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विमर्श

प्रचंड बहुमत का दावा करने वाली प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी BJP को जासूसी और ED का बड़ा सहारा !

Janjwar Desk
2 Nov 2023 11:46 AM GMT
प्रचंड बहुमत का दावा करने वाली प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी BJP को जासूसी और ED का बड़ा सहारा !
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file photo

मोदी—शाह लगातार संसद से सड़क तक अपने भाषणों में बीजेपी के समर्थन में जनता के प्रचंड बहुमत की बात करते हैं, हरेक चुनाव से पहले 70 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने की बात करते हैं, मगर इन सबके बीच विपक्ष की जासूसी और शिकारी कुत्ते की तरह जांच एजेंसियों को विपक्ष के पीछे लगाने से प्रचंड बहुमत का आधार आसानी से समझा जा सकता है....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The State sponsored spying and targeted use of probing agencies is the main weapon to stay in power in “New” India and Amrit Kaal. विपक्ष और सत्ता की असलियत को उजागर करने वाले पत्रकारों ने एक बार फिर से सत्ता पर उनकी जासूसी करने का आरोप लगाया है। हाल में ही आईफ़ोन का इस्तेमाल करने वाले अनेक प्रमुख विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फ़ोन पर कंपनी की तरफ से सूचना भेजी गयी है कि आपके फ़ोन की जासूसी सत्ता द्वारा किये जाने की संभावना है, और यदि ऐसा होता है तो फिर आपके डाटा, बातचीत, कैमरा और माइक्रोफोन का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके आगे बताया गया था कि जरूरी नहीं कि यह सूचना सही हो, पर आप को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। यह सूचना केवल सरकार की आलोचना में मुखर विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के आईफ़ोन पर ही दी गयी है – जाहिर है सत्ता ऐसा कुछ जरूर कर रही है।

जिन लोगों के आईफ़ोन पर यह सूचना आई है उसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और दूसरे विपक्षी दलों के दिग्गज नेता शामिल हैं और पत्रकारों में द वायर के अलावा आर्गेनाईजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट से जुड़े पत्रकार शामिल हैं। आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े लोगों ने भी यही शिकायत की है। जाहिर है, विपक्षी नेताओं के आरोप शुरू होते ही सत्ता ने आनन-फानन में पूरे मामले को गंभीर बताया और जांच के बाद मामले की तह तक जाने का ऐलान किया है। यह सभी जानते हैं कि हमारे देश की सत्ता समस्याएं उत्पन्न करना जानती है, उनका समाधान करना नहीं।

वर्ष 2021 में भी इजराइल के एनएसओ संस्था द्वारा उत्पादित मिलिट्री ग्रेड जासूसी सॉफ्टवेयर, पेगासस से विपक्षी नेताओं, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, नौकरशाहों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के जासूसी की बात सामने आई थी और इसके बाद सरकार ने जो किया वह सभी को मालूम है। जब मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा तो सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया। सर्वोच्च न्यायालय में जब सत्ता से पूछा गया कि पेगासस सरकार ने खरीदा है या नहीं तब सरकार का जवाब था – यह राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न है और इसका जवाब नहीं दिया जा सकता है।

इसी वर्ष अप्रैल में एप्पल के सीईओ टिम कुक ने प्रधानमंत्री जी से मुलाक़ात की थी। इससे पहले एप्पल के प्रमुख सप्लायर फॉक्सकोन के सीईओ ने भी प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की थी। हाल में ही एक भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि हमारे देश में बने आई-फ़ोन पूरी दुनिया में भेजे जा रहे हैं। एप्पल अब चीन के बदले भारत को अपना उत्पादन केंद्र बनाना चाहती है और यहाँ रिटेल स्टोर भी खोल रही है। जाहिर है, एप्पल को भारत में तेजी से उत्पादन और कारोबार बढाने के लिए सरकार की जरूरत है और सरकार को इस मामले को रफा-दफा करने के लिए जांच के दिखावे की। यदि जांच होती भी है तो इसका कोई नतीजा नहीं निकला है, क्योंकि एप्पल सत्ता को बचायेगी और सत्ता एप्पल को।

प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह लगातार संसद से सड़क तक अपने भाषणों में बीजेपी के समर्थन में जनता के प्रचंड बहुमत की बात करते हैं, हरेक चुनाव से पहले 70 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने की बात करते हैं, पर इन सबके बीच विपक्ष की जासूसी और शिकारी कुत्ते की तरह जांच एजेंसियों को विपक्ष के पीछे लगाने से बीजेपी के प्रचंड बहुमत और प्रजातंत्र का मतलब और आधार आसानी से समझा जा सकता है।

सांसद महुआ मोइत्रा ने इस पूरे मामले पर कहा है कि हालात आपातकाल से भी बुरे हैं और यह प्रमुख मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की एक साजिश है। सांसद राघव चड्ढा ने जनता को आगाह करते हुए कहा कि सत्ता की जासूसी का मतलब मेरे या मेरी पार्टी पर ही हमला नहीं है, अगला निशाना आप भी हो सकते हैं। सीताराम येचुरी ने कहा कि यदि सत्ता जासूसी नहीं कर रही है तो फिर यह सूचना केवल विपक्षी नेताओं और निष्पक्ष पत्रकारों के फ़ोन पर ही क्यों आई है, इसमें कोई सत्ता पक्ष का क्यों नहीं है।

एमनेस्टी इन्टरनेशनल ने कहा है कि मोदी सरकार निर्बाध तरीके से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और विपक्षी नेताओं पर हमले कर रही है। इन्टरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अनुसार ऐसी जासूसी प्रजातांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है और भारत की मौजूदा कानूनी प्रणाली के तहत ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच संभव ही नहीं है।

प्रचंड बहुमत की रट लगाने वाले नेता कितने डरे और सहमे हैं कि उन्हें जासूसी और जांच एजेंसियों का सहारा लेना पड़ रहा है। हमारा देश इस दौर में मानवाधिकार और प्रजातंत्र हनन के सन्दर्भ में अतुलनीय है, यहाँ तक कि चीन और रूस भी हमारे तुलना में बहुत पीछे छूट गए हैं। यहाँ मानवाधिकार कार्यकर्ता सबसे पहले आतंकवादी, माओवादी और देशद्रोही बता कर बिना किसी आरोप या सबूत के ही जेल में डाल दिए जाते हैं। मीडिया और सोशल मीडिया उन्हें तरह तरह से अपराधी करार देने की साजिश रचता है। फिर पुलिस और जांच एजेंसियाँ उनके विरुद्ध आरोपों का आविष्कार फेक विडियो, फेक सीडी, फेक फोनकॉल्स या फिर लैपटॉप में अपनी तरफ से कुछ डाक्यूमेंट्स डाल कर करती हैं। फिर सालों-साल सुनवाई में लगते हैं। इनमें से कुछ आरोपी तो बिना सुनवाई के ही जेल में बंद रहते दम तोड़ देते हैं, शेष अनेक वर्ष बाद सबूतों के अभाव में बरी हो जाते हैं। यही प्रधानमंत्री मोदी के न्यू इंडिया और अमृतकाल का आधार है और तथाकथित विश्वगुरु द्वारा दुनिया को दिया जाने वाला उपदेश भी।

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