Begin typing your search above and press return to search.
कोविड -19

खतरनाक वायु प्रदूषण के कारण मर रहे भारत में 17 फीसदी कोरोना मरीज, शोध में हुआ खुलासा

Janjwar Desk
11 Nov 2020 11:22 AM IST
खतरनाक वायु प्रदूषण के कारण मर रहे भारत में 17 फीसदी कोरोना मरीज, शोध में हुआ खुलासा
x

प्रतीकात्मक फोटो

वायु प्रदूषण के मामले में सरकार का कहना है कि इससे न तो कोई बीमार पड़ता है, ना ही किसी की उम्र कम होती है और ना ही कोई मरता है...

महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

जनज्वार। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हाल में ही बताया है कि कोविड 19 से होने वाली दिल्ली में कुल मौतों में से 13 प्रतिशत का कारण वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर है। वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित फेफड़े होते हैं और ऐसे प्रभावित फेफड़े कोविड 19 का असर जल्दी झेल नहीं पाते। आईएमए के अनुसार वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने कोविड 19 से संक्रमितों के आंकड़ों को बढ़ा दिया है, और इसे पहले से अधिक खतरनाक बना दिया है।

कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च नामक जर्नल के नवीनतम अंक में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार दुनिया में कोविड 19 के कारण होने वाली कुल मौतों में से कम से कम 15 प्रतिशत का कारण हवा में लम्बे समय तक पीएम 2.5 की अत्यधिक सांद्रता है। दक्षिण एशिया में यह औसत 15 प्रतिशत है, पर भारत में कोविड 19 से होने वाली कुल मौतों में से 17 प्रतिशत केवल वायु प्रदूषण के कारण है।

शोधपत्र के अनुसार पिछले सप्ताह तक कोविड 19 के कारण दुनिया में कुल 12 लाख मौतें दर्ज की गईं थीं, जिनमें से लगभग 1,80,000 मौतों का कारण वायु प्रदूषण के बढे स्तर को माना जा सकता है।

जर्नल ऑफ़ साइंस एडवांसेज के नवीनतम अंक में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार वायु में पीएम 2.5 की सांद्रता में महज एक माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर की बृद्धि से कोविड 19 से होने वाली मृत्यु दर में 11 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। वायु प्रदूषण के दीर्घकालीन असर से ह्रदय और फेफड़े को नुकसान पहुँच सकता है, जबकि इसके अल्पकालिक प्रभाव से भी फेफड़े में गंभीर इन्फेक्शन हो सकता है, और कोविड 19 का सबसे अधिक असर फेफड़े की कार्यप्रणाली पर ही पड़ता है।

जाहिर है, वायु प्रदूषण से कमजोर हो चुके फेफड़ों पर इसका गंभीर असर पड़ेगा। इस अध्ययन को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने किया है। इस शोधपत्र के अनुसार समाज की गरीब आबादी पर वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक पड़ता है और जाहिर है कोविड 19 से सम्बंधित मृत्युदर भी इसी तबके में सबसे अधिक देखी गई है। इसके अनुसार समाज के गरीब इलाकों में वायु प्रदूषण में कमी लाकर और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाकर बहुर सारी असामयिक मौतों को रोका जा सकता है।

हमारे देश में दुनिया के किसी भी देश की तुलना में वायु प्रदूषण अधिक है, और कोविड 19 से संक्रमण के मामले में दुनिया में केवल अमेरिका ही हमसे आगे है। कोविड 19 से सम्बंधित मृत्यु में मामले में केवल अमेरिका और ब्राज़ील भारत से आगे हैं। इसके बाद भी भारत ने न तो आज तक वायु प्रदूषण को और ना ही कोविड 19 को गंभीरता से लिया है। दोनों ही विषयों पर सरकार निपटने के आश्वासनों से हटकर जमीनी स्तर पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाती।

वायु प्रदूषण के मामले में सरकार का कहना है कि इससे न तो कोई बीमार पड़ता है, ना ही किसी की उम्र कम होती है और ना ही कोई मरता है। हमारे देश में वायु प्रदूषण एक वार्षिक तमाशा है जिसे अक्टूबर से मार्च तक सरकारें, विभिन्न न्यायालय और मीडिया खेलती हैं। इस तमाशे का केंद्र दिल्ली – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र रहता है।

इस तमाशे में सारे मसखरे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पिछले वर्ष तक वायु प्रदूषण में 25 प्रतिशत तक कमी लाने का दावा करते थे, पर इस वर्ष इसपर कुछ बोल नहीं रहे हैं। पिछले वर्ष दिल्ली सरकार ने नॅशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में हलफनामा दायर कर बताया था कि दिल्ली में किसान खेतों में कृषि अपशिष्ट (पराली) नहीं जलाते।

इस वर्ष दिल्ली सरकार के विज्ञापन में किसान कहते हैं कि अब दिल्ली सरकार कोई घोल दे रही है जिससे खेतों में ही अपशिष्ट खाद बन जाता है और पराली जलानी नहीं पड़ती। इसका सीधा सा मतलब है कि पिछले वर्ष तक जब ऐसा घोल नहीं था, तब दिल्ली के किसान पराली जलाया करते थे, फिर अरविन्द केजरीवाल को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में झूठ क्यों बोलना पड़ा?

दूसरी तरफ केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार लगातार दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार बताती है। इसी आरोपों की बौछार के बीच उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद और हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद दिल्ली से भी अधिक प्रदूषित हो जाते हैं, पर बीजेपी इन शहरों का मुद्दा नहीं उठाती क्योंकि वहां बीजेपी की सरकारें हैं।

दूसरी तरफ केंद्र सरकार वायु प्रदूषण के लिए पूरी तरह से दिल्ली सरकार को जिम्मेदार करार देते हुए भी कुछ वर्षों के भीतर दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक नै योजना लेकर आ जाती है। सवाल यह है कि यदि वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार दिल्ली सरकार है तो फिर केंद्र सरकार योजना क्यों बनाती है? सर्दियों के बाद जब वायु प्रदूषण स्वतः कम होने लगता है तब दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों इसकी जिम्मेदारी लेने की होड़ में आ जाते हैं।

इन सबके बीच दिल्ली के लोग कोविड 19 से भी मर रहे हैं और वायु प्रदूषण से भी। वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और दिल्ली में कोविड 19 का कहर बढ़ता जा रहा है और मृत्यु दर भी बढ़ती जा रही है और सरकारें कोविड 19 और प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध लड़ रही हैं। यही दिल्ली वालों की नियति है।

Next Story

विविध