राष्ट्रगान के वक्त साउथ सूडान में राष्ट्रपति ने की थी पेंट में पेशाब, खबर दिखाने वाले 6 पत्रकार भेजे गये जेल
राष्ट्रगान के वक्त साउथ सूडान में राष्ट्रपति ने की थी पेंट में पेशाब, खबर दिखाने वाले 6 पत्रकार भेजे गये जेल
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
In South Sudan 6 journalists have been arrested after the news of urinating President. पिछले कुछ दिनों से हमारे देश में हरेक प्रकार के मीडिया और सोशल मीडिया पर पेशाब की खूब चर्चा की गयी। वैसे पेशाब पर चर्चा इन दिनों केवल हमारे देश में ही नहीं की जा रही है, बल्कि पिछले कुछ महीनों के दौरान बहुत सारे देशों में की गयी है। सबसे नया मामला साउथ सूडान का है, जहाँ ऐसी ही खबर दिखाने के आरोप में 6 पत्रकारों को जेल भेज दिया गया है।
दरअसल दिसम्बर 2022 में एक कार्यक्रम में 71 वर्षीय राष्ट्रपति सलवा कीर भी हिस्सा ले रहे थे। जाहिर है पत्रकारों के कैमरे राष्ट्रपति की तरफ थे। इन पत्रकारों में सरकारी मीडिया नॅशनल ब्रॉडकास्टर्स के 6 पत्रकार भी थे। इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय गान के समय राष्ट्रपति समेत सभी लोग खड़े हो गए। इसी दौरान राष्ट्रपति ने अचानक नीचे देखना शुरू किया और पानी की एक धारा धीरे-धीरे उनके पैंट पर ऊपर से नीचे की तरफ बहने लगी। इसके बाद राष्ट्रपति वहां से तुरंत राष्ट्रगान को छोड़कर चले गए।
राष्ट्रपति की इस अवस्था को देखकर लगभग सभी पत्रकारों ने अपने कैमरे उनकी तरफ से हटा लिए, पर नॅशनल ब्रॉडकास्टर्स के 6 पत्रकारों ने पूरे दृश्य को कैमरे में कैद किया। इन दृश्यों का प्रसारण तो नहीं किया गया, पर कुछ दिनों बाद यह पूरा दृश्य सोशल मीडिया पर पहुँच गया और वायरल हो गया। इसके बाद सरकार के शक के दायरे में ये पत्रकार आ गये और हाल में ही नेशनल सिक्यूरिटी सर्विसेज ने इन 6 पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया है, और एक जांच कमेटी सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होने में इन पत्रकारों के भूमिका की जांच कर रही है। जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ़ साउथ सूडान ने इस खबर की पुष्टि की है कि उनके 6 सदस्यों को जेल में बंद कर दिया गया है और उनके विरुद्ध जांच चल रही है। साउथ सूडान वर्ष 2011 में सूडान से अलग एक नया देश बना था, और उस समय से आज तक राष्ट्रपति सलवा कीर ही सत्ता में काबिज हैं।
अपने देश के तेलंगाना के खम्मम में 6 दिसम्बर को एक बैलगाड़ी चालक को एक न्यायालय ने 100 रुपये जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। उस बैलगाड़ी चालक की गलती यह थी कि किसी कोयला खदान के उच्च अधिकारी के कार्यालय के बाहर जब उसकी बैलगाड़ी खडी थी, तब वहीं बैल ने कार्यालय के ठीक सामने पेशाब कर दिया था। यह खबर कुछ अटपटी सी लगती है क्योंकि गाय के पेशाब पर हमारे देश में सरकारी और धार्मिक तौर पर खूब खबरें गढ़ी जातीं हैं, मेनस्ट्रीम मीडिया में इन खबरों को प्रमुख स्थान मिलता है, समाचार चैनलों पर डिबेट भी होते हैं और इनमें अनेक तथाकथित वैज्ञानिक भी शामिल होते हैं।
दिसम्बर 2022 के अंत से अपनी एक बुजुर्ग सहयात्री पर एयर इंडिया के विमान के बिज़नस क्लास में पेशाब कर शंकर मिश्रा प्रसिद्ध हो गए और हरेक घर में एक जाना पहचाना नाम हो गए। इस पूरे मामले में एयर इंडिया, टाटा संस और खुद रतन टाटा का ढूलमूल रवैय्या और पूरे मामले को रफा दफा करने की साजिश चौकाने वाली है। रतन टाटा अपने आप को महान समाज सेवी और मानवाधिकार के रहनुमा बताने का प्रयास लगातार करते रहे हैं, पर जब उनके ग्रुप की कंपनी पर ही सवाल उठ रहे हैं, तब वे पूरी तरह से खामोश हैं।
