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बिहार

Minister dismissed from Cabinet : जिस बाजार में पिता फुटपाथ पर मछली बेचते थे, बेटे ने वहीं खड़ा कर दिया था ''व्हाइट हाउस''

Janjwar Desk
28 March 2022 7:12 AM GMT
Minister dismissed from Cabinet : जिस बाजार में पिता फुटपाथ पर मछली बेचते थे, बेटे ने वहीं खड़ा कर दिया था व्हाइट हाउस
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Minister dismissed from Cabinet : ये कहानी है बिहार में नीतीश मंत्रीमंडल से बर्खास्त होने वाले मत्स्य और पशुपालन मंत्री मुकेश साहनी की, मुकेश साहनी की आखिरकार विदाई हो गयी है, मुकेश साहनी ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया था...

Minister dismissed from Cabinet : बिहार के दरभंगा (Darbhanga) जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किलोमीटर पूर्व में एक बड़ा बाजार है, नाम है सुपौल बाजार (Supaul Bazar) । आज से तकरीबन 20 साल पहले उसी बाजार में फुटपाथ पर बैठकर एक ​व्यक्ति मछली बेचा करता था। नाम था जीतन साहनी। ये इस कहानी के एक प्रमुख किरदार हैं। इनकी चर्चा आगे करेंगे। आइये चलते हैं बिहार की एक ताजा घटना पर।

बिहार में मुख्यमंत्री ​नीतीश कुमार के मंत्रीमंडल से मत्स्य और पशुपालन मंत्री मुकेश साहनी (Mukesh Sahni) की आखिरकार विदाई हो गयी है। बीते कुछ दिनों से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि मुकेश कब अपने पद से इस्तीफा देंगे। पर बिहार में सन आॅफ मल्लाह के नाम से मशहूर विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश साहनी ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया था। उन्होंने यह फैसला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) पर छोड़ा था। पर अब भाजपा की ओर से हुर्ई पहल पर नीतीश ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पिछले विधानसभा चुनाव में सहनी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनाया गया था। बिहार के बीते विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में भाजपा ने अपने कोटे की सीटें मुकेश साहनी को लड़ने के लिए दी थीं। अब भाजपा के लिखित निवेदन के बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल (Governor) से मत्स्य और पशुपालन मंत्री सहनी को मंत्रिमंडल से निष्कासित (Dismissed) करने की सिफारिश की।

आपको बता दें कि बिहार के अब पूर्व मंत्री हो चुके मुकेश साहनी का राजनितिक इतिहास कोई बहुत पुराना नहीं है। पर पिछले 10-12 सालों में मुकेश साहनी के फर्श से अर्श और अब फिर फर्श पर पहुंचने की जो कहानी है वह बहुत ही दिलचस्प है। अब बात करते हैं फिर उन्हीं जीतन साहनी का ​जिनकी चर्चा हमने उपर की थी। जीतन साहनी मुकेश साहनी के पिता हैं। उनके इस सन आॅफ मल्लाह के रूप में मशहूर बेटे ने जब अपने जीवन में एक मुकाम हासिल कर लिया तो उसी बाजार में जहां पिता फुटपाथ पर बैठकर मछली बेचा करते थे वहीं एक आलीशान बंगला बनवाया अपने पूरे परिवार के लिए। और उस बंगले का नाम अमेरिका के राष्ट्रपति (President of America) के आधिकारिक आवास के नाम पर रखा था व्हाइट हाउस (White House)।

बिहार में निषाद समाज (Nishad Community) के बीच खासे मशहूर मुकेश साहनी का जन्म 31 मार्च 1981 को बिहार राज्य के सुपौल जिले के एक छोटे से गांव में एक मछुआरा परिवार में हुआ। बाद में वे अपने पिता के साथ दरभंगा जिले के सुपौल बाजार में जाकर बस गए। आर्थिक कारणों से मुकेश साहनी ज्यादा पढाई लिखाई नहीं कर पाए। क्यों क्योंकि इनका परिवार में उतनी इनकम थी नहीं कि घर भी चलाया जाये और बच्चों को पढाया भी जाये दोनों एक साथ संभव नहीं था।

