Russia-Ukraine War : जेलेंस्की की युद्ध नीति से दुनिया हैरान, पुतिन परेशान क्यों?
वोलोदिमिर जेलेंस्की की युद्ध नीति पर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट
Russia-Ukraine War : पिछले पांच दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग पर पूरी दुनिया की नजर है। इन पांच दिनों में यूक्रेन जैसे छोटे मुल्क के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ( Volodymyr Zelensky ) की युद्ध नीति और अडिग नेतृत्व ने सभी को चकित होने पर मजबूर किया है। ये बात अलग है कि देर से ही यूक्रेन की हार तय हैं। लेकिन राष्ट्रपति जेलेंस्की अपने देशवासियों के लिए एक हीरो की तरह उभरकर सामने आये हैं। उन्होंने अपने हाथ में हथियार थाम देश की जनता को साफ संदेश दिया है कि यूक्रेन की संप्रभुता के लिए वो अपने परिवार के साथ जान देने को भी तैयार हैं।
रूस के हाथों हार के खौफ से बेखौफ जेलेंस्की ने पुतिन ( Vladimir Putin ) को वार्ता के टेबल पर आने के लिए मजबूर भी किया है। ये काम यूक्रेन के राष्ट्रपति ने उस समय किया है जब उनकी जान खुद खतरे में है। अमेरिका ने पोलैंड की सीमा पर यूक्रेन छोड़ने के लिए जेलेंस्की को एयर सेवा भी मुहैया करा दिया था लेकिन उन्होंने ने साफ शब्दों में कह दिया कि मुझे यूक्रेन को बचाने के लिए हथियार चाहिए, राइडर नहीं।
राष्ट्रपति जेलेंंस्की के इस साहसिक फैसलों ने अपने देश के लोगों में वतन के लिए मर मिटने का जज्बा पैदा कर दिया है। यही वजह है कि सुपरपावर रूस के सशक्त नेतृत्वकर्ता पुतिन समझ नहीं पार रहे हैं कि वो जो सोच रहे थे, वैसा हो नहीं रहा है। आखिर यूक्रेन की सरकार को गिराने और रूस समर्थक सरकार बनाने में उन्हें इतना वक्त क्यों लग रहा है। क्यों रूस को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है? खास बात यह है कि यूक्रेन जैसा छोटा देश सुपरपावर रूस का डटकर मुकाबला कर रहा है। आखिर कैसे यूक्रेन रूस के खिलाफ युद्ध के मैदान में डटा हुआ है। वो भी उस हालात में जब अमेरिका समेत नाटो के देशों ने सेना भेजने से इनकार कर दिया हो।
Russia-Ukraine War : ये हैं जेलेंस्की के सिक्रेट
1. रूस बड़ी सेना, परमाणु हथियार, मिसाइलों की बरसात, लगातार हवाई हमले और बमबारी का जवाब देने के लिए यूक्रेन ने पुतिन को गच्चा देने के लिए सामने से जंग करने के बजाय गोरिल्ला युद्ध की रणनीति पर अमल किया है। इस रणनीति के तहत राजधानी कीव समेत तमाम शहरों में रूसी सेना से जंग के लिए सेना के साथ आम लोगों को भी ऑटोमेटिक राइफलें दी जा रही हैं। लोगों को जंग की ट्रेनिंग दी जा रही हैं। ट्रेनिंग के बाद लोगों को शहरों की सीमाओं पर सैनिकों के साथ मोर्चे पर तैनात किए जा रहे हैं। ये सब इजरायल की सैन्य नीतियों की तरह है। यह इजरायल की नीति है कि देश के हर नागरिक को एक सैनिक की तरह जांबाज भी होना चाहिए। ताकि वो संकट के समय देश के काम आ सके।
2. यूक्रेन ने रूस को घेरने के लिए तमाम पश्चिमी और यूरोपीय देशों को साथ देने के लिए सहमत किया। अब वही देश लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यूक्रेन के पक्ष में आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं। यूएन के मंच पर जहां अमेरिका-ब्रिटेन-फ्रांस ने तुरंत युद्ध रोकने के लिए रूस के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया वहीं यूक्रेन ने रूस के खिलाफ ICJ यानी अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है। यूक्रेन ने रूस पर नरसंहार का आरोप लगाया है। अब रूस को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इन सब अपराधों का जवाब देना पड़ेगा। अमेरिका-ब्रिटेन-जर्मनी-फ्रांस समेत यूरोप के अधिकांश देशों ने रूस के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है। रूसी बैंकों के खिलाफ कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। आज तो चीन ने भी रूसी बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की है। ताकि रूस युद्ध रोकने के लिए बाध्य हो सके।
