इतिहास रचने जा रही हैं कमला हैरिस, कभी 'राक्षसी' बताकर डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसे उड़ाया था मजाक
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण
कमला हैरिस इतिहास के कई अध्यायों को लिखने के मोड़ पर खड़ी हैं, जब उन्हें औपचारिक रूप से अमेरिकी उपराष्ट्रपति घोषित करने का समय आ गया है। यह एक ऐसी संभावना है जिसकी किसी भी समय अपरिहार्य रूप से पुष्टि हो सकती है।
जैसे ही बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतते है, भारतीय मूल की माँ और जमैका मूल के पिता की संतान कमला हैरिस पहली महिला, पहली भारतीय अमेरिकी, पहली अश्वेत, पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी और पहली एशियाई उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हो जाएंगी।
बाइडेन ने जब कमला के चयन की घोषणा की थी तब उन्होंने एक ही समय में कई निर्वाचन क्षेत्रों से जुड़ी हुई अपनी "चिटिस" (चाची के लिए तमिल संबोधन) मतदाताओं को भी अपने साथ जोड़ने की पहल कर ली थी। ये मतदाता हैं अफ्रीकी अमेरिकी, एशियाई अमेरिकी, दक्षिण एशियाई अमेरिकी और निश्चित रूप से 4.5 मिलियन भारतीय अमेरिकी जिनमें 1.9 मिलियन वोट करने के लिए पात्र हैं।
शायद कमला की व्यापक लोकप्रियता से चिंतित होकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, जिन्होंने पहले मज़ाक में कहा था कि वह बाइडेन की साथी के रूप में एक "ठीक विकल्प" रहेगी, बाद में कमला की आलोचना करने लगे। उन्होंने कमला को "बुरी" और "राक्षसी" कहा। वह अक्सर उनका पहला नाम गलत बताते थे, जो आम तौर पर अमेरिकियों को अलग-अलग जातीयताओं का अनुभव कराने के लिए नियोजित किया जाता है - उन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भी ऐसा ही किया था, जब भी उन्होंने उनका जिक्र किया, तो उनका मध्य नाम जोड़ने पर जोर दिया और अपने समर्थकों को कमला की खिल्ली उड़ाने के लिए अपनी रैलियों में प्रेरित किया।
ट्रम्प के सहयोगी और रिपब्लिकन सीनेटर डेविड पेर्ड्यू ने ट्रम्प का अनुसरण किया और जॉर्जिया में एक रैली में कमला का मज़ाक उड़ाया। बाइडेन अभियान ने इस निंदा की कोशिश को लोगों को उनके नाम का अर्थ समझाने और उन्हें सही उच्चारण करने के बारे में सुझाव देने के साथ एकजुटता के अवसर में बदल दिया।
उनके चयन से भारतीय अमेरिकी समुदाय जोश में आ गया। कार्नेगी की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है, "हैरिस ने भारतीय अमेरिकियों, विशेष रूप से डेमोक्रेट्स को लामबंद किया है।" "हैरिस 'की उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी ने भारतीय अमेरिकी समुदाय के एक बड़े वर्ग को वोट देने के लिए प्रेरित किया है।
हैरिस ने चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर अपनी माँ श्यामला गोपालन हैरिस के बारे में बताया जो चेन्नई से संयुक्त राज्य अमेरिका आई थीं और जो स्तन कैंसर की शोधकर्ता थीं। "मैं चाहती हूं कि काश वह आज रात यहां होती। लेकिन मुझे पता है कि वह ऊपर से मुझे नीचे देख रही है," हैरिस ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अपने नामांकन को स्वीकार करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के सम्मेलन में कहा।
"मैं उस 25 वर्षीय भारतीय महिला के बारे में सोचती रहती हूँ - जो पाँच फीट लंबी है - जिसने कैलिफोर्निया के ओकलैंड के कैसर अस्पताल में मुझे जन्म दिया ... उस दिन, उसने शायद कभी सोचा भी नहीं था कि मैं कभी आपके सामने इन शब्दों को बोलने के लिए खड़ी होऊंगी: मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद के लिए आपका नामांकन स्वीकार करती हूं, "हैरिस ने कहा।
हैरिस ने कैलिफोर्निया के ओकलैंड में एक सार्वजनिक वकील के रूप में सार्वजनिक पद पर अपने करियर की शुरुआत की थी। वह 2016 में कैलिफोर्निया राज्य से अमेरिकी सीनेट के लिए चुनी गई थीं और अब वह उपराष्ट्रपति बनने की राह पर हैं।
कमला हैरिस ऑकलैंड में पली-बढ़ी हैं। उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली है। इसके बाद कमला ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है। हैरिस सैन फ्रांसिस्को में जिला अटॉर्नी के रूप में भी काम कर चुकी हैं। वह 2003 में सैन फ्रांसिस्को की जिला वकील बनी थीं।
