Namaz on Times Square : न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर पहली बार पढ़ी गयी नमाज, सोशल मीडिया पर लोग बोले- मजहब के लिए लोगों का रास्ता रोकना जरूरी नहीं
Namaz on Times Square : न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर पढ़ी गयी नमाज, सोशल मीडिया पर लोग बोले- मजहब के लिए लोगों का रास्ता रोकना जरूरी नहीं
Namaz on Times Square : अमेरिका (America) में पहली बार न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर मुसलमानों (Muslims) ने नमाज अदा की है। इस दौरान हजारों की संख्या में टाइम्स स्क्वायर (Times Sqare) पर मुस्लिम समुदाय के लोग जुटे और तरावीह की नमाज पढ़ी गई। मुस्लिमों के इस सड़क पर नमाज पढ़ने के बाद इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग नमाज पढ़ने की इस घटना का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ लोग इसके विरोध में उतर आए हैं।
इस्लाम को बताया 'अमन का मजहब'
गल्फ टुडे की एक रिपोर्ट एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब मुसलमानों ने टाइम्स स्क्वायर जैसी चर्चित जगह पर नमाज अदा की हो। इस कार्यक्रम के आयोजकों के अनुसार वे चाहते थे कि रमजान न्यूयॉर्क सिटी के इस बहुचर्चित स्थान पर मनाया जाए और लोगों को यह मैसेज दिया जाए कि इस्लाम अमनपसंद मजहब है। आयोजकों का कहना था कि इस्लाम को लेकर दुनिया में कई गलत धारणाएं हैं इसे बदलने की जरूरत है।
आयोजकों का कहना है कि हम सभी लोगों को अपने धर्म के बारे में बताना चाहते थे जो इसके बारे में नहीं जानते थे। मुस्लिमों का पवित्र रमजान महीना शनिवार को शुरू हुआ। चांद दिखाई देने के बाद रमजान शुरू होने का ऐलान किया गया था। सोशल मीडिया पर कई लोग टाइम्स स्क्वायर पर नमाज पढ़ने का समर्थन कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि लोगों को मस्जिदों में नमाज पढ़नी चाहिए।
मजहब के प्रदर्शन के लिए लोगों का रास्ता रोकने की जरूरत नहीं
वहीं कुछ लोग इस घटना की आलोचना करते हुए इसे लोगों की असुविधा से भी जोड़ रहे हैं। इस घटना पर UAE निवासी हसन सजवानी का कहना है कि सड़क पर इस तरह नमाज पढ़ने से लोगों को दिक्कत होती है। अकेले न्यूयॉर्क में 270 से ज्यादा मस्जिदें हैं, जो नमाज के लिए सबसे अच्छी जगह हैं। मजहब का प्रदर्शन करने के लिए लोगों का रास्ता रोकने की कोई जरूरत नहीं है। यह वो रास्ता नहीं है जो इस्लाम हमें सिखाता है।
एक अन्य यूजर ने भी लिखा है कि मैं एक मुसलमान हूं लेकिन टाइम्स स्क्वायर पर नमाज पढ़ने का समर्थन नहीं करता। यह गलत संदेश दे सकता है कि इस्लाम हमलावर या घुसपैठ करने वाला है। इसलिए मस्जिदों में ही नमाज पढ़ें।