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विमर्श

भारत में राजनीति का सबसे खतरनाक हथियार बना धर्म और आस्था, मगर दुनिया में बढ़ रही नास्तिकों की संख्या

Janjwar Desk
3 Feb 2023 5:08 AM GMT
भारत में राजनीति का सबसे खतरनाक हथियार बना धर्म और आस्था, मगर दुनिया में बढ़ रही नास्तिकों की संख्या
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file photo

दुनिया में नास्तिकों और धर्म नहीं मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ हमारे देश में सत्ता का अस्तित्व ही धर्म पर टिका है, और सत्ता की धर्म और आस्था का बेशर्मी से प्रचार करती है। हमारे देश में धर्म किसी भी हथियार से खतरनाक शस्त्र है, जिससे कभी भी किसी को भी मारा जा सकता है....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The number of atheists and non-religious is increasing globally. दिसम्बर 2022 में यूनाइटेड किंगडम के जनसख्या के आंकड़े ऑफिस ऑफ़ नेशनल स्टेटिस्टिक्स द्वारा प्रकाशित किये गए। इसके अनुसार इंग्लैंड और वेल्स में 40 वर्ष तक की उम्र वाली आबादी में 50 प्रतिशत से अधिक लोग किसी धर्म को नहीं मानते। इंग्लैंड और वेल्स में यह पहली बार हुआ है जब किसी भी आयु वर्ग की आबादी में धर्म को नहीं मानने वालों की संख्या क्रिश्चियन से अधिक है।

एक दशक पहले पिछली जनगणना के समय धरम नहीं मानने वालों की संख्या 37 प्रतिशत थी। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद से यूनाइटेड किंगडम में चर्चों की समाज और राजनीति में भूमिका और अधिकतर स्कूलों में बाइबिल से सम्बंधित प्रार्थना पर बहस छिड़ गयी है। जनगणना के फॉर्म में दो दशक पहले धर्म को जोड़ा गया था और इसका जवाब स्वैच्छिक है।

यूनाइटेड किंगडम में 40 वर्ष से कम उम्र की आबादी में 98 लाख क्रिश्चियन हैं जबकि 1.36 करोड़ लोग किसी धर्म को नहीं मानते। एक दशक पहले ब्रिटेन में 27 लाख मुस्लिम थे, अब उनकी आबादी 39 लाख है। यूनाइटेड किंगडम में औसत आयु के सन्दर्भ में 45 वर्ष के साथ सबसे बुजुर्ग क्रिश्चियन ही हैं। इस्लाम को मानने वालों की औसत आयु 27 वर्ष, किसी धर्म को नहीं मानने वालों की औसत आयु 32 वर्ष, हिंदुओं की औसत आयु 37 वर्ष, सिखों की भी 37 वर्ष, यहूदियों की 41 वर्ष और बौद्ध धर्म के अनुयायियों की औसत आयु 43 वर्ष है।

प्यु रिसर्च सेंटर ने वर्ष 2021 में अमेरिका में सर्वेक्षण कर बताया था कि वहां 30 प्रतिशत से अधिक वयस्क कोई धर्म नहीं मानते, जबकि वर्ष 2007 में ऐसे लोगों की संख्या महज 16 प्रतिशत थी। वर्ष 2007 में अमेरिका में लगभग 80 प्रतिशत आबादी क्रिश्चियन थी, पर वर्ष 2021 में यह आबादी 50 प्रतिशत ही रह गयी। वर्ष 2007 में क्रिश्चियन रहते हुए भी 18 प्रतिशत आबादी कभी चर्च नहीं जाती थी, पर वर्ष 2021 में यह संख्या 32 प्रतिशत पहुँच गयी।

