वे चुड़ैल नहीं बल्कि महिलायें हैं | They are not witches, they are women |
वे चुड़ैल नहीं बल्कि महिलायें हैं | They are not witches, they are women |
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
They are not witches, they are women | स्पेन का एक स्वायत्त प्रांत है – केटालोनिया (Catalonia)| पिछले कुछ वर्षों से इस क्षेत्र का नाम समाचारों में तभी आता है, जब वहां स्पेन से अलग होने के आन्दोलन होते हैं और आन्दोलन हिंसक हो जाते हैं| पर, केटालोनिया फिर से सुर्ख़ियों में है – हाल में ही इसकी संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसके तहत वहां डायन या चुड़ैल बताकर मारी गयी महिलाओं (Witch hunt) को उनके दोष से मुक्त कर दिया गया और संसद ने इस प्रकार की हत्याओं के लिए सार्वजनिक माफी माँगी| इससे पहले स्विट्ज़रलैंड, स्कॉटलैंड और नॉर्वे की संसद में भी ऐसे ही प्रस्ताव पारित किये जा चुके हैं|
दरअसल यूरोपीय देशों में लगभग 500 वर्ष पहले तक काला जादू या फिर आकस्मिक आई सामाजिक आपदा का कारण डायन या चुड़ैलों को बताकर बहुत से लोगों की हत्याएं की गईं थीं, जिनमें लगभग 90 प्रतिशत महिलायें थीं| दूसरी तरफ यूरोप में इसके निषेध से सम्बंधित पहला क़ानून वर्ष 1424 में ही लागू कर दिया गया था| इसके बाद धीरे-धीरे अनेक देशों में यह प्रथा बंद होती गयी, पर केटालोनिया क्षेत्र में और स्कॉटलैंड में यह तमाशा और ऐसी हत्याएं 18वीं शताब्दी तक प्रचलित रहीं| इतिहासकारों के अनुसार यूरोप में वर्ष 1580 से 1630 के बीच डायन, चुड़ैल या काला जादू करने वालों के नाम पर 50000 से अधिक लोगों को मार डाला गया, जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक महिलायें थीं| केटालोनिया में संसद में प्रस्ताव पारित करने के पहले 10000 से अधिक ऐसी महिलाओं की जानकारी एकत्रित की गयी थी जिनकी हत्या डायन या चुड़ैल बताकर कर दी गयी थी|
डायन या चुड़ैल के नाम पर इतिहास में दर्ज जानकारियों के आधार पर की गयी हत्याओं पर सम्बंधित सरकारों द्वारा माफी माँगने और उन्हें दोषमुक्त करने का अभियान यूरोप के 100 से अधिक प्रतिष्ठित इतिहासकारों ने शुरू किया है| सबसे पहले इन इतिहासकारों ने इसका पूरा विवरण और इतिहास तैयार कर एक ज्ञापन तैयार किया, जिसका शीर्षक था, "वे डायन नहीं थीं, वे महिलायें थीं" (more than 100 European historians signed a petition titled, They were not Witches – They were Women)| इस ज्ञापन और सम्बंधित सामग्री को समाज विज्ञान और इतिहास के प्रतिष्ठित जर्नल, सेपियन्स (Sapiens), में प्रकाशित कराकर फिर इसकी प्रतियां हरेक देश की सरकार को भेजी गयी| यूरोप के लगभग हरेक देश में वामपंथियों और राष्ट्रवादी सांसदों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से अपनी संसद में उठाया और फिर सरकारों द्वारा माफीनामा का एक सिलसिला शुरू हो गया|
स्थानीय समाचार चैनल टीवी3 (TV3) में इस विषय पर दिखाई गयी एक डाक्यूमेंट्री, विचेज – द बिग लाई (Witches – The Big Lie), में केटालोनिया के राष्ट्रपति परे अरगोनेस (President Pere Aragones) ने इस प्रथा को महिला ह्त्या का संगठित तरीका करार दिया| यूनिवर्सिटी ऑफ़ बार्सिलोना में आधुनिक इतिहास के प्रोफ़ेसर पॉल कैसेल (Paul Castell) के अनुसार केटालोनिया का क्षेत्र मूलतः ग्रामीण था और अधिकतर हिस्सा शक्तिशाली जमींदारों के अधिकार में था, और वही क़ानून गढ़ते थे| उस दौर में सजा केवल शिकायतों के आधार पर दी जाती थीं और पीड़ितों का पक्ष सुना ही नहीं जाता था| उस दौर में बच्चों की अचानक मृत्यु, प्राकृतिक आपदा या खराब कृषि उत्पादन का जिम्मेदार आसानी से महिलाओं को चुड़ैल या डायन बताकर ठहरा दिया जाता था, और जमींदार उन्हें फांसी पर लटकाने का हुक्म जारी कर देते थे| प्रतिष्ठित इतिहासकार नूरिया मोरेलो (Nuria Morello) के अनुसार उस दौर में परम्परागत औषधि बनाने वालों को और स्वतंत्र महिलाओं को समाज जल्दी स्वीकार नहीं करता था, और ऐसे ही लोगों को काला जादू करने वाला या डायन करार दिया जाता था|
यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में तो यह प्रथा समाप्त हो गयी, और सदियों बाद ही सही, पर आज की सरकारें उस व्यवस्था पर माफीनामा तैयार करा रही है| दूसरे तरफ दुनिया के बड़े देशों में केवल भारत ही ऐसा देश है, जहां इस प्रथा का अंत नहीं बल्कि पहले से अधिक बढ़ती नजर आती है और ना ही सरकारों की तरफ से इस प्रवृत्ति को रोकने का प्रयास नजर आता है| नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों के अनुसार देश में वर्ष 2000 से 2016 के बीच 2500 से अधिक महिलाओं की ह्त्या डायन या चुड़ैल बताकर कर दी गयी, यानि प्रति वर्ष औसतन 156 हत्याएं| इस क्षेत्र में काम कर रहे अनेक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार यह प्रथा बिहार, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में व्यापक तौर है और इसका कारण डायन या चुड़ैल का आतंक नहीं बल्कि महिलाओं का यौन शोषण और आदिवासी महिलाओं के संपत्ति की संगठित लूट है| अब तो बीजेपी के नेता भी इसमें लिप्त नजर आते हैं – इसी महीने झारखण्ड के गिरीडीह में एक 42 वर्षीय महिला के डायन बताकर उत्पीडन के बाद दर्ज की गयी ऍफ़आईआर में स्थानीय बीजेपी नेता कामेश्वर प्रसाद और उनके परिवार को आरोपी बनाया गया है| डायन या चुड़ैल की प्रथा रोकने के लिए केंद्र सरकार का कोई क़ानून नहीं है, कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर क़ानून बनाए हैं – पर ऐसे मामलों में सजा शायद ही कभी होती है|
केटालोनिया में राष्ट्रपति ने उन मारी गयी प्रमुख महिलाओं को सम्मान देने के लिए अब सडकों, पार्कों और दूसरे प्रमुख स्थानों के नाम इन महिलाओं के नाम पर रखने का निर्णय लिया है| यूरोपीय देश तो अपने ऐतिहासिक भूल के लिए माफी मांग रहे हैं, पर विश्वगुरु भारत में यह अत्याचार बढ़ता जा रहा है और सरकार आँखें बंद किये बैठी है|