Begin typing your search above and press return to search.
ग्राउंड रिपोर्ट

UP Election 2022: क्या कारण है जो इस दफा BJP के हाथ से निकलती दिख रही कानपुर की किदवई नगर विधानसभा सीट

Janjwar Desk
19 Dec 2021 11:34 AM IST
upchunav2022
x

(2022 विधानसभा में छिन सकती है BJP से किदवई नगर सीट)

जनता कहती है कि अजय कपूर ऐसे नेता हैं जो उनके हर एक सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं। घर में बच्चे के मुंडन से लेकर श्मशान घाट की लकड़ियों तक अजय कपूर का साथ मिलता है। नेता ऐसा ही होना चाहिए...

मनीष दुबे की रिपोर्ट

UP Election 2022: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आगामी 28 दिसंबर को कानपुर के रेलवे ग्राउंड में चुनावी हुंकार भरने वाले हैं। इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) इसी रेलवे ग्राउंड पर रैली करने पहुँचे थे तब ग्राउंड के बाहर रह रहे तमाम गरीबों की झुग्गियां उजाड़ दी गईं थी, जनज्वार ने इसे प्रमुखता से दिखाया भी था। मोदी के आगमन को लेकर सड़कें होर्डिंगों, बैनरों और नेताई इश्तेहारों से पटे पड़े हैं।

हमने आज कानपुर की किदवई नगर विधानसभा सीट की जनता का मूड़ जानने की कोशिश की। तमाम जनता जनार्दन मौजूदा विधायक महेश त्रिवेदी (Mahesh Trivedi) से नाखुश नजर आई। यहां तक की कई लोगों का मानना है कि उनने आज तक अपने क्षेत्र में माननीय विधायक को देखा ही नहीं। तो कुछ ने कहा कि वह जानते ही नहीं कि महेश त्रिवेदी हैं कौन। वहीं कुछ लोगदों का यह भी कहना है कि उनने अपने क्षेत्र के विधायक को इश्तेहार और होर्डिंग बैनर के अलावा देखा ही नहीं

क्या कहती है जनता?

शहर के दक्षिण स्थित यादव मार्केट निवासी पार्षद प्रतिनिधि संजीव मिश्रा का दावा है कि आज दिन तक विधायक महेश त्रिवेदी उनके वार्ड में झांकने तक नहीं आए हैं। जगह-जगह गडढे खुदे पड़े हैं। लोग गिर रहे हैं, हमने कई मर्तबा जाकर इसकी शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी। यहीं के संतोष शर्मा कहते हैं कि इस बार परिवर्तन तय है। महेश त्रिवेदी हारेंगे और विधायक बनेंगे अजय कपूर (Ajay Kapoor)। और आप देख लेना चुनाव बाद बात करना आकर 1 हजार परसेंट यह तय है

इसी विधानसभा के गौशाला चौराहे पर सुबह आग ताप रहे कुछ लोगों से हमने बात की तो तो लोगों ने तमाम समस्यायें गिनाईं। उनका कहना था कि विधायक ने पूरे कार्यकाल एक तिनका इधर से उधर नहीं कराया सिवाय होर्डिंग और बैनर लगवाने के। साइट नंबर वन में मिले कुछ लोग समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी बता रहे थे, लेकिन सपा के लोगों की संख्या बहुत कम रही। यहां भी ज्यादातर लोग अजय कपूर को ही विधायक बनता देखना चाहते हैं। इसका कारण पूछने पर जनता कहती है कि अजय कपूर ऐसे नेता हैं जो उनके हर एक सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं। घर में बच्चे के मुंडन से लेकर श्मशान घाट की लकड़ियों तक अजय कपूर का साथ मिलता है। नेता ऐसा ही होना चाहिए

निर्णायक होते हैं ब्राहमण मतदाता

कानपुर की किदवई नगर विधानसभा का गठन 2012 परिसीमन के बाद हुआ। इस सीट का कुछ हिस्सा गोविंद नगर विधान सभा से बना है। इस सीट पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं, जिसके चलते पिछले चुनाव में बीजेपी और बसपा ने ब्राह्मण कार्ड खेला था। गोविंद नगर विधानसभा से कांग्रेस के विधायक अजय कपूर ने जीत दर्ज की थी। 2012 में अजय कपूर यहां से विधायक चुने गए। वर्तमान में यहां बीजेपी के महेश त्रिवेदी का कब्जा है। यह सीट कानपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आती है।

सीट का इतिहास

किदवई नगर विधानसभा सीट-215, पहले दो विधानसभा चुनाव में यह विधानसभा गोविन्द नगर विधानसभा के नाम से जानी जाती थी। अब नए परिसमन में गोविन्द नगर विधान सभा का अधिकतर हिस्सा किदवई नगर विधान सभा में आ गया है। किदवई नगर विधानसभा से 2012 के चुनाव में कांग्रेस के अजय कपूर ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। उनको 63400 वोट मिले थे और उन्होंने बीजेपी के विवेकशील को 2027 मतों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में बसपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में पं. संदीप शर्मा को उतारा था जो तीसरे स्थान पर रहे थे।

2017 का चुनावी आंकड़ा

2017 में नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर के दौरान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से एक बार फिर ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में मंत्री रह चुके महेश त्रिवेदी को मैदान में उतारा था। इस बार सपा और कांग्रेस के गठबंधन के चलते यह सीट कांग्रेस के खाते में आ गई। कांग्रेस ने अपने तीन बार के विधायक रहे अजय कपूर को चुनाव में उतारा। इस चुनाव में बीजेपी के महेश त्रिवेदी को 1,11,407 मत मिले, जबकि अजय कपूर को 77,424 मत मिले थे। बीजेपी ने यह सीट करीब 34 हजार मतों से जीत ली। लेकिन 2022 में इस बार यहां बीजेपी को कांग्रेस के अजय कपूर से कड़ी चुनौती मिल रही है।

क्या है जातीय समीकरण?

कानपुर शहर की किदवईनगर विधानसभा सीट-215 ब्राह्मण बाहुल्य है। इस सीट पर करीब एक लाख दस हजार ब्राह्मण मतदाता हैं, जो किसी भी दल के प्रत्याशी की जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। जबकि दूसरे नंबर पर करीब 50 हजार वैश्य मतदाता हैं, 35 हजार वोट दलितों के हैं, 30 हजार पिछड़े वर्ग के तथा करीब 30 हजार मुसलमानों के हैं। इसके अलावा लगभग 25 हजार मत सिख-पंजाबी समुदाय के हैं

कुल मतदाता – 3,40,151

पुरुष मतदाता – 1,83,171

हिला मतदाता – 1,56,944

न्य मतदाता – 36

नोट : यह आंकड़े 2017 के हैं, इस बार नए आंकड़े घट-बढ़ भी सकते हैं।

Next Story

विविध