इस मामले की जानकारी के बाद यह तो तय था कि अपनी नाकामी छुपाने के लिए किसी भी तरीके से बीजेपी इसमें कांग्रेस को घसीटेगी। हाल में ही बीजेपी ने वर्ष 2015 का मामला उछालकर राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल कन्हैया कुमार को घेरने का प्रयास किया है। इस आरोप का आधार जेएनयू की किसी पुरानी छात्रा का आरोप है जिसमें बताया गया है कि वर्ष 2015 में जब कन्हैया कुमार जेएनयू के छात्र थे तब उन्होंने कभी कैम्पस में खुले में पिशाब किया था और उस लड़की के विरोध के बाद उससे गाली गलौज किया था। आरोप के अनुसार तत्कालीन प्रॉक्टर ने उनपर जुर्माना भी लगाया था। बीजेपी पूरी दुनिया में बिना सबूत आरोप लगाने वाले सभी राजनैतिक दलों की सिरमौर है। बीजेपी के अनुसार कन्हैया कुमार ने देश के टुकड़े-टुकड़े का नारा लगाया, पर कोई सबूत नहीं है। इसी तरह पेशाब मामले में भी बीजेपी प्रॉक्टर के जिस पत्र को दिखा रही है, उसमें किसी के हस्ताक्षर नहीं हैं।
वर्ष 2022 के सितम्बर में ग्रेट ब्रिटेन के सौथेम्पटन में एक फूटबाल टूर्नामेंट आयोजित किया गया था। इसमें एक टीम के गोलकीपर ने एक मैच के दौरान फूटबाल को गोलपोस्ट के पीछे से उठाते समय पास की झाड़ियों में पेशाब कर दिया था। जब मैच रेफरी को यह खबर मिली तो उसने गोलकीपर को रेड कार्ड दिखाकर मैदान से बाहर भेज दिया।
दक्षिण अमेरिका का हवाई वोलकेनो नेशनल पार्क पूरी दुनिया के लिए अजूबा है। इसमें अनेक सक्रिय और शांत ज्वालामुखी हैं। इसमें किलानिया ज्वालामुखी भी है, जिसे दुनिया का सबसे नया और सबसे सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है। स्थानीय समुदाय के लिए इसका सांस्कृतिक महत्व है, इसे पवित्र माना जाता है और इसे ज्वालामुखी के देवता, पेले, का स्थाई आवास माना जाता है। दिसम्बर 2023 में एक पर्यटक ने इस ज्वालामुखी के केंद्र में खड़े होकर पेशाब किया और सोशल मीडिया पर तस्वीर को साझा किया। इसके बाद भारी विरोध के कारण उसने सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिया। नवम्बर 2022 के दौरान भी इसी नॅशनल पार्क के अंतर्गत माउंट किया ज्वालामुखी पर भी ऐसी ही घटना हुई थी।
पर्यावरणविद और प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े विशेषज्ञ भी आजकल पेशाब की खूब चर्चा कर रहे हैं। दरअसल पेशाब में उन पदार्थों की भरमार है जिनका उपयोग रासायनिक उर्वरक के तौर पर मिटटी को उपजाऊ बनाने के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया की पूरी आबादी के पेशाब में जितने पोषक पदार्थ हैं, उनसे दुनिया में खेती में इस्तेमाल किया जाने वाले एक चौथाई नाइट्रोजन और फोस्फोरस उर्वरक की बचत की जा सकती है। इसके साथ ही इसमें पोटैशियम और माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स भी होते हैं। पर, समस्या यह है कि पेशाब के उर्वरक को सीवेज के साथ मिलाकर नदियों में मिला रहे हैं – इससे नदियाँ भी प्रदूषित हो रही हैं और प्राकृतिक उर्वरक को बर्बाद कर हम रासायनिक उर्वरक का उपयोग बढाते जा रहे हैं। अब यूरोप के कई शहरों के साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इथियोपिया और साउथ अफ्रीका में यूरिन डायवर्सन प्रोजेक्ट चलाये जा रहे हैं। इसके तहत सार्वजनिक शौचालयों से निकलने वाले पेशाब को सीवेज में मिलने से पहले ही एकत्रित किया जाता है और फिर इससे उर्वरक तैयार किया जाता है।
हमारे देश में विमान में सहयात्री बुजुर्ग महिला पर पेशाब कर शंकर मिश्रा को ख्याति मिल गयी, और दूसरी तरफ गाय की पेशाब में वैज्ञानिक, कुछ उद्योगपति और राजनैतिक हस्तियों को हरेक समस्या का समाधान नजर आ रहा है।