तालिबान की पहली सुबह : काबुल में सड़कों पर सन्नाटा, देश छोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जद्दोजहद
(अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद तालिबानियों की तस्वीर)
जनज्वार। अफगानिस्तान से बीस वर्षों के बाद अमेरिकी सुरक्षाबलों के निकल जाने के बाद एक बार फिर सरकार तालिबान के हाथों में आ गयी है। तालिबान ने देश के 35 प्रांतों की राजधानी में से 25 को पूरी तरह से कब्जा लिया है। खबरों के मुताबिक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर किसी मध्य एशियाई देश में जा चुके हैं। हालांकि ताशकंद स्थित अफगानिस्तानी दूतावास ने सोमवार को कहा कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि अशरफ गनी इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद उज्बेकिस्तान पहुंचे हैं या नहीं।
इससे पहले प्रमुख अमेरिकी समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स ने रविवार 15 अगस्त को दोहा में इंट्रा अफगान वार्ता में अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य का हवाला देते हुए बताया कि गनी अपनी पत्नी और दो सलाहकारों के साथ काबुल से ताशकंद के लिए रवाना हुए थे।
अफगानिस्तान की प्रमुख समाचार एजेंसी ख़ामा प्रेस के मुताबिक तालिबान के हाथों में अफगानिस्तान के जाने के बाद राजधानी काबुल में 16 अगस्त की सुबह कोई भी अफगान सरकारी कर्मचारी नहीं था। राजधानी काबुल पर तालिबान का कब्जा है और सड़कों पर काबुल के निवासी मुश्किल से देखने को मिले।
रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान सरकारी सुविधाओं की सुरक्षा कर रहे हैं और उन सुविधाओं को खाली करने में व्यस्त हैं जो अभी भी अफगान सरकारी बलों द्वारा संचालित हैं। स्कूल, विश्वविद्यालय और गलियों की अधिकांश दुकानें बंद हैं।
हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के सामने हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे जमा हो गए हैं ताकि उन्हें अफगानिस्तान से बाहर निकलने का मौका मिले।
इस बीच, हजारों अन्य लोग अभी भी हवाईअड्डे के अंदर हैं और विमान पर चढ़ने और देश छोड़ने के किसी भी मौके का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन हवाई अड्डे के प्रशासन ने घोषणा की कि कोई भी विमान काबुल से बाहर नहीं जा रहा है, लोगों से अनुरोध है कि वे हवाई अड्डे पर धावा न बोलें और इसके आसपास से न निकलें।
तालिबान के द्वारा राजधानी काबुल में पेट्रोलिंग की जा रही है और मोटरसाइकिल, व्यक्तिगत वाहनों को ट्रैफिक के लिए निर्देशित कर रहे हैं।
राष्ट्रपति के महल को पूर्व उप सुरक्षा प्रभारी के द्वारा जाकिर कयूम को सौंपा जा चुका है। जाकिर कयूम इस्लामिक इस्लामिक अमीरात (एआईई) के सदस्य हैं। बताया जा रहा है कि जब तक सत्ता का हस्तांतरण नहीं हो जाता तब तक वह राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के प्रभारी रहेंगे।
ख़ामा प्रेस के मुताबिक कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों समेत दुनिया के 72 देशों ने लोगों के जीवन और संपत्ति की तत्काल सुरक्षा करने का आह्वाहन किया है क्योंकि अफगानिस्तान अब पंजशेर प्रांत को छोड़कर पूरी तरह से तालिबान के कब्जे में हैं।
एक संयुक्त बयान में इन देशों के द्वारा सुरक्षा और नागरिक व्यवस्था की तत्काल बहानी करने को कहा गया है।
जिन देशों और संघों ने यह संयुक्त बयान जारी किया है उनमें अल्बानिया, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बहामास, बेल्जियम, बुर्किना फासो, कनाडा, चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, कोटे डी आइवर, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिकन गणराज्य, अल सल्वाडोर, एस्टोनिया, यूरोपीय संघ, माइक्रोनेशिया, फिजी, फिनलैंड, फ्रांस, जॉर्जिया, जर्मनी, घाना, ग्रीस, ग्वाटेमाला, गुयाना, हैती, होंडुरास, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, जापान, कोसोवो, लातविया, लाइबेरिया के संघीय राज्य लिचेंस्टीन, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, मार्शल द्वीप समूह, मॉरिटानिया, मोंटेनेग्रो, नाउरू, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजर, उत्तरी मैसेडोनिया, नॉर्वे, पलाऊ, पनामा, पराग्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, कतर, कोरिया गणराज्य, साइप्रस गणराज्य, रोमानिया , सिएरा लियोन, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, सूरीनाम, स्वीडन, टोगो, टोंगा, युगांडा, यूनाइटेड किंगडम, यूक्रेन और यमन शामिल हैं।
विदेशी नागरिकों और दूतावासों के कर्मचारियों की निकासी के बीच संयुक्त बयान में अफगानिस्तान में सभी पक्षों से विदेशी नागरिकों और देश छोड़ने की इच्छा रखने वाले अफगानों की सुरक्षा-व्यवस्था और प्रस्थान का सम्मान करने और सुविधा प्रदान करने के लिए कहा गया है।
ताजा अपडेट्स
- टोलो न्यूज के मुताबिक, ''काबुल हवाई अड्डे पर गोलियों की आवाज सुनी गई। कथित तौर पर विमान में सवार होने की इच्छा रखने वाली भीड़ पर गोलियां चलाई गईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि गोलीबारी में लोगों के मारे जाने या घायल होने की सूचना है।''
- समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक इस बीच चीन ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना चाहता है।
- इस मामले पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा- "अफगानिस्तान का तालिबान के हाथों में गिरना हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है। यह भारत के खिलाफ चीन-पाक गठजोड़ को मजबूत करेगा (चीन पहले ही उइगर पर मिलिशिया की मदद मांग चुका है)। संकेत बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं, हमें अपनी सभी सीमाओं पर अब अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है।"
Afghanistan's fall to #Taliban doesn't augur well for our country. It'll strengthen the Sino-Pak nexus against India (China has already sought militia's help on Uyghur). The signs are not at all good, we need to be extra vigilant now at all our borders.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) August 15, 2021
- कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विदेश मंत्रालय से तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के एक गुरुद्वारे में फंसे लगभग 200 सिखों सहित सभी भारतीयों को तत्काल निकालने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है।
- अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताते हुए कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को रहस्यमयी चुप्पी तोड़कर देश को यह बताना चाहिए कि इस पड़ोसी देश को लेकर उनकी आगे की क्या रणनीति है और वहां से भारतीय नागरिकों व राजनयिकों की सुरक्षित वापसी को लेकर क्या योजना है।