बात है 1999 की है जब मुकेश साहनी के गांव के कुछ दोस्त घर से भागकर मुंबई जाने की तैयारी कर रहे थे। मुकेश साहनी भी उनके साथ जाने को तैयार हो गए और उनके साथ रवाना हो गए। उस वक़्त मुकेश साहनी की उम्र महज 19 साल थी। मुंबई में कड़े संघर्ष के बाद मुकेश साहनी को को एक शीशे के फ्रेम बनाने की एक दुकान में काम मिला। यहां सीखा हुआ काम उन्हें आगे चलकर बहुत काम आया। मुकेश साहनी ने बॉलीवुड के सेट निर्माण की दुनिया में कदम रखा। जिसकी शुरुआत मुकेश साहनी ने शाहरुख़ खान की फिल्म देवदास सेट के निर्माण से की। धीरे-धीरे मुकेश साहनी आर्थिक रूप से मजबूत हो गए।

जैसे-जैसे पैसा आया साहनी की राजनीतिक महत्वकांक्षा भी बढ़ने लगी। मुंबई से बिहार आना-जाना होने लगा। इसी बीच मुकेश साहनी ने बिहार के अखबारों में सन आॅफ मल्लाह के नाम से विज्ञापन दिया। अखबारों में विज्ञापन देकर और गांवों में घूमकर मुकेश साहनी ने पहले क्षेत्र बिहार के अन्य जगहों के निषादों के बीच अपनी पहचान बनायी। साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाावों के दौरान उन्होंने एडीए के स्टार प्रचारक के रूप में काम किया। पर चुनाव नहीं लड़े। एनडीए चुनाव हार गयी।

मुकेश साहनी का मन भी उचट एनडीए से। उन्होने पाला बदलकर महागठबंधन का दामन थाम लिया। चार-साढ़े चार साल महागठबंधन में ही रहे। लगातार तेजस्वी यादव के साथ स्टेज शेयर करते दिखे पर चुनावों से ऐन पहले फिर एनडीए का दामन थाम लिया। चुनाव में जीत के बाद नीतीश मंत्रीमंडल में बिना चुनाव जीते हुए ही मत्स्य और पशुपालन मंत्री बने। बाद में भाजपा ने उन्हें अपने कोटे से एमएलसी बनाया था।

पर अब मंत्रीमंडल से विदाई के बाद एक बार फिर मुकेश साहनी अर्श से फर्श पर आ गए हैं। अब तक की अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान उन्होंने जो ​हासिल किया था उसे बचा पाने में वे नाकामयाब रहे हैं। भाजपा की ओर से उन्हें ऐसी सियासी मात हाथ लगी है जिसकी उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी।

वहीं मुकेश साहनी की नीतीश मंत्रीमंडल से विदायी के बाद बिहार बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि बीजेपी ने सहनी से अपने तौर-तरीके को सुधारने को कहा था, पर उनकी ओर से कोई सकारात्मकता नहीं दिखायी गयी। ऐसे में उन्हें मंत्रीमंडल से बर्खास्त करने का कोई विकल्प नहीं बचा था।

आपको बता दें कि यूपी चुनावों के दौरान एनडीए गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बार-बार हमला करने के कारण भाजपा उनसे काफी नाराज थी। रही सही कसर बोचहां उपचुनाव भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार उताकर सहनी ने पूरी कर दी। खुद को सन ऑफ मल्लाह कहने वाले सहनी को पिछले सप्ताह तब बड़ा झटका लगा जब उनकी पार्टी के तीन विधायक पाला बदलते हुए बीजेपी में शामिल हो गए थे। मुकेश साहनी का खेल लगभग वहीं खत्म हो गया था।

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