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Kanwar Yatra Controversy : मुस्लिम दुकानदारों पर पुलिस ने लादी 'धार्मिक तानाशाही', बड़े अक्षरों में करनी होगी पहचान उजागर !

Janjwar Desk
17 July 2024 9:06 AM GMT
Kanwar Yatra Controversy : मुस्लिम दुकानदारों पर पुलिस ने लादी धार्मिक तानाशाही, बड़े अक्षरों में करनी होगी पहचान उजागर !
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पुलिस अपनी सफाई में कह रही है कि कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल—ढाबों को मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर चलाये जाने की शिकायतों को लेकर हर बार विवाद होता रहा है, ऐसे में इस बार पुलिस और प्रशासन पहले से ही सक्रिय हो गया है इसलिए यह आदेश पारित किया गया है...

Kanwar Yatra and Muslim live matter : कांवड़ यात्रा की शुरूआत से पहले से यूपी का मुजफ्फरनगर चर्चा का केंद्रबिंदु बना हुआ है और इसका कारण है पुलिस प्रशासन द्वारा मुस्लिम दुकानदारों के लिए जारी किया एक तानाशाहीपूर्ण आदेश। मीडिया में प्र​काशित खबरों के मुताबिक मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली सभी मीट-अंडे और शराब की दुकानें बंद रहेंगी। साथ ही सभी दुकानों, होटल, ढाबों आदि का नाम साफ और बड़े शब्दों में लिखना होगा। गौरतलब है कि पिछले साल भी मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा रूट पर मुस्लिम दुकानदारों को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद इस साल पुलिस द्वारा यह आदेश पारित किया गया है।

क्विंट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के इस आदेश के बाद से कई मुस्लिम मालिकों ने अपने होटल-ढाबों को बंद कर दिया है। पिछले साल भी यहां कुछ ऐसा ही माहौल बना था, जिसके बाद शुद्ध सात्विक भोजन परोसने वाले कई मुस्लिम मालिकों ने अपने होटल बंद कर दिये। उनके मुताबिक शासन-प्रशासन के ऐसे आदेशों और जनता के रवैये के कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था, जिसे उठा पाना बहुत मुश्किल था।


पुलिस के इस आदेश पर सवाल उठाते हुए पेशे से पत्रकार वसीम अकरम त्यागी अपने एक्स एकाउंट पर लिखते हैं, 'मुज़फ़्फ़रनगर में दिल्ली-हरिद्वार मार्ग पर ढाबे हैं। इनमें कुछ ढाबे मुसलमानों द्वारा चलाए जा रहे हैं। अब कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है। आरोप है कि पुलिस द्वारा ढाबा चलाने वाले मुसलमानों पर के ढाबे के नाम के साथ-साथ ढाबा संचालक का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में स्पष्ट रूप से लिखने का दबाव बनाया जा रहा है। पुलिसकर्मी लगातार ढाबा मालिकों से कह रहे हैं कि आपके ढाबे का नाम कुछ भी हो, एक बोर्ड पर अपना नाम जरूर भी लिखें। ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्या 'नए भारत' की 'भारतीय न्याय सहिंता' में ऐसा भी कोई नियम बनाया गया है? कल यदि कुंठित दंगाई गैंग इन ढाबों को नुक़सान पहुंचा दे तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा?'

क्विंट में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक पिछले साल 2023 में मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा के दौरान इसके यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी मुसलमान मालिकों के सभी होटल और कथित तौर पर बंद करा दिए गए थे। इनमें वे शाकाहारी होटल भी शामिल थे जहां खाने में प्याज-लहसून भी नहीं डाला जाता था। अब इस बार बोर्ड लगाने के आदेश के बाद कई ऐसे होटल या ढाबे बंद हो चुके हैं जिनके या तो मालिक मुस्लिम हैं या उनके पार्टनर। उनका कहना है कि वो अपने दुकानों को बंद करने या किसी हिंदू को देने को मजबूर हैं और ऐसा पिछले साल से शुरू हुए विवाद और प्रशासन के कारण है।

क्विंट में ही प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम दुकानदारों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले स्वामी यशवीर ने आरोप लगाया है कि “मुस्लिम समुदाय के लोग खाने में थूक रहे हैं और मूत्र भी कर रहे हैं।”

गौरतलब है कि पिछले वर्ष कावड़ यात्रा के समय मुजफ्फरनगर के बघरा स्थित आश्रम के संचालक स्वामी यशवीर महाराज ने राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर स्थित मुस्लिम होटल, ढाबा मालिकों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने होटलों के नाम हिंदू देवी देवताओं पर रखे हैं, इसलिए इन पर कड़ी कार्रवाई की जाये। इस बार भी स्वामी यशवीर महाराज ने प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर मुस्लिम होटल संचालकों, फलों के ठेलों-रेहड़ियों वालों से अपने नाम मोटे अक्षरों में अंकित करने की मांग की थी।

