी देश, शांति के बजाय नरसंहार और युद्ध भड़काने में संलग्न

Janjwar Desk
15 Nov 2023 7:48 AM GMT
Israel-Hamas War : अपने ही घोषणापत्र को झुठलाते भारत समेत जी20 के सभी देश, शांति के बजाय नरसंहार और युद्ध भड़काने में संलग्न
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PM मोदी के साथ इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू 

नवम्बर को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा था कि गाज़ा का क्षेत्र महिलाओं और बच्चों की कब्रगाह बनता जा रहा है। हाल के आंकड़ों के अनुसार इस युद्ध में अब तक 4600 से अधिक बच्चों और 3200 से अधिक महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The world has become more dangerous place under India’s presidency of G20. भारत ने जब से जी20 की अध्यक्षता शुरू की है तबसे दुनिया पहले से अधिक अस्थिर हो गयी है। प्रधानमंत्री मोदी और तमाम अंधभक्त भले ही बड़े गर्व से वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हों, एक धरती-एक परिवार-एक भविष्य की बात करते हों और आत्मप्रशंसा में विभोर रहते हों, अपने आप को विश्वगुरु घोषित करते हों – पर तथ्य यही है कि दुनिया में शांति की, मानवाधिकार की और अभिव्यक्ति की आजादी की इससे बदतर स्थिति पिछले कई दशकों में नहीं रही है। इसके बाद भी यदि अमेरिका और यूरोपीय देशों की सत्ता प्रधानमंत्री मोदी के सामने नतमस्तक होती है, तब यह समझाना कठिन नहीं है कि दुनिया पूरी तरह से निरंकुश तानाशाही से जकड़ चुकी है और अब चरम कट्टर दक्षिणपंथी पूरी दुनिया पर अपना अधिकार कर चुके हैं।

जी20 के नई दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया है, “हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति एवं स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को निरंतर बनाए रखने का आह्वान करते है। युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान, और संकटों के समाधान के लिए प्रयास करने के साथ-साथ कूटनीति और वार्तालाप भी अत्यंत आवश्यक है। हम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रतिकूल प्रभाव को समाप्त करने के अपने प्रयासों में एकजुट होंगे और हम उन सभी प्रासंगिक और रचनात्मक पहलों का स्वागत करेंगे जो यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और सतत शांति सुनिश्चित करेगी, जिससे एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य की भावना के तहत राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों को कायम रखा जा सकेगा। आज का दौर निश्चित रूप से युद्ध का नहीं होना चाहिए।” अपने ही घोषणापत्र पर भारत समेत सभी जी20 देश कायम नहीं हैं, और युद्धों के समाधान के लिए नहीं बल्कि नरसंहार और युद्धों को भड़काने में संलग्न हैं। नरसंहार करते देशों के साथ सभी आर्थिक शक्तियां खडी हैं, और जिनका संहार किया जा रहा है वे सभी कटघरे में खड़े किये जा रहे हैं।

इस दौर में संयुक्त राष्ट्र का मतलब तो स्वयं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को भी नहीं समझ में आता होगा, जी7 और जी20 समूह तो पूरी तरह बेहद घिनौने पिकनिक पार्टी में तब्दील हो चुके हैं। ऐसे में यदि दुनिया की महाशक्तियां एक निहायत ही आतंकवादी समतुल्य देश, इजराइल, द्वारा किये जाने वाले नरसंहार का हरेक तरीके से समर्थन करने में व्यस्त हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होता। इन देशों का ही प्रभाव है कि इजराइल द्वारा सीधे फिलिस्तीन पर – वहां के स्कूलों पर, अस्पतालों पर, सहायता केन्द्रों पर और आबादी पर - लगातार घातक और भीषण हमलों के बाद भी इसे इजराइल-हमास युद्ध की कहा जा रहा है, इजराइल -फिलिस्तीन युद्ध नहीं।

गाजापट्टी के हरेक नागरिक को दुनिया ने हमास के समतुल्य ला खड़ा किया है। यह ठीक उसी तरह है, जैसे भारत में पाकिस्तान के हरेक नागरिक को केवल आतंकवादी ही समझा जाता है। भारत समेत अमेरिका और यूरोपीय देशों में फिलिस्तीनी समर्थन में उठती हरेक आवाज को दबाया जा रहा है।

गाजापट्टी का क्षेत्र तमाम दबावों के बाद भी साहित्य, कला और संगीत में बहुत समृद्ध था, पर अब लगातार कलाकार मारे जा रहे हैं। इनमें से अधिकतर कलाकार या कवि युद्ध के बीच भी शांति का सन्देश दे रहे थे, या फिर वहां की वास्तविक स्थिति सोशल मीडिया या फिर दूसरे माध्यमों से लोगों तक पहुंचा रहे थे। 20 अक्टूबर को खान युनिस क्षेत्र में इजराइली हवाई हमले में 32 वर्षीय युवा कवियित्री और उपन्यास लेखिका हिबा अबू नाडा मारी गईं। उन्हें वर्ष 2017 में उपन्यास और कविता संग्रह, ऑक्सीजन इज नोट फॉर द डेड, के लिए शारजाह में अवार्ड फॉर अरब क्रिएटिविटी श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार मिला था। मरने से दो दिन पहले ही उन्होंने सोशल मीडिया पर गाजापट्टी की रात पर अपनी अंतिम कविता पोस्ट की थी। कविता थी –

