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कोरोना संक्रमित कचरे से जूझ रही पूरी दुनिया, क्षमता से कई गुना ज्यादा जमा हो रहा कूड़ा

Janjwar Desk
23 Jun 2020 6:36 PM IST
कोरोना संक्रमित कचरे से जूझ रही पूरी दुनिया, क्षमता से कई गुना ज्यादा जमा हो रहा कूड़ा
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वुहान में संक्रमण के चरम के दौरान दूषित कचरा सामान्य स्तर से पांच गुना अधिक होने लगा था जबकि उसके पास 49 टन के संक्रमित कूड़े को ही भस्म करने की क्षमता थी...

जनज्वार ब्यूरो। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बनाई गई पीपीई किट अब एक दूषित कचरे की समस्या के रूप में ऊभरकर सामने आ रही है। वुहान में कोरोना संकट जब चरम पर था तब देश के पर्यावरण मंत्रालय ने बताया था कि प्रत्येक दिन 240 टन चिकित्सा का कूड़ा जमा हो रहा है जो कि सामान्य स्तर से छह गुना अधिक था।

वहीं एशियन डेवलपमेंट बैंक के अनुमान के अनुसार फिलीपींस के मनीला में प्रतिदिन 280 टन अतिरिक्त चिकित्सा कचरा उत्पन्न हो रहा है, जबकि जकार्ता में 212 टन चिकित्सा कचरा उत्पन हुआ।बैंक ने कहा कि कुछ ही देशों के पास अतिरिक्त वॉल्यूम को संभालने की क्षमता है।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के पर्यावरण और अर्थशास्त्र एकीकरण विभाग के प्रमुख शारदुल अग्रवाल ने कहा, 'जब हम संकट के चरम पर पहुंच रहे हैं, तो मेडिकल कचरे के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि संभवत: दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हो रही है, जैसा कि हमने वुहान और एशिया के अन्य शहरों के उभरते आंकड़ों में देखा है।'

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक की पैकेजिंग के साथ-साथ मास्क, दस्ताने और परीक्षण किट जैसे एकल उपयोग वाली वस्तुओं के उत्पादन ने महामारी को बढ़ावा दिया, जिसमें प्लास्टिक एक प्रमुख घटक है।

थाईलैंड पर्यावरण संस्थान के अनुसार अप्रैल तक थाईलैंड के चिकित्सा केंद्रों में प्रत्येक दिन 50 टन संक्रामक कचरा जमा हो रहा था जो केवल 43 टन को प्रभावी ढंग से भस्म करने की क्षमता रखता था।

वुहान में असंतुलन और भी बदतर था, संक्रमण के चरम के दौरान दूषित कचरा सामान्य स्तर से पांच गुना अधिक होने लगा था जबकि उसके पास 49 टन के संक्रमित कूड़े को भस्म करने की क्षमता थी। कई शहरों में लॉकडाउन होने के कारण नगरपालिका को कचरे को रीसाइक्लिंग करने में मुश्किलें पैदा हुईं। अधिकारियों को अक्सर कचरे के जमा होने से पहले ही बनायी हुई भट्टियों पर निर्भर रहना पड़ता था।

अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में कहा, चिकित्सा अपशिष्ट में तेजी से हो रही वृद्धि से निपटने के लिए एक आपातकालीन समाधान हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सबसे अच्छा समाधान हो। वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणाम निश्चित रूप से ऐसे पहलू हैं जिन्हें हमें ध्यान से देखने की आवश्यकता है।'

कई देशों में इसका नतीजा यह हुआ कि जो चिकित्सा अपशिष्ट जैसे इस्तेमाल किए हुए मास्क मिक्स कचरे में जा रहे हैं या इन्हें धोने के समुद्र में छोड़ दिया जा रहा है। ओसिएन एशिया ने कहा कि उसने अपने प्लास्टिक प्रदूषण अनुसंधान के दौरान हांगकांग के तट पर स्थित सोको द्वीप पर मास्क की बढ़ती संख्या की खोज की है।

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