नेपाल ने जारी की नई पाठ्यपुस्तक, पाठ्यक्रम में भारत के भूभाग को अपना दिखाने वाला संशोधित मानचित्र शामिल
जनज्वार। नेपाल सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए नई पाठ्यपुस्तकें जारी की है। इन पाठ्यपुस्तकों में नेपाल सरकार ने अपने देश का संशोधित मानचित्र को शामिल किया है। नेपाल ने 10वीं व 12वीं के बच्चों के लिए नेपाल के भूभाग व सीमा मुद्दे से संबंधित विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया है।
नेपाल ने अपने संशोधित मानचित्र में तीन भारतीय भूभाग को अपने अधिकार क्षेत्र में दिखाया है, ये वे भूभाग हैं जो सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं। पिछले दिनों नेपाल की संसद ने इससे संबंधित विधेयक को पारित किया था और फिर उसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी। लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा वे भारतीय भूभाग हैं जिसे नेपाल अपना बता रहा है।
नेपाल के पाठ्यक्रम डेवलपमेंट सेंटर ने हाल ही में भारतीय भूभाग को अपना दिखाने वाली पाठ्य पुस्तकें तैयार की हैं। यह सेंटर नेपाल के शिक्षा विभाग के नियंत्रण में काम करता है। सेंटर के सूचना अधिकारी गणेश भट्टाराई ने संशोधित नक्शे को पाठ्यक्रम में शामिल करते हुए पुस्तकों के प्रकाशन की पुष्टि की।
नेपाल के शिक्षा मंत्री गिरिराज मणि पोखरेल ने 10वीं व 12वीं की कक्षाओं के लिए तैयार की गई इस पुस्तक की प्रस्तावना लिखी है। इस नई पुस्तक को नेपाल के क्षेत्र और सीमा मुद्दों के लिए पठन सामग्री शीर्षक दिया गया है।
भारत पहले ही नेपाल के इन दावाों को खारिज कर चुका है और इसे कृत्रिम विस्तार की संज्ञा दी है। नेपाल ने भारत द्वारा नवंबर 2019 में नया नक्शा प्रकाशित करने के छह महीने बाद उसने अपना संशोधित राजनैतिक नक्शा जारी किया, जिसमें उत्तराखंड के तीन महत्वपूर्ण भूभाग को उसने अपना दिखाया है।
नेपाल के वित्तमंत्री युवरात खातिवाड़ा ने नेपाल के कैबिनेट से नए मानचित्र को स्वीकृति मिलने के बाद ही कहा था कि सरकार ने संविधा की अनुसूची को अपडेट करने और संशोधित मानचित्र को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है।
नेपाल ने संशोधित मानचित्र वाला सिक्का भी जारी करने का निर्णय लिया है। वहां की सरकार ने संशोधित मानचित्र वाला सिक्का बनाने का निर्णय दिया है।
वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि सीमा विस्तार के कृत्रिम दावे ऐतिहासिक तथ्य या साक्ष्य पर आधारित नहीं हैं और तर्कसंगत नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि सीमा के मुद्दों पर बातचीत में हमारे बीच जो समझ विकसित हुई है यह उसका उल्लंघन है।
कालापानी पर क्या विवाद है?
कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में स्थित 35 वर्ग किमी का भूभाग है। यहां भारत तिब्बत पुलिस के जवान तैनात हैं। काली नदी का उदगम स्थल कालापानी ही है। भारत के नक्शे में यह नदी भी शामिल है।
1861 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई थी, तब काली नदी को पश्चिमी सीमा पर ईस्ट इंडिया और नेपाल के बीच रेखांकित किया गया था। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान भारत ने यहां चौकी बनायी।
नेपाल भारत पर यह झूठा आरोप लगाता है कि कालापानी में भारत की मौजूदगी सुगौली संधि का उल्लंघन है। वह यह भी कहता है कि 1961 के भारत चीन युद्ध से पहले उसने यहां जनगणना करवायी थी।