गाज़ा में रात

घनी है - चकाचौंध केवल राकेटों की है

खामोश है - धमाके केवल बमों के हैं

डरावनी है – सुकून बस प्रार्थना है

अंधियारी स्याह है – आभा केवल शहीदों की है

शुभरात्रि गाज़ा

अल-अली बैप्टिस्ट हॉस्पिटल पर किये गए हवाई हमलों में एक चित्रकार, मोहम्मद सामी क़रिकुआ की मृत्यु हो गयी। वे पिछले कई दिनों से अस्पताल के अन्दर के भयावह दृश्यों को और वहां इकट्ठा होते लोगों की परेशानियों को मोबाइल कैमरे में कैद कर रहे थे, लोगों से बातचीत कर रहे थे। यह सब उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने अंतिम सन्देश में बताया था, और कहा थे कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि यहाँ की स्थितियां में बाहरी दुनिया तक पहुंचाऊं।

गाज़ा पर किये गए हवाई हमलों में 39 वर्षीय फिलिस्तीनी चित्रकार हेबा ज़गोउट की भी मृत्यु हो गयी। उन्हें धार्मिक स्थलों में एकता और फिलिस्तीनी महिलाओं के चित्रों के लिए जाना जाता है। उनके अधिकतर चित्रों में मस्जिद के साथ ही चर्च का भी चित्रण है, और महिलाओं के शांति प्रयासों का भी चित्रण है। उन्होंने गाज़ा स्थित अल अक्सा यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट्स से स्नातक किया था। 28 सितम्बर को यूट्यूब पर अपने अंतिम सन्देश में हेबा ज़गोउट कहा था कि चित्रकारी से सभी निगेटीव ख्याल मस्तिष्क से निकल जाते हैं और वे अपनी कला के माध्यम से फिलिस्तीनी जनता की मांगें और उनकी पहचान को दुनिया तक पहुंचाना चाहती हैं।

7 अक्टूबर से शुरू हुए इजराइली हमलों में एक महीने के भीतर ही 39 पत्रकार मारे गए, यानि हरेक दिन औसतन एक से अधिक पत्रकार की मृत्यु दर्ज की गयी - यह संख्या किसी भी लम्बे समय तक चले युद्ध में मारे गए पत्रकारों की संख्या से बहुत ज्यादा है। रूस-यूक्रेन के बीच लगभग डेढ़ वर्षों से चल रहे युद्ध में अब तक 17 पत्रकारों की ही मृत्यु हुई है। लगभग 6 वर्षों (1939-1945) तक चले द्वितीय विश्वयुद्ध में पूरे युद्ध के दौरान केवल 69 पत्रकारों की मृत्यु हुई थी, जबकि दो दशकों तक चले अमेरिका-विएतनाम युद्ध के दौरान 63 पत्रकारों की मृत्यु दर्ज की गयी थी। वर्ष 2003 में जब अमेरिका और इसके सहयोगियों ने इराक से युद्ध छेड़ा था, तब भी पहले महीने में महज 11 पत्रकारों की मृत्यु हुई थी। वर्ष 2011 से शुरू किये गए सीरिया युद्ध में तो पहले महीने किसी भी पत्रकार की मृत्यु नहीं दर्ज की गयी थी।

6 नवम्बर को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा था कि गाज़ा का क्षेत्र महिलाओं और बच्चों की कब्रगाह बनता जा रहा है। हाल के आंकड़ों के अनुसार इस युद्ध में अब तक 4600 से अधिक बच्चों और 3200 से अधिक महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष ने हाल में ही बताया है कि इस युद्ध में हरेक 10 मिनट के समय में औसतन एक बच्चे की मृत्यु हो रही है। इजराइली सेना स्कूलों को अपना निशाना बना रही है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 6 नवम्बर तक इजराइल के हमलों में 190 स्वास्थ्य कर्मियों और 20 आपातकालीन सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों की मृत्यु दर्ज की गयी है। अब तक बड़े अस्पतालों समेत 100 से अधिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमले किये गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के मदद पहुंचाते कर्मचारियों के लिए यह युद्ध अब तक का सबसे घातक युद्ध रहा है। 6 नवम्बर तक संयुक्त राष्ट्र के फिलिस्तीनी शरणार्थियों से सम्बंधित संस्था के 88 कर्मचारी अब तक मारे जा चुके हैं और इनके 47 इमारतों को धराशाई किया जा चुका है।

इजराइल-फिलिस्तीन के बीच चल रहा यह युद्ध आधुनिक इतिहास का सबसे घातक युद्ध है, फिर भी अभी तक दुनिया और मीडिया इसे इजराइल-हमास युद्ध बताने पर जुटी है। जाहिर है, आज के दौर में किसी आतंकवादी संगठन और देशों में कोई अंतर नहीं रह गया है – और दुनिया के देश अपनी सुविधा के हिसाब से युद्ध में किसी एक पक्ष का समर्थन करते दिखते हैं, भले ही वह पक्ष मानवता की हत्या कर रहा हो।

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