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पर्यावरण

Joshimath news : जोशीमठ के हालात हो रहे बेकाबू, दरारें हुईं और चौड़ी, कभी भी जमींदोज हो सकते हैं घर

Janjwar Desk
4 Jan 2023 7:08 AM GMT
Joshimath news : जोशीमठ के हालात हो रहे बेकाबू, दरारें हुईं और चौड़ी, कभी भी जमींदोज हो सकते हैं घर
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Joshimath news : जोशीमठ के हालात हो रहे बेकाबू, दरारें हुईं और चौड़ी, कभी भी जमींदोज हो सकते हैं घर

इसमें अब कोई भी संदेह नहीं कि एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना की सुरंग ही जोशीमठ की तबाही के लिये जिम्मेदार है...

Joshimath news : पल प्रतिपल जमीन में धंस रहा उत्तराखंड के चमोली जिले का जोशीमठ शहर खतरे की कगार से आगे बढ़ चला है। लगातार हो रहे भू धंसाव के कारण लोगों के घरों में पड़ी दरारें अब वक्त गुजरने के साथ साथ और अधिक चौड़ी हो जा रही हैं, लेकिन सरकार के स्तर से बात अभी खेले जा रहे सर्वे सर्वे के खेल तक ही सीमित है। जोशीमठ के लोगों की हर रात कभी भी उनके घर की छत गिर जाने की दहशत में गुजर रही है तो जिम्मेदार अधिकारी इसे अभी भी सामान्य सरकारी कामकाज की तरह देख रहे हैं।

बताया जा रहा है कि बीते एक साल से हो रहे अभूतपूर्व भू धंसाव के कारण दहशत में पड़ा 25 हजार की आबादी वाला यह कस्बा भू स्खलन के कमजोर ढेर पर बसा हुआ है। जो भारी निर्माण को झेलने की स्थिति में नहीं है, लेकिन इसके बाद भी यहां न केवल बेतरतीब भारी निर्माण हुआ, बल्कि भारी भरकम बिजली परियोजना भी स्थापित भी गई।

इस बिजली परियोजना में बिजली बनाने के लिए नदी के पानी को एक जगह बसे दूसरी जगह ले जाने के लिए भूमिगत सुरंगों का निर्माण किया गया। इसके अलावा यहां एक बाईपास सड़क को भी हरी झंडी देकर उसके लिए जोशीमठ कस्बे की जड़ों को खोदने का काम शुरू कर दिया गया। एक तो जोशीमठ में सीवर, ड्रेनेंज के निस्तारण का कोई पुख्ता उपाय नहीं, उस पर जमीन के नीचे अंधाधुंध भारी निर्माण ने जोशीमठ शहर की नीचे की भूमि को पूरी तरह हिला दिया। जिसका परिणाम शहर में घरों पर जहां तहां पड़ी दरारों के रूप में सामने आ रहा है।

अपने घरों में पड़ रही दरारें को जोशीमठ के लोग पहले तो सीमेंट सरिए की कमजोरी, निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कमी आदि ही समझते हुए इसे सामान्य घटना मानकर नजरंदाज करते रहे, लेकिन जब उन्हें इसकी गंभीरता समझ में आई तो अब वह अपने सुरक्षित विस्थापन की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर उनकी जो सुनवाई पहले ही बहुत देर से हुई, वह भी अब इतनी सुस्त गति से हो रही है कि लोगों की जिंदगी पर मंडराते खतरे के बाद भी सरकारी स्तर पर सर्वे का ही खेल चल रहा है।

इधर कस्बे के कई क्षेत्रों में बिजली परियोजना की भूमिगत सुरंग के पानी का रिसाव भी होने लगा है। जोशीमठ के सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती का कहना है कि 'इसमें अब कोई भी संदेह नहीं कि एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना की सुरंग ही जोशीमठ की तबाही के लिये जिम्मेदार है। जो आशंका हमने दिसम्बर 2003 के अपने राष्ट्रपति को भेजे पहले ज्ञापन में जाहिर की थी वह सच हो रही है। कल मारवाड़ी में निकले मटमैले पानी ने यह साबित कर दिया है। यह वही पानी दिख रहा है जो 7 फरवरी की आपदा के समय सुरंग में गया था और वहां जमा था। इस पानी में भी वही गन्ध है। जेपी कम्पनी के आवास कालोनी में जगह जगह से पानी फूट रहा है। पूरी कालोनी धंस गयी है। इसके लिये अब और कोई अन्य प्रमाण की जरूरत नहीं है। सरकार द्वारा एनटीपीसी को जोशीमठ को तबाह करने का जिम्मेदार ठहराया जाय या नहीं परन्तु सौ फीसद सच जनता के सामने यह आ गया है, लेकिन आज भी जब जोशीमठ नगर उजड़ रहा है तो इसके बाद भी सरकार जनता के बजाए एनटीपीसी का ही बचाव कर रही है। यह सरकार "जनता की जनता के द्वारा जनता के लिये" के सिद्धांत पर नहीं बल्कि "कम्पनी की कम्पनी के लिये कम्पनी के द्वारा" के सिद्धांत पर काम करते हुए लोगों को जबरन मौत के मुंह में झोंकने पर आमादा है।'

एक तरफ जहां लोग भू धंसाव के चलते अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं और सरकार इस स्थिति में भी सर्वे से आगे कुछ नहीं सोच रही रही है तो दूसरी तरफ शहर के कुछ लोगों ने यहां से अपना पलायन भी शुरू कर दिया है। लोग अपने लिए एक अदद सुरक्षित छत की तलाश में जुटे हुए हैं।

इसी बीच अतुल सती ने एक मार्मिक ऑडियो जिलाधिकारी को भेजते हुए इस घड़ी को आपातकालीन परिस्थिति बताते हुए उनसे एक बार फिर कस्बे को बचाने की गुहार लगाई है। सती का कहना है कि अब समय आ चुका है कि तत्काल प्रभाव से जर्जर हो चुके घरों के परिवार के लोगों को उनके घरों से निकालकर उन्हें मठों, सरकारी भवनों, गेस्ट हाउस में ठहराया जाए। इसके साथ ही इनकी गुजर बसर और कड़कड़ाती ठंड से बचाव के लिए कम से कम दस हजार रुपए प्रति परिवार को फौरी मदद के तौर पर दिए जाएं। जिलाधिकारी खुद जोशीमठ में ही कैंपेन कर स्थिति पर पल प्रतिपल की रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही सुनिश्चित करें।

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