अवमानना मामले में कुणाल कामरा ने कोर्ट में पेश किया हलफनामा, माफी मांगने से किया इनकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से जुड़े एक मामले का सामना कर रहे स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सर्वोच्च अदालत में कहा है कि देश के शीर्ष न्यायालय में आम जनता का भरोसा कम करने की मंशा से मैंने ट्वीट्स नहीं किए थे।
कोर्ट में पेश किए अपने हलफनामे में कामरा ने कहा कि यह मानना कि लोकतंत्र में सत्ता की कोई भी संस्था आलोचनाओं से परे है तो यह कहना ठीक वैसे ही है जैसे कोई यह कहे कि गैर नियोजित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी अपने-अपने घरों को लौटने का प्रबंध स्वयं करें..यह तर्कहीन और अलोकतांत्रिक है।
गौरतलब है कि कुणाल कामरा सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित अभद्र एवं अपमानजनक ट्वीट करने के कारण अदालत की अवमानना का सामना कर रहे हैं। अपने हलफनामे में कामरा ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास संस्था की अपनी क्रियाओं के कारण होता है, न कि इसके बारे में किसी आलोचना अथवा टिप्पणी से।
उन्होंने कहा कि ऐसा मानना कि मेरे ट्वीट्स से दुनिया के सबसे शक्तिशाली कोर्ट की नींव हिल जाएगी, इतनी मेरी क्षमता नहीं है। जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट लोगों के भरोसे का सम्मान करती है, वैसे ही उसे इस बात पर भी यकीन करना चाहिए ताकि ट्विटर पर कुछ जोक्स के आधार कोर्ट कोई राय कायम न करे। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे संवैधानिक अदालतों के जज देश के सबसे शक्तिशाली लोगों में शुमार होते हैं।
कामरा ने अपने हलफनामे में कहा, न्यायपालिका में जनता का विश्वास संस्था की अपनी क्रियाओं के कारण होता है, न कि इसके बारे में किसी आलोचना अथवा टिप्पणी से।