Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Hysterectomy scam: सावधान! थोड़े से मुनाफे के लिए महिलाओं की कोख तबाह कर रहे हैं डॉक्टर, जानिए इसके दुष्प्रभाव

Janjwar Desk
1 Jun 2022 8:53 PM IST
Hysterectomy scam: सावधान! थोड़े से मुनाफे के लिए महिलाओं की कोख तबाह कर रहे हैं डॉक्टर, जानिए इसके दुष्प्रभाव
x
Hysterectomy scam: महाराष्ट्र का बीड़ जिला देश क्या दुनियाभर में मशहूर है। वजह यह नहीं कि जिले ने कोई अच्छा कारनामा किया है। वजह यह है कि जिले के कई गांवों में महिलाओं की कोख ही नहीं है।

Hysterectomy scam: महाराष्ट्र का बीड़ जिला देश क्या दुनियाभर में मशहूर है। वजह यह नहीं कि जिले ने कोई अच्छा कारनामा किया है। वजह यह है कि जिले के कई गांवों में महिलाओं की कोख ही नहीं है। वंजावाड़ा गांव में तो आधी महिलाओं की कोख निकाल ली गई है। अब देश के बाकी राज्यों में यह अमानवीय धंधा जोरों से फल-फूल रहा है, क्योंकि डॉक्टरों को कोख तबाह करने के एवज में अच्छा खासा पैसा मिलता है।

भारत में महिलाओं की संतान उत्पत्ति की क्षमता उनके लिए अभिषाप बनती जा रही है। देश की 6% महिलाओं ने अपना गर्भाशय ऑपरेशन के जरिए इसलिए निकाल दिया, क्योंकि प्राइवेट डॉक्टर ने ऐसा करने के लिए कहा था। इन महिलाओं की उम्र 30 से 45 साल के बीच है। अमूमन गर्भाशय को निकाले जाने की औसत उम्र 45 साल से ऊपर की होती हैं, जो महिलाओं की सामान्य रजोनिवृत्ति की आयु है। हिस्टरेक्टॉमी नाम का यह ऑपरेशन 45 की उम्र पार कर चुकी महिलाओं में इसलिए होता है, क्योंकि यह बेहद जटिल प्रक्रिया है और समय से पहले इस ऑपरेशन को करवाने से शरीर पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ते हैं।

क्यों बढ़ रहा है हिस्टरेक्टॉमी का ऑपरेशन

सामान्य प्रसूतिजन्य परेशानियों, जैसे पीठ में दर्द, सफेद पानी या ऐसी किसी समस्या को लेकर जब गांव की अल्प/अशिक्षित गरीब परिवारों की महिलाएं किसी निजी डॉक्टर के पास जाती हैं तो उन्हें गर्भाशय निकाल देने की सलाह मिलती है। हालांकि, महिलाओं की समस्या का गर्भाशय से कोई संबंध नहीं है। फिर भी डॉक्टरों की पहली सलाह यही होती है। मजदूरी करने वाली महिलाओं को अमूमन पीठ दर्द और संक्रमण की शिकायत होती है, क्योंकि वे अपनी क्षमता से अधिक श्रम करती हैं। उन्हें पीने को साफ पानी नहीं मिलता और कार्यस्थल पर शौचालय की सुविधा न होने से वे पानी भी कम पीती हैं। डॉक्टर उन्हें अंडाशय का कैंसर होने का डर दिखाकर गर्भाशय के साथ अंडाशय भी निकलवाने की सलाह देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति 1000 में से 17 महिलाएं गलतफहमी में हिस्टरेक्टॉमी का ऑपरेशन करवा लेती हैं। यह संख्या अमेरिका में सालाना होने वाले ऐसे ऑपरेशनों के मुकाबले दोगुनी है। एक और समस्या, जिससे डरकर महिलाएं कम उम्र में ही हिस्टरेक्टॉमी का ऑपरेशन करवा लेती हैं, वह माहवारी के दिनों में अत्यधिक रक्तस्राव है।

ये हैं बेवजह की हिस्टरेक्टॉमी के दुष्प्रभाव

डॉक्टर की गलत सलाह पर हिस्टरेक्टॉमी करवाने के गंभीर नतीजे भुगतने पड़ते हैं। पेशाब में जलन, त्वचा का सूखना, पीठ और मांसपेशियों का दर्द, थकान और काम करने की ताकत का घट जाना ही नहीं, उम्रदराज महिलाओं में दिल की बीमारियों का कारण भी अक्सर यह ऑपरेशन रहा है। भारत के उत्तरपूर्व के राज्यों में हिस्टरेक्टॉमी के बेजा ऑपरेशन के मामले कम देखने को मिले हैं, क्योंकि वहां की महिलाएं न केल अपेक्षाकृत ज्यादा शिक्षित हैं, बल्कि वे निजी के बजाय सरकारी अस्पताओं पर ज्यादा आश्रित भी हैं। कर्नाटक में हुए एक शोध में पाया गया है कि कई बार हिस्टरेक्टॉमी के ऑपरेशन में महिलाओं की मौत भी हो जाती है।

मिल रहा है इन योजनाओं का लाभ

सरकार की कई स्वास्थ्य योजनाओं में डॉक्टरों को हिस्टरेक्टॉमी का ऑपरेशन करवाने पर प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। 2012-13 के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में हिस्टरेक्टॉमी के ऑपरेशन पर प्रोत्साहन राशि 37-50% तक पाई गई है। यह डॉक्टरों का मुनाफा है, जिसे वे मामूली परेशानियों के लिए हिस्टरेक्टॉमी का ऑपरेशन करवाने की सलाह देकर भुना रहे हैं। महाराष्ट्र के बीड़ में गन्ने के खेतों पर काम करने वाली प्रवासी मजदूर महिलाओं का गर्भाशय केवल इसलिए निकलवा दिया गया था, ताकि उन्हें प्रसूति अवकाश न दिया जा सके। भारत में हिस्टरेक्टॉमी करवाने वाली महिलाओं की औसत आयु पाई गई है। यह वह उम्र है, जब महिलाओं की शादी के बाद एक-दो बच्चे हो जाते हैं। इसके बाद परिवार उनकी हिस्टरेक्टॉमी करवाने की मंजूरी यह सोचकर दे देता है कि अब आगे महिला को प्रजनन की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन, इस मानसिकता का खामियाजा महिलाओं को ताउम्र भुगतना पड़ता है।

Next Story

विविध