व्यापक युद्ध की ओर बढ़ रहा है इजरायल और फिलिस्तीन के बीच खूनी संघर्ष
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार डेस्क। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच खूनी संघर्ष के बीच, गाजा में मौत का आंकड़ा 65 तक पहुंच गया है, और इसराइल में ये 7 है। अल जज़ीरा ने बताया कि गाजा पट्टी पर भारी बमबारी जारी रही, जिसमें गाजा के सिटी कमांडर बसीम इस्सा की मौत हो गई है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार गाजा में 16 बच्चों और पांच महिलाओं सहित मरने वालों की संख्या बढ़कर 65 तक पहुंच गई। 86 बच्चों और 39 महिलाओं सहित कम से कम 365 लोग घायल हुए हैं।
माना जा रहा है कि हालात और खराब हो सकते हैं। इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्स ने बुधवार शाम को कहा- हमारी सेना के गाजा पट्टी और फलस्तीन में हमले बंद नहीं होंगे। हम अब तब तक रुकने को तैयार नहीं हैं, जब तक दुश्मन को पूरी तरह शांत नहीं कर देते। इसके बाद ही अमन बहाली पर कोई बात होगी। इजरायल अब लंबे समय तक शांति कायम करने के उपाय करके ही रहेगा। उधर, हमास के नेता हानिया ने कहा कि अगर इजरायल जंग बढ़ाना ही चाहता है तो हम भी रुकने को तैयार नहीं हैं। चरमपंथियों ने चेतावनी दी है कि वे इजरायलियों की जिंदगी नर्क कर देंगे।
गत रविवार को इस्राइली सुप्रीम कोर्ट ने पूर्वी जेरुसलम से फिलिस्तीनियों के सात परिवारों को हटाने का आदेश जारी किया था। आदेश में इस्राइल के गठन से पहले 1948 में यहूदी रिलिजन एसोसिएशन के अधीन आने वाले घरों को खाली करने के निर्देश दिए गए थे। इसका पालन करते हुए इस्राइल में स्थिति शेख जर्रा नामक जगह में रहने वाले 70 फिलिस्तीनियों को हटाकर यहूदियों को बसाया जाने लगा। लेकिन फिलिस्तीनी कोर्ट के इस आदेश से नाखुश थे, उन्होंने ने इसके लिए विरोध में इस्राइल में जगह-जगह पर आंदोलन किए।
रमजान महीने के आखिरी शुक्रवार के मौके पर यरुशलम की मस्जिद अल-अक्सा में भारी तादद में नमाज पढ़ने के लिए मुस्लिम इकट्ठा हुए थे। इस मस्जिद को इस्लाम में तीसरी सबसे पाक जगह माना जाता है। नमाज के बाद मौजूद मुस्लिम्स ने शेख जर्राह को खाली कराने के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू किया। लेकिन शांतिपूर्वक शुरू हुआ यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। फिलिस्तीनियों द्वारा इस्राइली पुलिस पर पथराव और पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब मस्जिद में हैंड ग्रेनेड फेंके गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष की दूसरी वजह यरुशलम-डे बताया जा रहा है। गौरतलब है कि 1967 में हुए अरब-इस्राइल युद्ध में इस्राइल की जीत के जश्न के रूप में यरुशलम-डे मनाया जाता है। 10 मई यानी यरुशलम-डे पर इस्राइली, यरुशलम से वेस्टर्न वॉल तक मार्च करते हुए प्रार्थना करते हैं। बता दें कि वेस्टर्न वॉल यहूदियों का एक पवित्र स्थल माना जाता है। इस मार्च के दौरान भी हिंसा हुई थी। इसी दिन इस्राइली सुप्रीम कोर्ट में फिलिस्तीनी परिवारों को निकाले जाने के मामले में सुनवाई होनी थी। लेकिन हिंसा को देखते हुए इसे टाल दिया गया है।
लोद शहर में अरब और यहूदी रहते हैं। इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच शुरू हुए विवाद के बाद लोद शहर में भी हिंसा भड़कने लगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोद में कई दुकानें जला दी गई है, वहीं आगजनी की दर्जनों घटनाओं की खबरें सामने आईं हैं। यहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है। वर्ष 1966 के बाद लोद में पहली बार पूरी तरह से इमरजेंसी लगाई गई है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है।उन्होंने इस बात पर चिंता जताई है कि कहीं स्थिति नियंत्रण से बाहर न हो जाए। संयुक्त राष्ट्र के मध्य पूर्व शांति राजदूत टॉर वेनेसलैंड ने कहा है कि दोनों पक्ष इसे व्यापक युद्ध की ओर ले जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने कहा है कि वे हिंसा को लेकर काफी चिंतित हैं।
वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है, लेकिन फ़लस्तीनी लोगों को अपनी सुरक्षा का अधिकार है। जर्मनी ने भी कहा है कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता स्टीफन सीबेरट ने कहा कि गाजा से इजरायल पर हो रहे हमले की हम कड़ी निंदा करते हैं। इसे कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि फलस्तीनियों के प्रति इजरायल के रवैये के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उसे कड़ा और कुछ अलग सबक सिखाना' चाहिए। एर्दोगन के बयान से इस विवाद के बड़ा रूप लेने की अटकलें तेज हो गई हैं। वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजरायल और फलस्तीन से तुरंत हमले रोकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को शांति से बैठकर उभरते मुद्दों का हल करना चाहिए।