Begin typing your search above and press return to search.
दुनिया

अब विश्वविद्यालयों में लड़कों के साथ बैठकर पढ़ाई नहीं कर सकेंगी लड़कियां, तालिबान का पहला फतवा

Janjwar Desk
21 Aug 2021 8:24 AM GMT
अब विश्वविद्यालयों में लड़कों के साथ बैठकर पढ़ाई नहीं कर सकेंगी लड़कियां, तालिबान का पहला फतवा
x

(हेरात प्रांत के निजी और सरकारी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लगभग 40,000 छात्र और 2,000 लेक्चरर्स हैं।)

अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात के उच्च शिक्षा प्रमुख मुल्ला फरीद ने हेरात प्रांत में बैठक में तालिबान का प्रतिनिधित्व किया और कहा है कि सह-शिक्षा को समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि व्यवस्था समाज में सभी बुराइयों की जड़ है.....

जनज्वार। अफगानिस्तान के पश्चिमी हेरात प्रांत में तालिबान के अधिकारियों ने सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को आदेश दिया है कि अब लड़कियों को लड़कों के साथ एक ही कक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।

विश्वविद्याल के लेक्चरर्स, प्राइवेट संस्थानों के मालिकों और तालिबानी अधिकारियों के बीच तीन घंटे की बैठक हुई। इस बैठक के बाद उन्होंने कहा कि सह-शिक्षा जारी रखने का कोई विकल्प और औचित्य नहीं है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।

अफगानिस्तान में सह-शिक्षा और अलग-अलग कक्षाओं की मिश्रित प्रणाली है, जिसमें अलग-अलग कक्षाएं संचालित करने वाले स्कूल हैं, जबकि देश भर के सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में सह-शिक्षा लागू की जाती है।

अफगानिस्तान की समाचार एजेंसी ख़ामा प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पश्चिमी हेरात प्रांत के लेक्चरर्स ने तर्क दिया है कि सरकारी विश्वविद्यालय और संस्थान अलग-अलग कक्षाओं का प्रबंधन कर सकते हैं, लेकिन निजी संस्थानों में महिला छात्रों की सीमित संख्या के कारण वाले अलग कक्षाएं बनाने का जोखिम नहीं उठा सकते।

अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात के उच्च शिक्षा प्रमुख मुल्ला फरीद ने हेरात प्रांत में बैठक में तालिबान का प्रतिनिधित्व किया और कहा है कि सह-शिक्षा को समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि व्यवस्था समाज में सभी बुराइयों की जड़ है।

एक विकल्प के रूप में फरीद ने सुझाव दिया कि वृद्ध पुरूषों की महिला लेक्चरर्स को, जो सदाचारी हैं, उन्हें छात्राओं को पढ़ाने की अनुमति है और सह-शिक्षा के लिए न तो कोई विकल्प है और न ही कोई औचित्य है।

हेरात प्रांत के लेक्चरर्स ने कहा, "चूंकि निजी संस्थान अलग-अलग कक्षाओं का खर्च नहीं उठा सकते हैं, इसलिए हजारों लड़कियां उच्च शिक्षा से वंचित रह सकती हैं।" हेरात प्रांत के निजी और सरकारी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लगभग 40,000 छात्र और 2,000 लेक्चरर्स हैं।

बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त के राजधानी काबुल पर कब्जा किया। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर जा चुके हैं। तालिबानी लड़ाके राष्ट्रपति भवन को कब्जा चुके हैं। इसके साथ ही अफगानिस्तान में संकट और गहरा हो गया है। तालिबान ने एक तरफ अपने प्रवक्ता बनाए हुए हैं जो दुनियाभर में उसकी सॉफ्ट इमेज दिखाने की कोशिश कर रहे हैं और यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि तालिबान की दूसरी बिलकुल बदल गयी है। जबकि अफगानिस्तान में रह रहे लोग किसी तरह देश से बाहर निकलना चाहते हैं।

अफगानिस्तान के आम नागरिक किसी तरह काबुल एयरपोर्ट पर इस उम्मीद से पहुंच रहे हैं कि किसी तरह वह देश से बाहर निकल सकें। लेकिन काबुल के अंतर्राष्ट्रीय हवाई की तालिबानी लड़ाकों ने घेराबंदी की हुई हैै। बिना वीजा के एयरपोर्ट तक पहुंचने वालों वापस भेजा जा रहा है। वहीं तालिबानी लड़ाके भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए खुलेआम फायरिंग कर रही है।

तालिबान के सत्ता में काबिज होते ही महिलाओं को अपनी जान की चिंता सताने लगी है। महिलाओं को इस बात की भी चिंता है कि वह घरों में कैद हो जाएंगी और शिक्षा के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाएंगे। राजधानी काबुल के हालात तो यह हैं कि दुकानदार तालिबानी लड़ाकों के डर से अपनी दुकानों के बाहर लगी महिलाओं के विज्ञापनों वाली तस्वीरों को हटा रहे हैं तो कुछ उन्हें काला कर रहे हैं।

इसके अलावा तालिबान ने मीडिया को भी नियंत्रण में लेना शुरू किया है। 20 अगस्त को टोलो न्यूज की एक महिला एंकर को यह कहकर ऑफिस में नहीं घुसने दिया गया कि निजाम बदल गया है।

Next Story

विविध