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने भी प्रशासनिक अधिकारियों को मुस्लिमों द्वारा संचालित होटल-ढाबों पर नाम अंकित करने के निर्देश दिए थे। इसलिए कावड़ यात्रा 2024 शुरू होते ही प्रशासनिक अधिकारियों ने मुस्लिम होटल ढाबों के संचालकों को निर्देश दिए हैं कि वह अपने होटल के बाहर अपने नाम मोटे अक्षरों में अंकित करें, साथ ही इस बार कावड़ मार्ग पर पड़ने वाले फलों के ठेले पर भी मुस्लिम ठेले वालों के नाम लिस्ट लगाकर चिपकाए जाने की बात मीडिया में सामने आ रही है।


मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने मीडिया को दिये बयान में कहा, कावड़ यात्रा शुरू हो चुकी है और हमारे जनपद में लगभग 240 किलोमीटर कावड़ मार्ग है, इसमें जितने भी खाने-पीने के होटल-ढाबे या ठेले, जहां से भी कावड़िये अपनी खाद्य सामग्री खरीद सकते हैं उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि काम करने वाले या संचालकों के नाम वहां जरूर अंकित करें, ताकि किसी भी प्रकार का कोई कंफ्यूजन किसी को न रहे और कहीं भी ऐसी स्थिति न बने की आरोप प्रत्यारोप लगें। इससे कानून व्यवस्था बनी रहेगी।

बकौल पुलिस, कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल-ढाबों को मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर चलाये जाने की शिकायतों को लेकर हर बार विवाद होता रहा है। ऐसे में इस बार पुलिस और प्रशासन पहले से ही सक्रिय हो गया है। पुलिस द्वारा कांवड़ मार्ग पर इसके लिए पूरा अभियान चलाया और होटल व ढाबों पर मालिकों तथा कर्मचारियों के बोर्ड लगाये गये। एसएसपी अभिषेक सिंह कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल, ढाबों, फल विक्रेताओं और अन्य खाद्य पदार्थ तथा सामग्री बेचने वाले सभी लोगों को अपने नाम का बोर्ड लगाना होगा और इसके लिए पुलिस काम कर रही है, ताकि कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार से शिवभक्त भ्रम की स्थिति में न रहें और उनको बोर्ड से पता चल जाये कि उक्त दुकान या ठेला किस व्यक्ति के द्वारा लगाया गया है। इससे व्यवस्था को पारदर्शी और निर्विवाद बनाने में मदद मिलेगी। जो लोग अपने ठेलों, रेहड़ियों, ढाबों—होटलों पर नाम का बोर्ड नहीं लगायेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।

पुलिस प्रशासन की धर्म विशेष के प्रति तानाशाहीपूर्ण रवैये के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश है। इसका विरोध करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सोनू सिंह लिखते हैं, 'सिर्फ और सिर्फ मुसलमान को परेशान करने के लिए आतंकित करने के लिए उन्हें डराने-धमकाने के लिए ऐसा दबाव डाला जा रहा है, इस देश में अब लोकतंत्र खत्म हो चुका है।'

हालांकि ​पुलिस की इस कार्रवाई को सही ठहराने वालों की भी काफी संख्या सोशल मीडिया पर मौजूद है। रोहित पाठक (मोदी का परिवार) नाम का एक्स यूजर्स कहता है, 'इसमें गलत क्या है..? कोई भी व्यवसाय कर रहे हो तो अपनी पहचान बताने में क्या परेशानी है..?? नाम और धर्म छुपाकर व्यवसाय और दुकान चलाने वाले अक्सर पर्व-त्योहारों पर धार्मिक अनुष्ठान को भंग करने का प्रयास करते रहते हैं। इसलिए आधार कार्ड का फ्लेक्स निकलवाकर दुकान पर टांग दो।'

ऐसे ही जय कुमार नाम का एक्स यूजर्स लिखता है, 'सरकार बिलकुल सही कर रही है, तुम पहले अपने कौम को समझाओ की मुस्लिम होकर हिंदू का बोड क्यों लगा रहे है! जो सही है वही लिखो! अगर अच्छा करोगे तो लोग अच्छा सोचेंगे और बुरा करोगे तो लोग बुरा सोचेंगे।'

रमेश (OBC) पिछड़ा वर्ग नाम का यूजर लिखता है, 'मालिक का नाम लिखने का दबाव इसलिए हैं, ताकि कोई सात्विक हिन्दू धोखे से वहां खाना न खा ले, उसे पता होना चाहिए कि यह मुसलमान का ढाबा है, असल में मुसलमान हमारे लिए पिशाच है और पिशाच के घर खाना खाने का निषेध है।'

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