चीन में सरकार कोई धर्म नहीं मानती और ना ही धर्मों को प्रोत्साहित करती है। वहां के पाठ्यपुस्तकों में भी धर्म से सम्बंधित कोई पाठ नहीं होता। चीन में 47 प्रतिशत आबादी घोषित तौर पर नास्तिक है और इसके अतिरिक्त 30 प्रतिशत आबादी किसी धर्म को नहीं मानती। धर्म और नास्तिक होने के सन्दर्भ में एशिया-प्रशांत क्षेत्र का विशेष महत्त्व है। यहाँ कुछ देश कट्टर धार्मिक हैं जबकि साउथ कोरिया और चीन जैसे देशों की बड़ी आबादी किसी धर्म को नहीं मानने के साथ ही नास्तिक भी है। दुनिया के 99 प्रतिशत हिन्दू और 99 प्रतिशत बौद्ध एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहते हैं, तो दूसरी तरफ दुनिया की धर्म नहीं मानने वालों की कुल आबादी में से 76 प्रतिशत लोग भी इसी क्षेत्र में रहते हैं।

वर्ष 2015 में जब दुनिया की आबादी 7.3 अरब थी, तब धर्म के सन्दर्भ में 31.2 प्रतिशत आबादी, यानि 2.3 अरब लोग क्रिश्चियन थे। दुनिया की 24.1 प्रतिशत आबादी, यानि 1.8 अरब, मुस्लिम थे। इसके बाद तीसरे स्थान पर धर्म नहीं मानने वालों की संख्या थी, 16 पर्तिशत यानि 1.2 अरब। चौथे स्थान पर 15.1 प्रतिशत यानि 1.1 अरब हिन्दू थे। पांचवें स्थान पर 50 करोड़ यानि 6.9 प्रतिशत आबादी के साथ बौद्ध थे।

वर्ष 2021 में स्तैतिस्ता ग्लोबल कंज्यूमर सर्वे के अनुसार धर्म नहीं मानने वालों और नास्तिकों की संयुक्त संख्या के सन्दर्भ में 74 प्रतिशत आबादी के साथ पहले स्थान पर चीन, इसके बाद जर्मनी में 34 प्रतिशत, इटली में 25 प्रतिशत, रूस में 22 प्रतिशत, ब्राज़ील में 17 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका में 9 प्रतिशत और भारत में 2 प्रतिशत आबादी है। नीदरलैंड की 66 प्रतिशत आबादी किसी धर्म को नहीं मानती। साउथ कोरिया, फ्रांस, डेनमार्क और नोर्वे में भी बड़ी आबादी किसी धाम पर भरोसा नहीं करती।

कट्टर इस्लामिक देश, ईरान, में भी वर्ष 2020 में किये गए एक सर्वेक्षण में 9 प्रतिशत लोगों ने किसी धर्म को नहीं मानने की बात कही। स्वीडन में 18 प्रतिशत आबादी नास्तिक है और 55 प्रतिशत आबादी कोई धर्म नहीं मानती। चेक गणराज्य में 25 प्रतिशत आबादी नास्तिक है और 47 प्रतिशत आबादी कोई धर्म नहीं मानती। वर्ष 2017 में विन गैलप सर्वे के अनुसार दुनिया में महज 62 प्रतिशत आबादी ही ऐसी है जो किसी धर्म में भरोसा करती है। चीन, स्वीडन और जापान की क्रमशः 16 प्रतिशत, 22 और 29 प्रतिशत आबादी ही ईश्वर के अस्तित्व में भरोसा करती है।

दुनिया में नास्तिकों और धर्म नहीं मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ हमारे देश में सत्ता का अस्तित्व ही धर्म पर टिका है, और सत्ता की धर्म और आस्था का बेशर्मी से प्रचार करती है। हमारे देश में धर्म किसी भी हथियार से खतरनाक शस्त्र है, जिससे कभी भी किसी को भी मारा जा सकता है। यूनाइटेड किंगडम की बैकेट यूनिवर्सिटी द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार ज्यादा धार्मिक देशों के बच्चे गणित और विज्ञान में पिछड़ जाते हैं।

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