Zimbabwe News : छोटी उम्र की लड़कियां बन रही हैं मां, शर्म के कारण छोड़ना पड़ रहा है स्कूल
छोटी उम्र की लड़कियां बन रही हैं मां
Zimbabwe News : अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में कोरोना संक्रमण के दौरान कम उम्र की लड़कियों के गर्भवती होने की रफ्तार तेजी से बढ़ गई है। जिस कारण से इस देश में बड़ी संख्या में लड़कियों को स्कूलों को अपना छोड़ना पड़ा है। उन्हें स्कूल इसलिए छोड़ना पड़ा क्योंकि अक्सर स्कूलों में उनके शरीर को लेकर मजाक उड़ाया जाता है। बता दें कि इसमें से कई मामले तो अवैध संबंधों से जुड़े होते हैं। इस स्थिति में सरकार ने दूसरे बच्चों पर इसका प्रभाव पड़ने से रोकने के लिए 2020 में कड़े कानून को लागू किया था। इस कानून के तहत प्रेगनेंट लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई। जिसका असर यह हुआ है कि स्कूलों में लड़कियों का ड्रॉप आउट प्रतिशत तेजी से बढ़ने लगा। अब सरकार ऐसी बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है।
अधिकतर लड़कियों की 18 साल की उम्र में होती है शादी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिम्बाब्वे में हर तीन लड़कियों में से एक की शादी 18 साल के कम उम्र में कर दी जाती है। बता दें कि अनियोजित गर्भधारण, ढीले-ढाले कानून, गरीबी, सांस्कृतिक और धार्मिक कुप्रथाओं के कारण इस देश में स्थिति और ज्यादा बिगड़ती जा रही है। जिम्बाब्वे की डेढ़ करोड़ के आसपास कुल आबादी है। मार्च 2020 में कोरोना वायरस महामारी के कारण इस देश में सख्त लॉकडाउन को लागू कर दिया था। सरकार ने स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया था। जिसके बाद बीच-बीच में सिर्फ कुछ दिनों के लिए उन्हें फिर से खोला गया। इसके बावजूद विशेष तौर पर लड़कियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। जिस कारण ये सभी लड़कियां गर्भ निरोधकों और क्लीनिकों की पहुंच से दूर हो गईं।
लॉकडाउन में मां बनने की संख्या बढ़ी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ताओं और जिम्बाब्वे के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान गरीबी ने लोगों को खास तौर पर प्रभावित किया। जिस कारण एक बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी बेटियों की शादियां करवा दी और कई लड़कियां तो यौन शोषण का शिकार भी हुईं। बता दें कि जिम्बाब्वे में एक शिक्षा अधिकारी तौंगाना नदोरो ने कहा कि बढ़ती संख्या का सामना कर रही सरकार को अगस्त 2020 कानून में बदलाव तक करना पड़ा था।
गर्भवती लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक
बता दें कि जिम्बाब्वे की सरकार ने लंबे समय से गर्भवती छात्राओं के स्कूल-कॉलेजों में जाने पर रोक लगा दी। उस समय सरकार ने तर्क दिया था कि यह विकासशील राष्ट्र के लिए ऐसा करना जरूरी है, लेकिन यह कानून सफल नहीं रही। जिसके बाद सरकार के इस फैसले के कारण ज्यातर लड़कियां स्कूल वापस नहीं लौटीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गरीबी, अशिक्षा, बदनामी का डर परिवारों पर इतना हावी हो गया कि वे अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने से कतराने लगे।
यौन शोषण पर सजा
बता दें कि जिम्बाब्वे में 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाना कानून के तहत बलात्कार की श्रेणी में आता है। ऐसा करने वाले दोषियों को 10 साल तक की जेल और जुर्माना या दोनों सजाएं हो सकती हैं लेकिन इस देश में ज्यादातर ऐसे मामले बहार ही नहीं आते है, जिसकी वजह से न्याय नहीं मिल पता है| पुलिस के प्रवक्ता पॉल न्याथी का कहना है कि लड़कियों के परिवारों को अपनी बेइज्जती का डर होता है। वे ऐसे मामलों को छिपाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में नाबालिग लड़कियों के विवाह का प्रचलन भी तेजी से बढ़ रहा है।
लड़कियों के ड्राप आउट का रेशियों बढ़ता ही गया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनवर 2018 में गर्भधारण के कारण जिम्बाब्वे में लगभग 3,000 लड़कियों ने स्कूल छोड़ दिया। 2019 में यह संख्या अपेक्षाकृत स्थिर रही। 2020 में इस संख्या में उछाल आया और 4,770 गर्भवती छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया। 2021 में तो इस आंकड़े ने आसमान छू लिया। महिला मामलों के मंत्री सिथेम्बिसो न्योनी के अनुसार वर्ष के पहले दो महीनों में लगभग 5,000 छात्र गर्भवती हुईं। पूरे अफ्रीका में, जिम्बाब्वे अकेला नहीं है। महामारी के दौरान, बोत्सवाना, नामीबिया, लेसोथो, मलावी, मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका और जाम्बिया "सभी ने यौन और लिंग-आधारित हिंसा के मामलों में भारी वृद्धि दर्ज की गई है|