हैरिस ने साल 2017 में कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य सीनेटर के रूप में शपथ ली थीं। वो ऐसा करने वाली दूसरी अश्वेत महिला थीं। उन्होंने होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी, इंटेलिजेंस पर सेलेक्ट कमेटी, ज्यूडिशियरी कमेटी और बजट कमेटी में भी काम किया। हालांकि, पिछले साल तक कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में थीं, मगर समर्थन नहीं मिल पाने की वजह से इस रेस से बाहर हो गई थीं।
जो बाइडेन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'ये बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि कमला हैरिस को मैंने अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना है।' बाइडेन ने कमला को एक बहादुर योद्धा और अमेरिका के सबसे बेहतरीन नौकरशाहों में से एक बताया।
उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, 'जब कमला हैरिस कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल थीं तब से मैंने उनको काम करते हुए देखा है। मैंने खुद देखा है कि उन्होंने कैसे बड़े-बड़े बैंकों को चुनौती दी, काम करने वाले लोगों की मदद की और महिलाओं-बच्चों को शोषण से बचाया। मैं उस समय भी गर्व महसूस करता था और आज भी गर्व महसूस कर रहा हूं जब वो इस अभियान में मेरी सहयोगी होंगी।'
कमला जब पाँच साल की थीं तो उनकी मां श्यामला गोपालन और पिता डोनाल्ड हैरिस अलग हो गए। कमला और उनकी बहन की परवरिश उनकी सिंगल हिंदू मदर ने ही की। कैंसर रिसर्चर और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को '' श्यामला एंड द गर्ल्स'' के नाम से जाना जाता है।
कमला की मां ने सुनिश्चित किया कि उनकी दोनों बेटियां अपनी पृष्ठभूमि को अच्छी तरह जानते हुए बड़ी हों। कमला अपनी आत्मकथा में लिखती हैं. "मेरी मां यह अच्छी तरह जानती थीं कि वह दो ब्लैक बेटियों को बड़ी कर रही हैं। उन्हें पता था कि उन्होंने जिस देश को रहने के लिए चुना है वह माया और मुझे ब्लैक लड़कियों के तौर पर ही देखेगा। लेकिन वह इस बात को लेकर दृढ़ थीं कि वह अपने बेटियों की परवरिश इस तरह करेंगी कि वे आत्मविश्वासी ब्लैक महिला के तौर पर दुनिया के सामने आएं।"
वॉशिंगटन पोस्ट ने पिछले साल लिखा, "हैरिस अपनी भारतीय संस्कृति के साथ पलती हुई बड़ी हुई हैं, लेकिन वह बड़े ही शान से अपनी अफ्रीकी-अमरीकी ज़िंदगी जीती हैं।"
2015 में जब वह पहली बार सीनेट की सीट के लिए चुनाव मैदान उतरीं तो 'द इकोनॉमिस्ट' ने लिखा, " कमला की मां भारतीय और पिता जमैका के हैं। कैंसर रिसर्चर मां और इकनॉमिक्स के प्रोफ़ेसर पिता की संतान कमला सीनेट में जाने वाली पहली अफ्ऱीकी-अमरीकी महिला और कैलिफ़ोर्निया की पहली एशियाई अटॉर्नी जनरल हैं।"
कमला कहती रही हैं कि वह अपनी इस पहचान से जूझने के बजाय ख़ुद को एक अमरीकी कहलाना ही पसंद करती हैं। लेकिन जो लोग कमला को जानते हैं कि वे कहते हैं कि वह दोनों समुदायों में भली-भांति घुलमिल जाती हैं।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और उसके बाद लगे प्रतिबंधों को लेकर कमला हैरिस का रुख भारत सरकार के विपरीत रहा है। सितंबर 2019 को टेक्सस के ह्यूस्टन में आयोजित एक इवेंट में उनसे कश्मीर में फ़ोन व इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध और लोगों को हिरासत में लेने के बारे में पूछा गया था। इस पर कमला हैरिस ने कहा था, "हम लोगों को ये बताना चाहते हैं कि वो अकेले नहीं हैं, हम नज़र बनाए हुए हैं। एक राष्ट्र के तौर पर ये हमारे मूल्यों का हिस्सा है कि हम मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बोलते हैं, और जहां ज़रूरी होता है, हम दख़ल भी देते हैं।"
दिसंबर 2019 में कमला हैरिस ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की भारतीय मूल की अमरीकी सांसद प्रमिला जयपाल से मुलाकात ना करने को लेकर निंदा की थी। प्रमिला जयपाल मोदी सरकार की आलोचक रही हैं।
उन्होंने ट्वीट किया था, "किसी भी विदेशी सरकार के लिए कांग्रेस से ये कहना गलत है कि बैठक में कौन से सदस्य होंगे। मैं प्रमिला जयपाल के साथ खड़ी हूं और मुझे खुशी है कि सदन में उनके सहकर्मियों ने भी ऐसा ही किया।" कमला हैरिस अप्रवासन, शरणार्थियों और मुस्लिमों पर प्रतिबंध पर ट्रंप प्रशासन की नीतियों की आलोचक भी रही हैं।