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Kanpur : उस दिन अगर पुलिस न आती तो मेरी लिंचिंग हो जाती - बेटी के सामने पीटा गया मुस्लिम अफसार अहमद
(अपने वालिद अफसार के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाती रजीना Photo - Janjwar)
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार/कानपुर। कानपुर दक्षिण में रामगोपाल चौराहे से महरबान सिंह का पुरवा की तरफ जा रही सड़क के किनारे तक़रीबन एक किलोमीटर के दायरे में कच्ची बस्ती बसी हुई है। सड़क से बस्ती की शुरूआत में दाहिने हाथ पर पहली झुग्गी अफ़सार अहमद की है। झुग्गी के अंदर एक बगल ई-रिक्शा खड़ा था, जिसे अफसार चलाकर परिवार व बच्चे पालता है।
इस वक्त चौराहे से लगाकर अफसार के घर तक पुलिस और पीएसी का सख्त पहरा है। पहरा इसलिए क्योंकि, बीती बुधवार 11 अगस्त के दिन रामगोपाल चौराहे के पास एक घटना हुई थी। इस घटना में अफसार पर बजरंग दल वालों ने धर्मांतरण कराने का आरोप लगाकर उसकी बुरी तरह पिटाई की थी। पिटाई करने के साथ ही साथ मुस्लिम युवक से 'जय श्री राम' के नारे लगवाए गये थे।
इस घटना के वक्त पिट रहे अफसार की बेटी भी उसके साथ थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जबर्दस्त वायरल हुआ था। वीडियो में बच्ची अपने वालिद को बचा लेने का प्रयास कर रही थी। बच्ची लगातार कहती जा रही थी मेरे वालिद को मत मारो..उन्हें छोड़ दो, लेकिन धर्म की अफीम चाटे लोग उसे लगातार मारते हुए नजर आ रहे थे। भीड़ में कुछ लोग उसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने को भी कह रहे थे।
वीडियो में यह भी दिख रहा था कि, बाद में कुछ पुलिसकर्मी उस रिक्शा चालक को अपनी जीप में बिठाकर ले जा रहे थे। हालांकि, जब अफ़सार अहमद को भीड़ में पीटा जा रहा है तो उस दौरान पुलिस के लोग भी वहां मौजूद थे। वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों सहित तमाम लोग योगी-मोदी सरकार की निंदा करते हुए इस वीडियो में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की माँग अब भी कर रहे हैं।
कल शनिवार 14 अगस्त को अफसार के घर सलमान खुर्शीद, राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत सहित तमाम कांग्रेसी नेता पहुँचे थे। समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधियों का एक दल भी पहुँचा था। आज रविवार हमने मुस्लिम अफ़सार अहमद से मुलाकात कर परत दर परत सभी बातों का जायजा लिया। एक पन्नी और कच्ची मिट्टी की बनी झुग्गी में अफसार अपने दो बच्चों व पत्नी के साथ रहते हैं। बैट्री-रिक्शा चलाकर वह अपने परिवार का पेट पालते हैं।
जनज्वार से बात करते हुए अफसार कहते हैं कि, उनका इन विवादों से कोई लेना-देना नहीं था। जो विवाद था वो कुरैशा व उसके दोनो बेटों को लेकर था। लेकिन उन्हें इस वजह से घसीटा गया, क्योंकि वो उन लोगों के रिश्तेदार हैं जिनके ख़िलाफ़ रानी गौतम ने शिकायत दर्ज कराई थी। अफ़सार बताते हैं, 'बजरंग दल के लोग जब बस्ती में आ रहे थे तो उसी समय मैं रिक्शे से सवारियों को उतारने के बाद घर की ओर आ रहा था, तभी रानी गौतम ने उन लोगों को बताया कि मैं सलमान-सद्दाम (कुरैशा के लड़के) का चाचा हूं।
आगे अफसार कहते हैं, उनमें से कुछ लोग बिना कुछ पूछे मुझे मारने लगे। मुझे घसीटकर चौराहे की तरफ ले जाने लगे। पीछे से थप्पड़-लात चलाते रहे, हेलमेट भी मारा। मेरे घर के बाहर बरावफ़ात के मौक़े पर लगा पुराना हरा झंडा उखाड़कर जला दिया गया। मारते हुए मुझे चौराहे की ओर ले गए जहां पुलिस वालों ने बड़ी मुश्किल से मुझे बचाया। एक बात बताऊं सर, अगर उस दिन पुलिस मौके पर मुझे ना बचाती तो वह लोग पीट-पीटकर मुझे जान से मार देते। जान से मारने के प्रयास में ही थे वह लोग।'
