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दुनिया

जो कभी राष्ट्रपति के पीछे खड़ा रहता था छाता लेकर अब तख्तापलट कर बन बैठा नया बादशाह, जानें कहां की है घटना

Janjwar Desk
8 Sep 2021 4:17 AM GMT
जो कभी राष्ट्रपति के पीछे खड़ा रहता था छाता लेकर अब तख्तापलट कर बन बैठा नया बादशाह, जानें कहां की है घटना
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(जो शख्स कभी राष्ट्रपति के पीछे छाता लगाकर खड़ा रहता था, वह अब शासक बन गया) 
जो शख्स राष्ट्रपति के पीछे छाता लेकर खड़ा रहता था, उसके कब्जे में अब राष्ट्रपति हैं, सोशल मीडिया पर लोग हैरान हैं और जनता अब तक यकीन नहीं कर पाई है कि राष्ट्रपति का वफादार ही उनके पीठ में खंजर भोंक देगा..

जनज्वार।जो कभी राष्ट्रपति के पीछे छाता लेकर खड़ा रहता था, तख्तापलट कर अब वही शासक बन गया और राष्ट्रपति को कैद कर लिया। जी हां, यह बिल्कुल ताजा और सच्चा वाकया है। पश्चिमी अफ्रीका में एक देश है, नाम है गिनी, जो इन दिनों राजनीतिक उठापटक और तख्तापलट के दौर से गुजर रहा है। गिनी के राष्ट्रपति का नाम था अल्फा कोंडे, जिनकी सत्ता अब जा चुकी है। हैरत का बात ये है कि उनकी सत्ता उस शख्स ने पलट दी है, जो उनके पीछे छाता लेकर खड़ा रहता था और उनका सबसे बड़ा वफादार था।

पिछले 12 सालों से राष्ट्रपति की वफादारी में लगे रहने वाले ममादी डोंबोया ने अब गिनी की किस्मत बदलकर रख दी है। ममादी डोंबोया के हाथों में अब गिनी की कमान है। आईये जानते हैं कि आखिर गिनी में ममादी डोंबोया ने अपने ही 'मालिक' को कैसे धोखा दिया और कैसे एक ही झटके में पूरी किनी पर कैसे कब्जा कर लिया।

गिनी में तख्तापलट हो चुका है और राष्ट्रपति को सत्ता से बेदखल करने वाले शख्स का नाम है ममादी डोंबोया, जो गिनी के कर्नल हैं। उन्हें लोग कर्नल ममादी डोंबोया के नाम से जानते हैं और अब तक उनकी पहचान राष्ट्रपति के सबसे वफादार शख्स के तौर पर होती थी। लेकिन, अब खेल पलट चुका है। जो शख्स राष्ट्रपति के पीछे छाता लेकर खड़ा रहता था, उसके कब्जे में अब राष्ट्रपति हैं। सोशल मीडिया पर लोग हैरान हैं और गिनी की जनता अब तक यकीन नहीं कर पाई है कि राष्ट्रपति का वफादार ही उनके पीठ में खंजर भोंक देगा।

गिनी में रविवार को सेना ने चुनी हुई सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका और राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को गिरफ्तार कर लिया। राष्ट्रपति अल्फा कोंडे अब कहां हैं, ममादी डोंबोया के अलावा किसी को नहीं पता। लोगों का कहना है कि उन्हें किसी गुप्त स्थान पर रखा गया है। सैनिकों की हिरासत में रखे गये राष्ट्रपति अल्फा कोंडे की एक तस्वीर जारी की गई थी।

बताया जाता है कि गिनी में लोकतंत्र की स्थापना के लिए कर्नल ममादी डोंबोया ने अपने राष्ट्रपति अल्फा कोंडे का भरपूर साथ दिया था और गिनी की इतिहास में पहली बार 2010 में चुनाव करवाए गये, जिसमें अल्फा कोंडे भारी मतों से जीते। 2010 के बात लगातार तीन चुनावों में अल्फा कोंडे ने जीत हासिल कर रिकॉर्ड बना दिया। इन तीनों चुनाव में कर्नल ममादी डोंबोया लगातार अपने राष्ट्रपति के साथ खड़े रहे। वफादार बने रहे, लेकिन, अब उन्होंने बाजी पलट दी है।

