अफगानिस्तान के पूर्व संचार एवं तकनीकी मंत्री जर्मनी की सड़कों पर बेच रहे पिज्जा, तस्वीरें वायरल
(जर्मनी की सड़कों पर फूड डिलीवरी कर रहे पूर्व अफगान मंत्री)
जनज्वार। काबिल में इस्लामिक अमरीत ऑफ अफगानिस्तान की दूसरी सरकार काबिज होने के बाद से देश का माहौल पूरी तरह से बदल गया है। तालिबानी आतंकियों के डर से एक ओर जहां महिलाओं का सड़कों पर आना बंद हो गया है, संगीत स्कूलों में सन्नाटा पसरा है, अभिनेता और नेता किसी तरह देश छोड़कर भाग रहे हैं, वहीं अशरफ गनी सरकार में मंत्री रहे एक शख्स इन दिनो डिलिवरी ब्वॉय बन गए हैं। उनकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर खूबर वायरल हो रही हैं।
खबरों के मुताबिक तालिबानी लड़ाके अफगान आर्मी के लिए काम करने वाले जवानों की घर-घर तलाशी कर हत्या कर रहे हैं। वहीं काबुल में तालिबानी आतंकियों के पहुंचते ही पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया था। गनी इन दिनों संयुक्त अरब अमीरात में शरण लेकर रह रहे हैं। वहीं उनके सरकार में संचार एवं तकनीकी मंत्री सैयद अहमद सदत इन दिनों जर्मनी की सड़कों पर पिज्जा डिलिवरी करते हुए देखे जा रहे हैं। कभी कड़े सुरक्षा घेरे के बीच सूट-बूट में दिखने वाले मंत्री सदत की फूड डिलीवर के रूप में तस्वीरें देखकर सब हैरान हैं। कतर स्थित मीडिया संस्थान अल-जजीरा ने उनकी तस्वीरों को पोस्ट किया है।
وزير الاتصالات والتكنولوجيا الأفغاني السابق سيد أحمد سادات يلجأ لمهنة توصيل طلبات الطعام على متن دراجة هوائية في مدينة لايبزيغ الألمانية التي وصلها نهاية عام 2020، بعد تخليه عن منصبه pic.twitter.com/zfFERbqCmD
— قناة الجزيرة (@AJArabic) August 24, 2021
सैयद अहमद सदत ने बीते साल 2020 में ही अफगान कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। वह साल 2018 से कैबिनेट मंत्री थे लेकिन उनकी गनी सरकार से खान नहीं बनती थी और इसके चलते साल 2020 में उन्होंने मजबूरन इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से वह जर्मनी में जाकर रहने लगे। सदत ने उससे पहले 2005 से लेकर 2013 तक अफगानिस्तान में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के मुख्य तकनीकी सलाहकार समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। वह 2016 से 2017 तक लंदन में एरियाना टेलीकॉम के सीईओ के पद पर भी रह चुके हैं।
बता दें कि तालिबानी आतंकी पंजशीर घाटी को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुके हैं। पंजशीर ही अफगानिस्तान में एक ऐसा इलाका है जहां से तालिबान को चुनौती मिलती रही है। यहां तक की साल 1996 से 2001 तक पहली तालिबानी सरकार के दौरान भी तालिबानी लड़ाके पंचशीर घाटी में नहीं पहुंच पाए थे। अफगान सरकार के उपराष्ट्रपति रहे अमरूल्लाह सालेह इसी घाटी में रह रहे हैं और वह खुद को गनी की गैरमौजूदगी में कार्यकारी राष्ट्रपति भी घोषित कर चुके हैं।
पंजशीर घाटी में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद तालिबान को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। अहमद मसूद ने रविवार को उम्मीद जताई थी कि तालिबान के साथ शांतिपूर्व वार्ता होगी। समचार एजंसी रॉयटर्स से बातचीत में उन्होंने कहा था कि हम तालिबान को यह एहसास कराना चाहते हैं कि आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका वार्ता है, हम नहीं चाहते कि युद्ध छिड़े।
वहीं दूसरी ओर राजधानी काबुल के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारी संख्या लोगों की भीड़ अब भी जमा है। इन लोगों को उम्मीद है कि तालिबान के डर से वह किसी तरह वह देश से बाहर निकल जाएंगे।