Congress News : " कपिल सिब्बल कहां के नेता हैं मुझे पता नहीं" : अधीर रंजन चौधरी
Congress News : लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपने ही पार्टी के नेता कपिल सिब्बल पर हमला बोला है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि, कपिल सिब्बल कहां के नेता हैं मुझे पता नहीं। चौधरी ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तो सिब्बल जैसे नेताओं ने पहले काफी फायदा लिया। तब सब कुछ ठीक था जब वे कांग्रेस की यूपीए सरकार में मंत्री थे। अब जबकि यूपीए की सत्ता नहीं है तो उन्हें बुरा लग रहा है। पार्टी की हर चीज में खामी नजर आ रही है। अधीर रंजन चौधरी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि जी 23 ग्रुप के नेताओं को सत्ता से बाहर रहने की आदत नहीं है।
इसी कारण वे अपने बचाव के लिए पार्टी की बुराई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि सिब्बल जैसे नेताओं का कोई जनाधार है भी या नहीं। चौधरी के अनुसार कपिल सिब्बल जैसे नेताओं को ये साबित करना चाहिए कि वे पार्टी के बगैर अपने बलबूते पर कुछ कर भी सकते हैं कि नहीं। उन्हें अपनी विचारधारा के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए। केवल एयर कंडीशंड कमरों में बैठकर बयानबाजी करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। वहीं कांग्रेस नेता मल्ल्किार्जुन खड़गे ने भी मीडिया से बातचीत में कपिल सिब्बल पर हमला बोला है। खड़गे ने कहा है कि कपिल सिब्बल अच्छे अधिवक्ता हो सकते हैं पर वे अच्छे नेता को कतई नहीं हैं। वे जानबूझकर पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। पर वो ये समझ लें कि कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी को कमजोर नहीं किया जा सकता है।
हम आपको बता दें कि कपिल सिब्बल पर काग्रेसी नेताओं का गुस्सा ऐसे समय पर आया है जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की भदृ पिटने के बाद सिब्बल और अन्य कई कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व परिवर्तन पर एक बार फिर विचार करने की बात कही थी। विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी के वरीष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि पार्टी का ऐसा प्रदर्शन देखकर कलेजा फटा जा रहा है। जिस पार्टी के लिए अपनी जवानी दी है उसे इतनी दयनीय हालत में नहीं देख सकते हैं। मनीष तिवारी और शशि थरुर जैसे नेताओं ने भी पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे।
इस बीच कांग्रेस में चुनावी हार के बाद फिर वहीं हुआ है जो हमेशा होता आया है। पार्टी की ओर से आयोजित मंथन बैठक में सोनिया गांधी के इमोशनल कार्ड खेलने के बाद फिर नेताओं ने सोनिया गांधी और उनके उनके परिवार पर ही भरोसा जताया है। इस बीच हार का ठीकरा पांचों राज्यों जहां चुनाव हुए थे उनके प्रदेश अध्यक्षों पर फोड़कर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरह से इस्तीफा मांग लिया गया है।