सिर पर लाल टोपी, आंखों में धूप का चश्मा और सेना का ड्रेस। कर्नल ममादी डोंबोया की यही पहचान रही है और उन्होंने गिनी की नेशनल टीवी पर आकर तख्तापलट की घोषणा की है। कर्नल ममादी डोंबोया ने कहा कि 'गिनी में राजनेताओं ने देश का निजीकरण कर दिया था, लेकिन अब हम देश की सत्ता को एक आदमी के हाथ में नहीं सौंपेंगे'।

गिनी की सेना को जुंटा कहा जाता है और तख्तापलट के बाद यूरोपीयन यूनियन ने गिनी पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही है। सोमवार को कर्नल ममादी डोंबोया ने पूर्व सरकार के मंत्रियों को मिलने के लिए बुलाया था और कहा था कि जो मंत्री बैठक में नहीं आएगा, उसे देशद्रोही माना जाएगा।

कर्नल ममादी डोंबोया की शुरूआती जिंदगी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन इतना पता है कि, जिस समाज से राष्ट्रपति आते हैं, उसी समाज से कर्नल ममादी डोंबोया भी आते हैं। उन्हें सेना का सबसे शानदार कमांडर माना जाता है, लेकिन कई लोगों का कहना रहा है कि उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नल ममादी डोंबोया ने अमेरिका में कमांडो मिशन की ट्रेनिंग ली है। वो सरकार की तख्तापलट करने वाले ममादी गिनी स्पेशल फोर्स के चीफ हैं, जो सीधे राष्ट्रपति को रिपोर्ट करती थी।

रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से पहले वो बुर्कीना फासो में थे, जहां उन्हें अमेरिका और फ्रांस की सेना ने कमांडो ट्रेनिंग दी थी, लेकिन रविवार को उन्होंने अपनी सेना के साथ राष्ट्रपति भवन के पास गोलीबारी करते हुए पूरी सरकार को अपने कब्जे में लिया और देश में तख्तापलट कर दिया।

देश की सत्ता को पलटने के बाद नेशनल टीवी पर घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि ''हम उन सभी गलतियों को ठीक करेंगे, जो हमने किया है। हम अपनी गलतियों से सीख लेंगे, जिसका कमिटमेंट हमने गिनी की जनता से किया है''।

कर्नल ममादी डोंबोया पिछले 15 सालों से सेना में हैं और उन्होंने अफगानिस्तान, आइवरी कोस्ट, जिबूती, मध्य अफ्रीकी गणराज्य में मिशनों में काम किया है। इसके साथ ही उन्होंने इज़राइल, साइप्रस, यूके और गिनी में भी काम किया है।

कहा जाता है कि उन्होंने इज़राइल में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी में परिचालन सुरक्षा विशेषज्ञ प्रशिक्षण के साथ-साथ सेनेगल, गैबॉन और फ्रांस में सैन्य प्रशिक्षण को "शानदार ढंग से पूरा किया"।

कई सालों तक फ्रांसीसी विदेशी सेना में सेवा करने के बाद कर्नल डोंबौया को राष्ट्रपति कोंडे ने 2018 में विशेष बल समूह (जीएफएस) का नेतृत्व करने के लिए गिनी लौटने के लिए कहा था। वह तब फोरकारियाह, पश्चिमी गिनी में स्थित शहर में थे, जहां उन्होंने क्षेत्रीय निगरानी ब्यूरो (डीएसटी) और सामान्य खुफिया सेवाओं के तहत काम किया।

जीएफएस की स्थापना के लिए कर्नल डौंबौया को याद करते हुए राष्ट्रपति कोंडे को इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि वे अपने राजनीतिक जीवन में आत्महत्या करने वाला कदम उठा रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिन पहले गिनी में राष्ट्रपति के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। विपक्ष के विरोध प्रदर्शन में कई शहरों में लाखों लोग शामिल हुए थे। जिसके बाद राष्ट्रपति के खिलाफ जनता के गुस्से को भुनाते हुए कर्नल ने राष्ट्रपति को हिरासत में लेते हुए सैन्य तख्तापलट कर दिया है।

वहीं, गिनी से आ रही रिपोर्ट के मुताबिक, सैन्य तख्तापलट को गिनी में जनता का काफी समर्थन मिल रहा है और लोग सेना के समर्थन में रैलियां निकाल रहे हैं और राष्ट्रपति की गिरफ्तारी को सेना द्वारा उठाया गया सही कदम बता रहे हैं।

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