3. राष्ट्रपति जेलेंस्की खुद सेना की वर्दी में हथियार लेकर मैदान में उतर गए हैं। यूक्रेन के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद, शहरों के मेयर, यूक्रेन के सेलेब्रिटी, मॉड्ल्स, खिलाड़ी सब हथियार लेकर रूसी सैनिकों से लोहा लेने उतर आए हैं। हमलावर के खिलाफ जंग की ऐसी रणनीति शायद ही कभी दुनिया ने देखी हो। पिछले साल अफगानिस्तान में तालिबान के हमले के वक्त राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग खड़े हुए थे। इसके उलट जेलेंस्की ने साहस का परिचय दिया है। नतीजा यह निकला है कि यूक्रेन पर हमले के लिए पुतिन की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। उनके अपने ही देश में पुतिन के इन फैसलों के खिलाफ 52 से ज्यादा शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं। हालात, यह है कि 3 हजार से अधिक प्रदर्शनकारियों को तीन दिन में पुतिन की पुलिस ने गिरफ्तार किया। ताज्जुब की बात यह है कि ये लोग यूक्रेनियन नहीं रशियन नागरिक हैं। यानि रूस की आबादी का एक बड़ा तबका भावनात्मक रूप से यूक्रेन के साथ है।
4. यूक्रेन ने अपने मजबूत गढ़ माने जाने वाले खारकीव, कीव जैसे शहरों में मजबूत मोर्चाबंदी करके अपनी पसंद का युद्धक्षेत्र तैयार किया। इन्हीं इलाकों में सेना-एयरफोर्स की मोर्चाबंदी की। रूसी सेना को तीन तरफ से अपनी सीमा डोनबास्क, सुमी और चेरनोबिल जैसे शहरों में घुसने दिया। इसके बाद अपने मजबूत इलाकों में रूसी सेना को ट्रैप किया। यही वजह है कि रूसी सेना को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है। इन इलाकों में रूसी टैंक और लड़ाकू विमानों के लगातार ध्वस्त होने की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। इन इलाकों में घुस रहे रूसी मिसाइलों और फाइटर जेट को भी यूक्रेन अपने एयर डिफेंस से मार गिराने में कामयाब हो रहा है।
5. अमेरिका समेत नाटो देशों ने भले ही यूक्रेन की मदद के लिए सेना भेजने से इनकार कर दिया हो लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की खुद युद्ध के मैदान में उतरकर भी लगातार दुनियाभर के नेताओं से बात कर रहे हैं। उनकी इस रणनीति का फायदा भी होता दिख रहा है। अमेरिका यूक्रेन को 350 मिलियन डॉलर की मदद देने को राजी हो गया है। जर्मनी यूक्रेन को 1,000 टैंक रोधी हथियार और 500 'स्टिंगर' मिसाइलें भेज रहा है। बेल्जियम यूक्रेन को मशीनगन भेज रहा है। चेक गणराज्य ने यूक्रेन को 85 लाख डॉलर के हथियार और गोला-बारूद भेजने का ऐलान किया है। फ्रांस ने यूक्रेन को 300 मिलियन यूरो और सैन्य उपकरण देने की बात कही है तो नीदरलैंड 200 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें यूक्रेन को भेजेगा। पड़ोसी देश पोलैंड ने भी यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई का वादा किया है। 28 देशों ने हमलों से निपटने के लिए यूक्रेन को तत्काल मदद पहुंचाने का ऐलान किया है।
6. तीन दिनों की जंग के बाद बेलारूस में रूस वार्ता की टेबल पर आने को तैयार हुआ तो यूक्रेन ने ये कहते हुए बेलारूस में पहले वार्ता से इनकार कर दिया कि किसी ऐसे देश की जमीन पर वह वार्ता नहीं करेगा जिसने अपनी सीमा से रूस के सैनिकों को यूक्रेन पर हमला करने दिया। इसके बाद कोशिशों को फेल होते हुए देखकर बेलारूस के राष्ट्रपति को यूक्रेन से बात करनी पड़ी और अपनी मंशा साफ करनी पड़ी। तब जाकर यूक्रेन वार्ता की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार हुआ। अब यूक्रेन का प्रतिनिधिमंडल बातचीत के लिए बेलारूस पहुंच गया है।
7. दुनियाभर में सबसे ज्यादा चर्चा राष्ट्रपति जेलेंस्की की हो रही है। ऐसा इसलिए कि जब जेलेंस्की की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए रूस ने हमलों की शुरुआत की थी तब चर्चा थी कि जेलेंस्की हमलों के बीच देश छोड़कर भाग जाएंगे। ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने जेलेंस्की को राजनीतिक शरण देने का ऐलान किया। अमेरिका ने पोलैंड बॉर्डर पर तीन सैन्य विमान भी भेजे कि रूसी हमले के दौरान बचाने के लिए राष्ट्रपति जेलेंस्की को निकाल लाया जाए। लेकिन जेलेंस्की ने देश छोड़ने से इनकार कर दिया। जेलेंस्की ने अमेरिकी विमानों को लौटाते हुए कहा कि मैं युद्ध में उतरा हूं। मुझे राइड नहीं, हथियार चाहिए। ताकि मैं हमलावरों से अपने देश की रक्षा कर सकूं। मैं और मेरा परिवार यहीं राजधानी कीव में हैं और मैं युद्ध के मैदान में हूं। इसके बाद क्या आम, क्या खास सबमें यूक्रेन को बचाने की होड़ सी दिखने लगी।
8. रूस ने झुकने पर मजबूर करने के लिए यूक्रेन पर साइबर हमलों की बौछार की। रूस के कई वेबसाइट्स हैक हो गए। लेकिन हुआ क्या, दुनिया भर के कई हैकर समूह रूस के खिलाफ यूक्रेन के समर्थन में आ गए हैं। लगातार रूसी वेबसाइट्स और टेलीकम्युनिकेशन माध्यमों को निशाना बना रहे हैं। यहां तक कि रूसी टेलीविजन को हैक करके हैकर्स ने यूक्रेन का नेशनल एंथम चला दिया। हैकर लगातार रूस और बेलारूस के डिफेंस और सरकार से जुड़े ईमेल्स को निशाना बना रहे हैं। इस मोर्चे पर भी रूस को जबरदस्त हमले का शिकार होना पड़ रहा है।