Begin typing your search above and press return to search.
आर्थिक

LPG Cylinder: 42 फीसदी लोगों ने छोड़ा गैस सिलिंडर पर खाना पकाना, ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी का इस्तेमाल बढ़ा

Janjwar Desk
6 Nov 2021 2:24 PM IST
LPG Cylinder: 42 फीसदी लोगों ने छोड़ा गैस सिलिंडर पर खाना पकाना, ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी का इस्तेमाल बढ़ा
x

(ताजा सर्वे के अनुसार 42 फिसदी लोगों ने LPG सिलिंडर का इस्तेमाल छोड़ा )

LPG Cylinder: ग्रामीण इलाकों के घरों में गैस सिलिंडर के घटते इस्तेमाल को लेकर सर्वे में कहा गया कि इसके तीन अहम कारण हैं। रसोई गैस की कीमतों मे वृद्धि, सुदूर क्षेत्रों में हर महीने गैस की अनुपलब्धता और कोरोना महामारी के दौरान लोगों की आय में कमी ने लोगों को गैस सिलिंडर के इस्तेमाल को छोड़ने पर मजबूर कर दिया...

LPG Cylinder: केंद्र सरकार ने दिवाली के मौके पर पेट्रोल-डीजल(Petrol-Diesel Price) के दाम घटाकर आम आदमी को मंहगाई से थोड़ी राहत जरूर दी है लेकिन रसोई गैस सिलिंडर (LPG Cylinder) के दाम अब भी आसमान छू रहे हैं। एक ताजा सर्वे के अनुसार, मंहगे रसोई गैस सिलिंडर के कारण एक विशेष क्षेत्र के करीब 42 फिसदी लोगों ने इसका इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। ऐसे सभी लोग खाना पकाने के लिए फिर से लकड़ी के पारंपरिक चुल्हे का इस्तेमाल करने लगे हैं। सर्वे के इस आंकड़ों से केंद्र सरकार की उज्जवला योजना (Ujjwala Yojana) की जमीनी हकीकत का पता चलता है।

'द टेलिग्राफ' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम और वेस्ट मिदनापुर के लगभग 100 गावों में 42 फीसदी लोगों ने गैस सिलिंडर को उठाकर घर के किसी कोने में रख दिया है। सर्वे के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान अन्य मंहगी घरेलू सामानों के साथ गैस सिलिंडर का खर्च उठाने में ये लोग अब सक्षम रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में किए इस सर्वे के प्रमुख प्रवत कुमार ने बताया कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम और पश्चिम मिदनापुर के 13 ब्लॉक के 100 दूरदराज गांवों में 560 घरों का सर्वे किया। सर्वे में सामने आया कि मंहगाई के कारण लोग तेजी से गैस सिलिंडर का इस्तेमाल छोड़ रहे हैं। प्रवत कुमार ने बताया कि सर्वे के दौरान लोगों ने बढ़ती वर्तमान समय में महंगाई को एक अहम मुद्दा बताया।

ग्रामीण इलाकों के घरों में गैस सिलिंडर के घटते इस्तेमाल को लेकर सर्वे में कहा गया कि इसके तीन अहम कारण हैं। रसोई गैस की कीमतों मे वृद्धि, सुदूर क्षेत्रों में हर महीने गैस की अनुपलब्धता और कोरोना महामारी के दौरान लोगों की आय में कमी ने लोगों को गैस सिलिंडर के इस्तेमाल को छोड़ने पर मजबूर कर दिया। दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले एक साधारण परिवार के लिए 800 से 1000 रुपये का गैस सिलिंडर खरीद पाना मुमकिन नहीं है। यहीं वजह है कि ग्रामीण इलाकों में लोग एक बार फिर जंगल की लकड़ी पर ही खाना बनाने के लिए निर्भर हो रहे हैं। बहुत सारे लोगों ने तो गैस सिलिंडर को स्टोर रूम में या घर के किसी कोने में रख दिया है।

ताजा सर्वे(Survey Report) कहता है कि देश के ग्रामीण हिस्सों में लोग गैस चुल्हे को छोड़कर दोबारा पारंपरिक लकड़ी के चुल्हे का उपयोग करने लगे हैं। जंगल के करीब बसे गांवों में 1000 रुपये का सिलिंडर खरीदने से सस्ता लकड़ी के चुल्हे पर खाना पकाना है। गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने ग्रामीण आबादी के लिए साल 2016 में उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के ग्रामीण तबकों तक क्लीन कुकिंग फ्यूल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना था। इसके अलावा, मोदी ने अपने भाषणों में कई बार ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के प्रति चिंता व्यक्त की थी। उज्जवला योजना की शुरुआत करते हुए मोदी ने कहा था कि वे ग्रामीण क्षेत्रों की घरेलू महिलाओं को धुएं की वजह से उत्पन्न कई तरह की बीमारियों से बचाना चाहते हैं। लेकिन, इसके उलट महंगाई के कारण गांव के लोगों के लिए गैस सिलिंडर महज एक शो पीस बनकर रह गया है। ग्रामीण लोगों के लिए 1000 रुपये का सिलिंडर पहुंच से बाहर हो गया।





Next Story

विविध