झुग्गी के अंदर निवाड़ की पड़ी चारपाई पर अफसार की 7 वर्षीय बेटी भी बैठी थी, जिसका नाम उसने रजीना बताया। उस दिन वायरल वीडियो में अफसार के साथ बच्ची रजीना भी थी, जो लगातार चीख रही थी इसी वजह से वीडियो सुर्खियां बन गया। बाकी कमी 'जय श्री राम' ने पूरी की थी। हमने रजीना से भी बात की, 'बच्ची कहती है वह अब भी डरी हुई है। क्यों पूछने पर वह बताना शुरू करती है कि, उस दिन वह लोग आए मेरे अब्बू को पकड़कर ले गये। हम पीछे से रो रहे थे, लेकिन वह अब्बू को मार रहे थे।
रजीना आगे बताती है कि, जब पुलिस वाले अंकल आए तब उन्होने हम लोगों को छुड़ाया फिर जीप में बिठाकर थाने ले गये। तब हम औ अब्बू बच पाए थे। रजीना कहती है उसे भी दो-एक थप्पड़ लगे थे, जब वह रोकर अब्बू को छोड़ देने के लिए कह रही थी। रजीना अब भी डरी हुई है। हालांकि, अब वहां पुलिस लगी है, लेकिन रजीना की माने तो अब भी लोग आ सकते हैं, अब्बू की पीटाई कर सकते हैं।'
अफ़सार अहमद के घर से ठीक सामने रानी गौतम का घर है जिन्होंने पड़ोसी कुरैशा के लड़कों पर आरोप लगाया था कि, वे लोग उनकी लड़की को परेशान करते हैं और एक महीने पहले उन लोगों ने सार्वजनिक तौर पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया था। हमने रानी गौतम से बात करने की कोशिश की तो रानी हमपर बिफर पड़ीं। वह कहती हैं, जाओ हमें किसी से बात नहीं करनी। मीडिया वाले हमारी बात दिखा नहीं रहे। तुम सब मुसलमान हो जाओ उसी का पक्ष लो।
हमने उनसे बहुत कहा कि, आप बात कीजिए हम आपकी बात भी रखेंगे, लेकिन वह दरवाजे से भीतर चली गईं। रानी गौतम की एक बेटी, जिसकी उम्र तकरीबन 18-19 साल रही होगी, कहती है किससे-किससे बात करें। जाने कौन-कौन लोग आ रहे हैं। रोज बात कर रहे हैं। सभी लोग उन्ही लोगों का पक्ष ले रहे हैं। हमारी कहीं बात ही नहीं रखी जा रही, जाईये मम्मी अब किसी से बात ही नहीं करेंगी।'
बस्ती में ज़्यादातर घर कच्चे और बगैर छतों के हैं, ज्यादातर सभी घरों के ऊपर पॉलीथीन की तिरपाल पड़ी हुई है। कुछ घरों में दीवारों का काम भी यही तिरपाल ही कर रही है। हालांकि, सभी घर अवैध तरीक़े से बने हुए हैं लेकिन घरों में बिजली के कनेक्शन मौजूद हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक़, यहां ज़्यादातर घर हिन्दुओं के हैं जबकि 15 से 20 घर मुसलमानों के हैं।
संकरे व कच्चे रास्तों वाली यह झुग्गी भी कम विवादों की जगह नहीं हैं। यहीं अफसार का बैट्री-रिक्शा और रानी गौतम के किसी जानकार की मोटरसाइकिल लड़ जाने से शुरू हुआ विवाद धर्मांतरण पर जाकर खत्म हुआ। इस विवाद में रानी के मुताबिक '9 जुलाई को कुरैशा उसके घर आई और उससे बोली कि तुम 20 हज़ार रुपये ले लो और हमारे लड़के से अपनी लड़की की शादी कर दो। जब रानी ने विरोध किया तो कहने लगीं कि नहीं करोगे तो तुम्हें जान से मार देंगे।' यह रानी ने बयान दिया या दिलवाया गया, रानी ही जानती होंगी।
क़ुरैशा बेगम हमसे कहती हैं, 'भईया ना बनाओ वीडियो अब हम मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहते, आराम से कमा खा रहे दाल-रोटी उसमें भी चैन नहीं है। अभी, एक महीने पहले मेरा बेटा ई रिक्शा लेकर आ रहा था। सँकरी सड़क है, उनके घर में ज़रा सा लग गया। उन लोगों (रानी गौतम) ने बेटे को और साथ में बैठे 2 और लोगों को बहुत मारा था। फिर हमने 100 नंबर पुलिस बुलाई और इनके ख़िलाफ़ रिपोर्ट लिखाई। उसी के चक्कर में ये फँसाने के लिए धर्म परिवर्तन का आरोप लगा रही हैं।'
