उच्च शिक्षा में भ्रष्टाचार: भाजपा जदयू के राज में , आरएसएस का छात्र संगठन आंदोलन की राह पर
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार। बिहार के मगध विश्वविद्यालय से लेकर मौलना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय समेत कई विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का केंद्र बने हुए हैं। जिसका दाग इनके कुलपतियों तक लगने के बाद अब इसकी आंच राजभवन तक पहुंच गई है। भाजपा जदयू के राज में चल रहे इस भ्रष्टाचार के खेल के बीच विरोध में आवाज उठाने के लिए आरएसएस का छात्र संगठन विद्यार्थी परिषद सड़कों पर उतर गया है। यूपी के बाद बिहार में भी आंदोलन के चलते सरकार की राजनीतिक छीछालेदर के चलते राजभवन व सरकार के बीच एक दीवार खींच गई है। उधर विद्यार्थी परिषद का विरोध चर्चा का विषय बना हुआ है।
शिक्षा में उच्च मानदंडों की बात करनेवाली भाजपा के राज में शिक्षण संस्थाओं में भ्रष्टाचार चरम पर हैं। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के साथ सत्ता में हिस्सेदार भाजपा इन कलंकों को धोने के लिए विद्यार्थी परिषद को सड़क पर उतार दी है। इस बीच बड़े पैमाने पर गड़बड़ी किये जाने के आरोपों के सामने आने के बाद 27 नवंबर दिन शनिवार को बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चैधरी ने राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चैहान से राजभवन जाकर मुलाकात की। उन्होंने आरोपियों पर समुचित कार्रवाई का उनसे अनुरोध किया, जिस पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की समुचित जांच का भरोसा दिलाया।
हालांकि शनिवार को राज्यपाल और शिक्षा मंत्री के बीच हुई मुलाकात को राजभवन सचिवालय ने शिष्टाचार मुलाकात बताया। प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि मुलाकात के दौरान राज्य में उच्च शिक्षा के विकास और उसमें गुणात्मक सुधार पर विशेष रूप से विचार-विमर्श किया गया। वहीं शिक्षा मंत्री विजय कुमार चैधरी ने बताया कि महामहिम से भेंट में उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गये पत्र की याद दिलायी, जिसमें गड़बड़ी करने वालों पर जांच कर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। विजय चैधरी ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को सरकार की चिंता ंसे अवगत कराया। सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों में स्वच्छ प्रशासनिक व्यवस्था चाहती है। जिनपर भी आरोप लगे हैं, उसकी गहराई से पड़ताल और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाए।
सड़क पर उतरे विद्यार्थी परिषद से सरकार की ही हो रही किरकिरी
आरएसएस के सैकड़ों संगठनों में से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को भी उनका एक प्रमुख अनुशांगिक संगठन कहा गया है। बिहार के विभिन्न विस्विद्यालयों में भ्रष्टाचार की आ रही खबरों के बाद से विपक्ष के संगठन से अधिक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ही सर्वाधिक मुखर है। हाल ही में संगठन इकाई पटना विश्वविद्यालय के द्वारा पटना कालेज, वाणिज्य महाविद्यालय, साइंस कालेज, बीएन कॉलेज, दरभंगा हाउस जैसे शैक्षणिक परिसरों में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा किए गए करोड़ों के घोटाले व शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाले मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ प्रदर्शन किया। पटना विश्वविद्यालय के विभिन्न शैक्षणिक परिसरों में छात्र-छात्राओं द्वारा नारेबाजी एवं विरोध प्रदर्शन करते हुए महाविद्यालय के मुख्य गेट पर कुलपति का पुतला दहन किया गया। इस पुतला दहन के माध्यम से अभाविप के प्रदेश सहमंत्री नीतीश पटेल ने कहा मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद के भ्रष्टाचार का मामला सर्वप्रथम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने ही उजागर किया था। अब उनके खिलाफ कार्रवाई तक संगठन चुप नहीं बैठेंगा।
एस एफ एस प्रमुख सुरजीत कुमार ने बोला कि घोटालों को सबसे पहले अभाविप ने ही प्रकाश में लाया था। पूर्व नगर अध्यक्ष प्रो सुबोध कुमार सुमन ने बताया कि अभाविप द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दायर पी आई एल के आलोक में उच्च न्यायालय के निर्देश पर निगरानी द्वारा की गई छापामारी में कुलपति के आवास से करोड़ों रुपए,विदेशी मुद्रा और जेवरातों की बरामदगी शिक्षा के पावन मंदिर को लूटने का स्पष्ट प्रमाण है। जिला संयोजक मुचकुन्द तिवारी ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि इतना कुछ हो जाने के बाबजूद अभी तक मगध विश्वविद्यालय के कुलपति को पद से नहीं हटाया जाना आश्चर्यजनक है।मगध विश्वविद्यालय के कुलपति सहित निगरानी द्वारा अनुसंधान के क्रम में नामित अन्य कर्मियों पदाधिकारियों को अविलंब बर्खास्त किया जाय।इनके पद पर बने रहने से साक्ष्यों से छेड़छाड़ की प्रबल संभावना है,जिससे आगे जांच की दिशा एवं दशा प्रभावित हो सकती है। शैक्षिक परिसर को कलंकित करने वाले इन लोगों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए। बिहार के कमोबेश हर विश्वविद्यालय में इस प्रकार की वित्तीय अराजकता एवं अनियमितता की आशंका को देखते हुए किसी निष्पक्ष एजेंसी को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा जाय।
यूपी में भी भर्ती में घोटालों को लेकर विद्यार्थी परिषद आंदोलन की राह पर
आरएसएस का छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यूपी में भी सड़क पर है। प्रयागराज में उच्च शिक्षा आयोग के सामने धरना देकर छात्रों ने आवाज बुलंद की। भाजपा सरकार में शिक्षा व रोजगार के सवाल को लेकर युवाओं में उत्पन्न आक्रोश का सामना विद्यार्थी परिषद को भी किसी न किसी रूप में करना पड़ रहा है। लेकिन कारण जो भी हो पर पहली बार अपने सरकार में विद्यार्थी परिषद को सड़क पर उतरना पड़ा है। अब यह लड़ाई उच्च शिक्षा आयोग के द्वारा आयोजित किए गए असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में अनियमितता को लेकर है। संगठन ने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग प्रयागराज के कार्यालय पर धरना देकर चेरमैन व सचिव पर हठधर्मिता का आरोप लगाया। संगठन के विभाग संयोजक शिवम तिवारी ने कहा कि पांच हजार से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा से वंचित रह गए। इसके लिए आयोग जिम्मेदार है। इस गलती के लिए आयोग के सचिव व चेयरमैन को माफी मांगनी चाहिए। साथ ही वंचित छात्रों की परीक्षा कराई जाए।
उल्लेखनीय हो की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में भी दो वर्ष पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में अनियमितता की बात सामने आई थी। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में इस भर्ती में चयन के लिए तय मानकों की अनदेखी करने के आरोप लगे थे। जिसको लेकर शिकायत राजभवन तक गई। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी ठोग पहल नहीं दिखा। हालांकि अनियमितता के आरोप विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद के एक सदस्य तक ने उठाई थी। इसके बाद भी जांच कर कार्रवाई करने के बजाए लिपापोती ही चलती रही। हालांकि इसमें एक मामला हाईकोर्ट में अभी विचाराधीन है। इस बीच उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग पर जब उंगली उठी है और आरोप लगाने वाले भी सरकार के छात्रसंगठन के पदाधिकारी हैं,तो देखना है कि सरकार व आयोग क्या कदम उठाता है।