इमरान खान ने की तालिबान की तारीफ, बोले अफगानिस्तान में जो हो रहा उसने गुलामी की बेड़ियां तोड़ दीं
(युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में तालिबान ने रविवार को काबुल को अपने नियंत्रण में ले लिया।)
जनज्वार। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान की तारीफ की है। खान के अनुसार अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा गुलामी की जंजीरों को तोड़ रहा है।
पाकिस्तान समर्थित समूह ने रविवार 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया। जिससे अफगानिस्तान में कट्टरपंथ की वापसी की चिंताओं को खत्म कर दिया है। तालिबान की वापसी के साथ ही खासकर महिलाओं को शिक्षा, नौकरी और शादी के मामलों में नागरिक अधिकारों से वंचित किया जा सकता है।
अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा और संस्कृति को लेकर इमरान खान ने कहा, आप दूसरी संस्कृति को स्वीकार करते हैं और फिर मनोवैज्ञानिक रूप से उसके अधीन हो जाते हैं। जब ऐसा होता है तो कृपया याद रखें, यह वास्तविक गुलामी से बदतर है। सांस्कृतिक दासतां की जंजीरों को तोड़ना कठिन है। अफगानिस्तान में अब जो हो रहा है, उसने गुलामी की बेड़िया तोड़ दी हैं।
युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में तालिबान ने रविवार को काबुल को अपने नियंत्रण में ले लिया। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए 31 अगस्त की समय सीमा तय की गई थी लेकिन तालिबान ने पहले ही जीत हासिल कर ली।
राष्ट्रपति अशरफ गनी यह स्वीकार करते हुए देश छोड़कर भाग गए कि आतंकियों ने बीस साल के युद्ध को जीत लिया है। अफगान समाचार एजेंसी 'खामा प्रेस' के मुताबिक गनी ने कहा कि रक्तपात को रोकने के लिए मेरा देश से बाहर जाना ही बेहतर था।
अशरफ गनी ने देश छोड़ने के बाद संदेश में कहा, आज मुझे मुश्किल चुनाव का सामना करना पड़ा। अगर मैं वहां रहता तो तालिबान मुझे हटाने के लिए तैयार दिख रहा था। अगर मैं वहां रह जाता तो अनगिनत देशवासी शहीद हो जाते और काबुल बर्बाद हो जाता है। रक्तपात को रोकने के लिए मेरा बाहर जाना बेहतर था।
तालिबान ने रविवार की रात राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करके सरकार को गिराकर दहशत पैदा कर दी थी। रविवार की देर रात से ही काबुल हवाई अड्डे पर अराजकता फैल गई जहां हजारों की संख्या में अफगान नागरिक इकट्ठा हुए जो देश छोड़ने की उम्मीद में वहां पहुंचे। हवाई अड्डे पर गोलियों की आवाजें भी सुनी गईं क्योंकि बचे हुए कुछ विमानों में जाने के लिए लोग धक्का-मुक्की कर रहे थे। अफगान हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया गया है।
अफगानिस्तान में बदले ताजा घटनाक्रम को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से अबतक कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि कुछ दिन पहले विदेश मंत्रालय ने केवल एक एडवायजरी जारी की थी कि अफगानिस्तान में रह रहे भारतीय नागरिक और राजनयिक वापस लौटें। विदेश मंत्रालय की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा- 'अपना अपना देख लो', कहीं ये नीति नहीं। एडवायजरी जारी कर दी, तो काम खत्म। सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा, ''अफ़गानिस्तान में कितने भारतीय फंसे हैं? उन्हें अपने देश लाने की क्या योजना है, सरकार तत्काल बताए। भारत सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान क्यों जारी नहीं किया? मूकदर्शक क्यों बनी है, सरकार?''
आतंकी संगठन तालिबान के साथ हुए #दोहा समझौते में भारत की क्या भूमिका थी? क्या भारत उसमें एक पार्टी या गवाह था?
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) August 16, 2021
स्पष्ट करे भारत सरकार, इतनी चुप्पी क्यों?
सूर्य प्रताप सिंह ने आगे लिखा- आतंकी संगठन तालिबान के साथ हुए #दोहा समझौते में भारत की क्या भूमिका थी? क्या भारत उसमें एक पार्टी या गवाह था? स्पष्ट करे भारत सरकार, इतनी चुप्पी क्यों?
कांग्रेस के नेशनल मीडिया पैनलिस्ट सुरेंद्र राजपूत ने एक वीडियो में कहा- अफगानिस्तान और तालिबान शासन पर मोदी सरकार की चुप्पी ख़तरनाक है। अफगानिस्तान में रहने वाले हर भारतीय की सुरक्षा मोदी सरकार की ज़िम्मेदारी है।
Afganistan और तालिबान शासन पर मोदी सरकार की चुप्पी ख़तरनाक है।
— Surendra Rajput सुरेंद्र राजपूत سریندر راجپوت (@ssrajputINC) August 16, 2021
Afganistan में रहने वाले हर भारतीय की सुरक्षा मोदी सरकार की ज़िम्मेदारी है। pic.twitter.com/8cWoewTVwO