No-confidence Motion Against Imran Khan : क्या इमरान को भी पाक के दूसरे राजनेताओं की तरह सत्ता जाते ही जाना पड़ेगा जेल?
Pakistan Political Crisis : अविश्वास प्रस्ताव में हार के बाद सत्ता गंवाने वाले पाकिस्तान के पहले पीएम बने इमरान खान
No-confidence Motion Against Imran Khan : पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की अगुवाई में चल रही रहे गठबंधन सरकार के एक प्रमुख घटक मुत्ताहिदा कॉमी मुवमेंट पाकिस्तान (MQM-Pakistan) ने गठबंधन से किनारा करते हुए विपक्षी दलों के गठजोड़ का दामन थाम लिया है। बुधवार को एमक्यूएमपी की ओर से इसकी औपचारिक घोषणा कर दी गयी। एमक्यूएमपी के विपक्षी खेमे में मिल जाने से इमरान खान (Imran Khan) की सरकार को लेकर अनिश्चितता और भी बढ़ गयी है।
अब लोगों के बीच यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि अगर ऐसी ही स्थिति अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) पर वोटिंग के समय तक रही तो क्या इमरान खान की सरकार गिर जाएगी? क्या उनका भी हश्र सत्ता से बेखदल हुए देश के दूसरे नेताओं जैसा होगा। क्या उन्हें भी नवाज शरीफ (Nawaz Sharif), परवेज मुशर्रफ (Parvez Mushrraf) या आसिफ अली जरदारी की तरफ भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोपों का सामना करना होगा और अंतत: जेल जाना पड़ेगा। इन सारे सवालों के जवाब इमरान खान की सरकार के बचने या जाने पर टिकी है।
एमक्यूएमपी के पार्टी कंन्वेनर खालिद मकबूल सिद्दिकी ने पाकिस्तान (Pakistan) की राजधानी इस्लामाबाद में बुधवार को अन्य विपक्षी नेताओं के साथ हुई प्रेस वार्ता में इमरान खान की गठबंधन सरकार से खुद की पार्टी के अलग होने की घोषणा की है। इस मौके पर सिद्दिकी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक मौका है। इसके लिए सभी को बधाई। एक ऐसी परीक्षा है जिसे देश के नेतृत्व को पास करनी ही पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आज का दिन दुआओं का दिन है। आज आम लोगों की ख्वाहिश पूरी हो रही है। हमें उम्मीद है कि देश में ऐसा लोकतंत्र (Demoracy) तैयार कर सकेंगे जो पाकिस्तान के हर आम आदमी तक पहुंच सकेगा।
विपक्षी पार्टियों (Pakistan Opposition Parties) की ओर से बुलायी गयी इस प्रेसवार्ता में सिद्दिकी ने यह भी कहा कि विपक्षी के गठबंधन के साथ यह समझौता देश के आम लोगों की भलाई के लिए है। इस प्रेस वार्ता के दौरान विपक्षी पार्टियों के नेता शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो जरदारी भी मौजूद थे। आपको बता दें कि एमक्यूएमपी के विपक्षी गठबंधन में शामिल होने के बाद विपक्ष अब 176 सांसदों के समर्थन का दावा कर रहा है।
पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव में जीत के लिए विपक्ष को 172 सांसदों का समर्थन चाहिए। वहीं इमारान खान को भी अपनी सरकार बचाने के लिए 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। गौरतलब है कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (Pakistan National Assembly) में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर आगामी 3 अप्रैल को वोटिंग होनी है।
इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव की खबरों के पाकिस्तान का सियासी पारा लगातार उफान पर है। खबर आ रही है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा और पाकिस्तान के खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के डीजी इमरान खान के घर मुलाकात के लिए पहुंचे थे। इस मुलाकात के बाद इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन को रद्द कर दिया है।
इससे पहले पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा था कि प्रधानमंत्री इमरान खान आज देश देश की जनता को संबोधित करेंगे। वहीं पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने इमरान खान के इस्तीफे की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि इमरान खान किसी भी हाल में इस्तीफा नहीं देंगे। चौधरी ने इमरान खान का बचाव करते हुए कहा कि वह आखिरी बॉल तक संघर्ष करते रहेंगे।
इससे पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने बुधवार को पाकिस्तान नेशनल असेंबली में MQM के खालिद मकबूल सिद्दीकी और एलओपी शहबाज शरीफ के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि 2018 में चुनाव के नाम पर इमरान खान का चयन पूरे पाकिस्तान के खिलाफ एक साजिश थी। उन्होंने कहा कि शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने की सही चुनौती दी है।
पाकिस्तान में चल रहे इस घटनाक्रम पर वहां के वरीष्ठ पत्रकार नुसरत अमीन ने कहा है कि 99.9 फीसदी आशंका है कि अब इमरान खान देश के प्रधानमंत्री नहीं रहेंगें। हालांकि विपक्ष के लिए भी 172 का आंकड़ा जादूई आंकड़ा छू पाना आसान नहीं है। भले वही वे दावा 176 सांसदों का समर्थन है।
आप को बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी कुर्सी जाने की खबरों के बीच बार—बार कहा है कि विदेशी शक्तियां पाकिस्तान के लोगों के लिए काम करने वाले नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर पा रही है। इसलिए उन्हें सत्ता से बाहर करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की आलोचना करते हुए भी कि पाकिस्तान ने विदेशी शक्तियों के लिए अपने हितों का बलिदान तक किया लेकिन उन्हें कभी भी इसका मुल्य नहीं मिल सका। उनका स्पष्ट इशारा अमेरिका की ओर था।
पाकिस्तान में कई जगह चौक-चौराहों पर यह भी चर्चा चल रही है बीते 24 फरवरी को जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था उस दिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का रूस में मौजूद रहना और अतिउत्साह दिखाना भी इस राजनीतिक संकट का एक कारण हो सकता है।