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Suicide Machine: 'मौत की मशीन' को दी मंजूरी, बिना दर्द 1 मिनट में होगी मौत

Janjwar Desk
8 Dec 2021 12:06 PM GMT
Suicide Machine: मौत की मशीन को दी मंजूरी, बिना दर्द 1 मिनट में होगी मौत
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Suicide Machine: ‘मौत की मशीन’ को एग्जिट इंटरनेशनल (Exit International) नाम की संस्था ने बनाया है। संस्था के डायरेक्टर डॉ. फिलिप निट्स्के (Dr Philip Nitschke) ने इसे बनाया है। उन्हें ‘डॉ. डेथ’ भी कहा जाता है।

Suicide Machine: स्विट्जरलैंड सरकार ने सुसाइड मशीन को कानूनी मंजूरी दे दी है। इस मशीन के जरिए व्यक्ति बिना किसी दर्द के 1 मिनट में मौत की नींद सो सकता है। बताया जा रहा है इस मशीन बहुत गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग, जो चलने यहां तक कि हिलने डुलने में भी असमर्थ हैं, वे उपयोग कर पाएंगे। इसे सुसाइड मशीन कहा जा रहा है। आपको बता दें स्विटजरलेेंड एक ऐसा शहर है जहां इच्छामृत्यु को कानूनी मंजूरी मिली हुई है।स्विट्जरलैंड सरकार ने सुसाइड मशीन के उपयोग को कानूनी रूप से स्वीकृति भी दे दी है। जिस कंपनी ने इसे बनाया है उसने दावा किया है कि ये मशीन एक मिनट में बिना किसी दर्द को लोगों को मौत के घाट उतार देगी। दरअसल इस अजीब मशीन को ताबूत का आकार दिया गया है। शरीर को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस मशीन का द्वारा ऑक्सीजन लेवल को बहुत कम कर दिया जाता है। जिसके चलते व्यक्ति की 1 मिनट के अंदर मौत हो जाती है।

'मौत की मशीन' को एग्जिट इंटरनेशनल (Exit International) नाम की संस्था ने बनाया है। संस्था के डायरेक्टर डॉ. फिलिप निट्स्के (Dr Philip Nitschke) ने इसे बनाया है। उन्हें 'डॉ. डेथ' भी कहा जाता है। स्विट्जरलैंड में इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता मिली हुई है। एग्जिट इंटरनेशनल के दावे के अनुसार बीते वर्ष स्विट्जरलैंड में 13 सौ लोगों ने दूसरों की मदद से आत्महत्या की थी।

यह मशीन ऐसे लोगों के लिए बनाया गया है। जो किसी गंभीर बीमारी के चलते ठीक तरह से अपनी जिंदगी जी नहीं पा रहे हैं। हर तरह से अपना कार्य करने में असमर्थ हैं। बीमारी की वजह से हिल-डुल भी नहीं पाते हैं। ब्रिटिश वेबसाइट इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मशीन को अंदर से भी ऑपरेट भी किया जा सकता है। बीमार व्यक्ति शारीरिक रूप से असमर्थ होेने के बावजूद मशीन के अंदर पलकें झपकाकर भी मशीन को चला सकता है।

इसमें लगे बायोडिग्रेडेबल कैप्सूल को ताबूत की तरह उपयोग किया जा सकता है। इस मशीन को Sarco नाम दिया गया है और अभी इसका प्रोटोटाइप पेश किया गया है। डॉ. निट्स्के के अनुसार 'अगर सब ठीक रहा तो अगले साल तक ये मशीन उपलब्ध हो जाएगी। ये अब तक का सबसे महंगा प्रोजेक्ट है, लेकिन हम इसके काफी करीब हैं।'

एक तरफ तो इस मशीन को बनाया गया है लेकिन ऐसी मशीन बनाने पर डॉ. निट्स्के की आलोचना भी हो रही है। इंडिपेंडेंट ने बताया कि कुछ लोगों ने मशीन के इस्तेमाल करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं। लोग इसके खतरनाक गैस चैंबर मान रहे हैं जो लोगों को आत्महत्या यानि खुदखुशी के लिए उकसा भी सकती है। फिलहाल दो मशीन के प्रोटोटाइप तैयार किए गए हैं। तीसरी मशीन का प्रोडक्शन होने में आने वाले साल का समय लग सकता है।

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