यहां इस बस्ती के तमाम लोग भी रानी के धर्मांतरण वाले आरोप पर यक़ीन नहीं कर पा रहे हैं। वह नहीं मानते कि किसी लड़की के धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया गया है। लोगों के मुताबिक़, 'यहां सभी लोग ग़रीब हैं और किसी तरह से छोटे-मोटे काम करके अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। ऐसे में कोई किसी को उसका धर्म बदलने के लिए दस-बीस हज़ार रुपये कहां से दे देगा भला, आप बताओ सोंचने वाली बात है कि नहीं?'
डीसीपी साउथ कानपुर दक्षिण रवीना त्यागी कहती हैं कि रानी गौतम के शिकायती पत्र में छेड़छाड़ के साथ धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने का भी आरोप लगाया गया जिसकी जाँच की जा रही है। रवीना त्यागी के मुताबिक़, 'इनकी शिकायत पर सद्दाम, सलमान और मुकुल के ख़िलाफ़ धारा 354 के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है। एफ़आईआर में विवेचना के दौरान जबरन धर्मान्तरण के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया और कार्रवाई की माँग की गई, जिसकी जाँच की जा रही है।
अब यहां सवाल उठता है कि धर्म परिवर्तन वाली बात आई कहां से और बजरंग दल के लोगों के पास यह सूचना आखिर कैसे पहुँची कि, किसी लड़की का धर्म परिवर्तन कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। बजरंग दल के दिलीप सिंह ने पहले कुछ बयान दिए थे, लेकिन अब वह मीडिया से कन्नी काट रहे हैं। लेकिन एक बात साफ है कि, पुलिस ने यदि कार्रवाई की होती तो बजरंग दल को बीच में आने की ज़रूरत ही नहीं थी।
इस पूरे मामले में पुलिस की निष्क्रियता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि जब अफ़सार अहमद को पीटा जा रहा था तो पुलिस कुछ ही दूरी पर थी। यह वायरल वीडियो में भी दिख रहा है कि, पुलिस की मौजूदगी में भी अफ़सार को पीटते हुए ले जाया जा रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद गुरुवार देर रात इस घटना के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज हुई और तीन लोग गिरफ़्तार भी किए गए थे, लेकिन रात में ही उन्हें थाने से ज़मानत मिल जाने को लेकर भी पुलिस सवालों के घेरे में है। यहां तक की क़ुरैशा और रानी की एक-दूसरे के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर भी कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई।
बर्रा थानाध्यक्ष हरमीत सिंह ने जनज्वार संवाददाता को तीन आरोपियों को थाने से जमानत देने पर बताया था कि, 'दोनों मामलों में 7/51 की जो धाराएं लगी हैं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उनमें किसी की गिरफ़्तारी नहीं हो सकती है। इसी कारण तीन लोगों को थाने से जमानत दी गई थी। आगे विवेचना जारी है, साक्ष्य और गवाह जुटाए जा रहे हैं।
हालांकि, अब पुलिस ने इस मामले में अफसार अहमद की तहरीर पर अजय बैंड वाला, उसका बेटा डॉन, केशू, रमेश, रानी, सहित आठ से दस लोगों के खिलाफ बलवा, मारपीट व धमकी आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं मामले में अब तक बजरंग दल के 2 कार्यकर्ताओं समेत 6 की गिरफ्तारी हो चुकी है, साथ ही सभी को थाने से ही जमानत भी दी जा चुकी है। इसके अलावा मामले के विवेचक को भी बदल दिया गया है।