अब अमेरिका नहीं, बल्कि चीन है दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
कोविड 19 के दौर में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई, चीन को ट्रम्प समेत अनेक शासकों ने कोविड 19 का जिम्मेदार करार दिया, भारत और अमेरिका समेत अनेक देशों में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की होड़ लग गई, यूरोपीय देशों ने चीन को संदेह की दृष्टि से देखना शुरू कर दिया – पर इन सबके बीच चीन ने शांति से अमेरिका को पछाड़ कर अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे बड़ा बना डाला।
हाल में ही इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड (IMF) द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड इकनोमिक आउटपुट नामक रिपोर्ट के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था 24.2 खरब डॉलर की है, जबकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था 20.8 खरब डॉलर की ही है।
आईएमऍफ़ किसी देश की अर्थव्यवस्था का आकलन परचेजींग पॉवर पैरिटी (purchas।ng power par।ty, PPP) नामक विधि से करता है, जिसका मतलब है आप अपनी मुद्रा से किसी देश में कितना कुछ खरीद सकते हैं। दूसरी प्रचलित विधि मार्किट एक्सचेंज रेट (market exchange rate, MER) है, पर यह अर्थव्यवस्था का सही आकलन करने में नाकाम है। एमईआर के साथ समस्या यह है कि इस विधि में दो देशों के बीच किसी उत्पाद की कीमत में अंतर का भी समावेश किया जाता है, जबकि पीपीपी विधि में इसे हटा दिया जाता है।
अमेरिका की सीआईए ने भी अब पीपीपी विधि से ही जीडीपी का आकलन शुरू कर दिया है। एक अमेरिकी डॉलर से स्वयं अमेरिका की तुलना में चीन में दुगुना सामान खरीदा जा सकता है, पर एमईआर विधि में इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
अर्थशास्त्र से सम्बंधित प्रसिद्ध पत्रिका, द इकोनॉमिस्ट, ने इसे विस्तृत उदाहरण के साथ समझाया है। वर्ष 2019 में चीन ने 99 खरब युआन (चीन की मुद्रा) के उत्पादों का उत्पादन किया, जबकि अमेरिका ने 21.4 खरब डॉलर का उत्पादन किया। दूसरी तरफ बाजार में एक डॉलर का मूल्य 6.9 युआन के समतुल्य है। इस संदर्भ में देखें तो अमेरिका की अर्थव्यवस्था की तुलना में चीन की कुल जीडीपी महज 14 खरब डॉलर की ठहरती है, जो चीन की अर्थव्यवस्था की गलत तस्वीर पेश करती है।
वास्तविक बाजार एक अलग तस्वीर पेश करता है। चीन में मैकडोनाल्ड के बिग मैक की कीमत 21.70 युआन है, जबकि अमेरिका में इसकी कीमत 5.71 डॉलर है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि वास्तविकता में महज 3.8 युआन में आप उतना खरीद सकते हैं, जितना 1 डॉलर में खरीद सकते हैं, पर बाजार में 6.9 युआन से समतुल्य 1 डॉलर है, और यह एक भ्रामक आंकड़ा है।
आईएमएफ द्वारा जीडीपी का आकलन करने वाली पीपीपी मॉडल, जिसमें वास्तविक मूल्य का समावेश किया जाता है, से यदि देखें तो चीन की जीडीपी जो 99 खरब युआन की है, वह अमेरिकी डॉलर के सन्दर्भ में 26 खरब डॉलर हैं, जबकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था का आकार महज 21.4 खरब डॉलर का है।
द इकोनॉमिस्ट के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था पिछले 30 वर्षों से प्रतिवर्ष औसतन 10 प्रतिशत की दर से लगातार बढ़ रही है, जबकि दुनिया इस बीच कम से कम दो बार आर्थिक मंदी के दौर से गुजर चुकी है।
ब्लूमबर्ग के अनुसार दुनिया के अर्थव्यवस्था के बढ़ोत्तरी में चीन का योगदान वर्ष 2021 में 26.8 प्रतिशत रहेगा, जिसके वर्ष 2025 तक बढ़कर 27.7 प्रतिशत तक पहुंचानी की उम्मीद है। आईएमऍफ़ के अनुसार चीन में अगले वर्ष बृद्धि दर 8.2 प्रतिशत तक पहुँच जायेगी।