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Blind Faith: घी के दिए जलाने वाले पिता के बच्चे भूखे पेट सोने को मजबूर, परेशान पत्नी ने लगाई मदद की गुहार
(पत्नी ने आरोप लगाया कि पति देवरानी के अस्थियों के सामने घी के दिए जलाता है)
Blind Faith News: इंदौर (Indore)में अपने अंधभक्त (Superstition) पति से परेशान एक पत्नी ने दंपत्ती के विवाद सुलझाने वाले संस्था वन स्टाप सेंटर से मदद की गुहार लगाई। पत्नी का आरोप है कि पति जो भी कमाता है वो अपने पूजा-पाठ और काले जादू में खत्म कर देता है। पति घर के खर्च के लिए पैसे नहीं देता जिसके कारण बच्चे भूखे रह रहते हैं। पति के पूजा पाठ से परेशान पत्नी उसे छोड़ने वाली थी।
वन स्टाप सेंटर की प्रशासक वंचना सिंह परिहार ने बताया कि एक महिला ने आवेदन दिया की पति से परेशान हूं, पति न किराने का सामान लाता है, न ही बच्चों के स्कील फीस भर रहा है। परेशआन पत्नी का आरोप है कि बिमार होने पर पति इलाज भी नहीं करवाता। पत्नी का कहना है कि, जब पति बच्चे और मेरी जिम्मेदारी नहीं उठाता तो ऐसे पति के साथ क्यों रहूं? अपने पुजारी पति से तंग पत्नी ने बताया कि, "कभी मुझे या बच्चों को कपड़े भी खरीद कर नहीं देता। जो मेरी मां लाकर देती है वही पहनते हैं। थोड़ा बहुत मैं कमाती हूं और मेरी मां मदद करती है"
पीड़ित पत्नी ने पति पर और भी कई आरोप लगाए। बीवी का कहना है कि, "पति कभी कभी थोड़ा किराना ले आता है। खाना और नहाना भी बाहर ही करता है। पता नहीं कहां कहां बहनें बना रखी हैं।" वहीं, प्रशासक परिहार के अनुसार महिला का कहना था कि उसे अब पति के साथ नहीं रहना। वो अलग रहना चाहती है और पति से भरण पोषण दिलवाया की मांग कर रही है।
देवरानी के अस्थियों की पूजा करता है पति
पति-पत्नी के एकल परामर्श के बाद संयुक्त परामर्श के दौरान पता चला की पीड़ित पत्नी की देवरानी की मृत्यु हो गई है। लेकिन उसके पति ने उसकी अस्थियां लाकर घर में रखी है। रोज उन अस्थियों की पूजा करता है। पत्नी के अनुसार बच्चों के खाने को राशन नहीं रहता पर पति घी और तेल के बड़े बड़े दिए जलाता है। महिला के बच्चे से पूछताछ की गई तब पता चला कि उनके पिता दो दो जगहों पर नौकरी करता है। ठीक ठाक कमाने के बावजूद घर में एक रुपये नहीं देता है। खुद बाहर से टिफिन लेकर खाना खाता है।
बच्चे भूखे पेट सोने को मजबूर
परामर्शदात्री अल्का फणसे ने जब दंपत्ती के बच्चों को बुलाकर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वे कोरा चावल खाते हैं या सेव से रोटी खा लेते हैं। कभी कभी मम्मी सब्जी लाती है तो सब्जी खाते हैं। इस बात पर पति को फटकार लगाई गई की टोकरी के सामने घी और तेल के दिए जला रहे हो और बच्चों को खाने के लिए नहीं मिल रहा। पति के भाई को भी मध्यस्त बनाया गया की पति किसी बहन के नाम से किसी गांव में न जाए इसकी जिम्मेदारी आप लीजिए।
पति के वेतन का हुआ बंटवारा
वहीं, पति की एक स्थान की वेतन के 10000 रुपये सीधे पत्नी के अकाउंट में जमा करवाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए जिस राशि में खुद की कमाई मिलाकर पत्नी को पूरा घर खर्च चलाने और दोनो बच्चों की मासिक फीस भरने की जिम्मेदारी दी गई। पति ने भी अपने पीएफ से 20 हजार रुपये की राशि निकालकर बच्चों की डेढ़ साल की बकाया फीस एक साथ भरने की बात मानीं। साथ ही पत्नी को कहा गया कि वो पति को एक समय का टिफिन बनाकर पहुंचवाने की व्यवस्था करे।
पति को कहा गया कि वह दूसरे स्थान वाली नौकरी से मिलने वाली तनख्वाह खुद के खर्चे के लिए रखे जिसमें दफ्तर आना-जाना, नाश्ता चाय, एक समय का टिफिन आदि की व्यवस्था हो सके। इसके अलावा पति पत्नी को एक निश्चित राशी की रेकरिंग डिपॉजिट बच्चों के नाम से शुरू करने को कहा गया। पति को भी पत्नी से शिकायत थी की उसकी मां का घर में बहुत हस्तक्षेप रहता है तो उन्हें भी समझाया गया कि कुछ महीने तक दोनों को अपना रिश्ता सम्हालने का वक्त दिया जाए और आप बेटी के घर थोड़ा आने जाना काम कर दीजिए।