IAS ने तोड़ा अपनी शादी में कन्यादान का अंधविश्वास, कहा मैं आपकी बेटी हूं, दान की चीज नहीं
'आपकी बेटी हूं, दान की चीज नहीं' कन्यादान की रस्म के बिना महिला IAS ने की शादी
Madya Pradesh News: शादियों के सीजन के बीच मध्य प्रदेश की एक महिला आईएएस (Indian Administrative Service) अफसर और आईएफएस (IFS) अधिकारी की शादी चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, साल 2018 बैच की UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया 23वीं रैंक लाने वाली आईएएस ऑफिसर तपस्या परिहार (Tapasya Parihar) ने रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़कर आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार(Garvit Gangwar) से शादी की है। आईएएस तपस्या ने अपनी शादी में कन्यादान की रस्म कराने से इनकार कर दिया है। हिन्दू रीति-रिवाजों और संस्कृति के खिलाफ जाकर तपस्या ने अपने पिता से कहा है कि , 'पापा, मैं दान की चीज नहीं हूं, आपकी बेटी हूं, कोई दान करने की चीज नहीं हूं। इसलिए आप मेरा कन्यादान नहीं करेंगे।' सोशल मीडिया पर आईएएस तपस्या के इस निर्णय की खूब तारीफ हो रही है।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नरसिंहपुर जिले में जन्मी IAS तपस्या परिहार ने कन्यादान जैसी रुढ़िवादी परंपरा को तोड़ दिया। उन्होंने अपनी शादी में पिता से कन्यादान (Kanyadaan) नहीं कराया। उनके इस कदम में परिवारवालों ने भी साथ दिया। अब उनकी शादी की चर्चा हर तरफ हो रही है। तपस्या नरसिंहपुर के करेली के पास छोटे से गांव जोबा की रहने वाली हैं। वे 2018 बैच की आईएएस हैं। उनके पति गर्वित आईएफएस (Indian Forest Service) अफसर हैं। तपस्या (Tapasya Parihar) और गर्वित (Garvit Gangwar) ने इसी साल जुलाई में कोर्ट मैरिज की थी।
पारंपरिक तरीके से उन्होंने दूबारा शादी की है। 12 दिसंबर को IFS गर्वित गंगवार के साथ तपस्या परिहार ने पूरे रिवाजों के साथ पचमढ़ी में शादी की। इस मौके पर तपस्या ने कहा, 'बचपन से ही मेरे मन में समाज की इस विचारधारा को लेकर प्रश्न था कैसे कोई मेरा कन्यादान कर सकता है, वह भी मेरी बिना इच्छा के। यही बात धीरे-धीरे मैंने अपने परिवार से चर्चा की. इस बात को लेकर परिवार भी मान गए और वर पक्ष भी इस बात के लिए राजी हो गए कि बगैर कन्यादान किए भी शादी की जा सकती है।
कन्यादान न कराने को लेकर IAS तपस्या ने कहा कि जब दो परिवार आपस में मिलकर विवाह करते हैं तो फिर बड़ा-छोटा या ऊंचा-नीचा होना ठीक नहीं है। क्यों किसी का दान किया जाए? जब मैं शादी के लिए तैयार हुई तो मैंने भी परिवार के लोगों से चर्चा कर कन्यादान की रस्म को शादी से दूर रखा। ओशो के भक्त तपस्या के पिता विश्वास परिहार कहते हैं कि बेटे और बेटी में कोई अंतर नहीं है बेटियों को दान करके उनके हक और सम्पत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है।
विवाह के बाद अन्य रस्मों को लेकर तपस्या कहती हैं कि शादी के बाद पत्नी को मंगल सूत्र पहनाना पड़ता है। मांग में सिंदूर भी भरनी पड़ती है। सिर्फ इसलिए क्योंकि पति की आयु बढ़े, सरनेम भी बदलना पड़ता है। शादी के बाद सिर्फ एक व्यक्ति के लिए दूसरा ही त्याग करता रहे। मुझे ये चीजें शुरू से पसंद नहीं रहीं।