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दुनिया

मेडिसिन के फील्ड में मिला स्वैंते पैबो को DNA का नोबल, विस्तार से जानिए उनके शोध से आम लोगों को क्या होगा फायदा

Janjwar Desk
5 Oct 2022 2:06 PM IST
मेडिसिन के फील्ड में मिला स्वैंते पैबो को डीएनए का नोबल, विस्तार से जानिए उनके शोध से आम लोगों को क्या होगा फायदा
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मेडिसिन के फील्ड में मिला स्वैंते पैबो को डीएनए का नोबल, विस्तार से जानिए उनके शोध से आम लोगों को क्या होगा फायदा

स्वैंतो पैबो की खोज से निएंडरथल मान और आधुनिक मानव के आठ लाख साल से ज्यादा के कालक्रम को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही एंटी बॉडी सिस्टम का विश्लेषण करना भी अब आसान होगा।

नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार समिति के सचिव थॉमस पर्लमैन ने स्टाकहोम में मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2022 का नोबेल पुरस्कार जर्मनी के लेपजिग स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी और स्वीडिश वैज्ञानिक स्वैंते पैबो ( Swedish scientist Swante Paabo ) को देने की घोषणा की है। पैबो को आधुनिक मानव से मिलती-जुलती विलुप्त प्रजाति, निएंडरथल और डेनिसोवान्स के जीनोम के अनुक्रमण ( DNA ) और मानव के क्रमिक विकास में अनूठी अंतर्दृष्टि डालने के लिए यह सम्मान दिया गया है।

8 लाख साल पुराने मानव इतिहास को समझने में मिलेगी मदद

नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि उनकी इस खोज ने हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली और हमें मानव की विलुप्त प्रजातियों की तुलना में अनूठा बनाने वाले कारकों पर महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई हैं। नोबेल कमेटी की अध्यक्ष एना वेडेल ने कहा कि इस अनुसंधान में करीब आठ लाख साल पहले का वह समय शामिल है, जब आधुनिक मानव और निएंडरथल एक प्रजाति के रूप में अलग हुए। उन्होंने कहा कि पैबो और उनकी टीम ने यह भी पाया कि जीन प्रवाह निएंडरथल से होमो सैपियंस में हुआ। उनकी खोज में यह पता चला कि उन्होंने साथ मिलकर संतान को जन्म दिया होगा।

19वीं सदी हुई थी निएंडरथल के अस्थियों की खोज

छोटी साइबेरियाई हड्डियों में अपने डीएनए अनुक्रमों की जांच करके, उन्होंने डेनिसोवन्स की खोज की जो पहले से अज्ञात मानव समूह था जो निएंडरथल से दूर से संबंधित था। वह मनुष्यों और वानरों के तुलनात्मक और कार्यात्मक जीनोमिक्स पर भी काम कर रहे हैं। पैबो के काम से विलुप्त प्रजातियों की तुलना और बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। दरअसल, निएंडरथल की अस्थियां सर्वप्रथम 19वीं सदी के मध्य में खोजी गई थी। उसके डीएनए की संरचना का पता लगाने से यह सफलता मिली थी। आज भी अफ्रीका महाद्वीप के बाहर करीब एक-दो प्रतिशत लोगों में निएंडरथल जीन हैं। बता दें कि पैबो के पिता सुने बेर्गस्ट्रॉम को 1982 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला था।

पैंबो ने वो सब किया जो एक मिशनरी को करना चाहिए

प्राचीन डीएनए के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए स्वैंते पैबो जाने जाते हैं। उनका ये शोध ऐतिहासिक एवं प्राग-ऐतिहासिक अवशेषों को बरामद करने और उनके विश्लेषण से जुड़ा हुआ है। प्राग ऐतिहासिक मानव को बेहतर तरीके से समझने के लिए पैबो ने मेडिकल साइंस में पीएचडी की उपाधि 1980 के दशक की शुरुआत में स्वीडन की उप्पासला यूनिवर्सिटी से हासिल की थी। इसके अलावा उन्होंने प्राचीन मिस्र की भाषा, इतिहास और संस्कृति का भी अध्ययन किया। आणविक जीव विज्ञान की भी इसमें मदद ली। इसके अलावा पैबो ने आधुनिक मानव और हमारी करीबी विलुप्तप्राय प्रजाति निएंडरथल और डेनिसोवंस के 'जीनोम' की तुलना के लिए शोध का नेतृत्व किया। शोध के जरिए यह प्रदर्शित किया कि इन प्रजातियों के बीच मिश्रण है।

कौन हैं स्वैंते पैबो ( Swante Paabo )

स्वैंते पैबो एक स्वीडिश आनुवंशिकीविद् और विकासवादी आनुवंशिकी में विशेषज्ञता वाले नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। पैलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में से एक और निएंडरथल जीनोम पर ध्यान केंद्रित करने वालों के अगुवा हैं। 1997 में उन्हें जर्मनी के लीपज़िग में मैक्स हे प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के आनुवंशिकी विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया था। वह ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी हैं। स्वंते पाबो ने पुरातात्विक और पुरापाषाणकालीन कलाकृतियों से डीएनए अनुक्रमण के लिए तकनीक और दृष्टिकोण विकसित किए हैं। इसने उन्हें विलुप्त जीवों, मनुष्यों, जानवरों और रोगजनकों के प्राचीन डीएनए का अध्ययन करने की अनुमति दी। उन्होंने अपने उच्च गुणवत्ता वाले निएंडरथल जीनोम को अनुक्रमित किया है। इसने हमें अपनी प्रजातियों के हाल के विकासवादी इतिहास का पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी है, जिसमें पाया गया है कि निएंडरथल ने अफ्रीका के बाहर रहने वाले आधुनिक मनुष्यों को अपना डीएनए प्रदान किया है।

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