... तो महाराष्ट्र में हिंसा के लिए रजा अकादमी है जिम्मेदार, अगर नहीं, नीतेश राणे ने क्यों दी खत्म करने की धमकी
Maharashtra Violence : त्रिपुरा हिंसा ( Tripura Violence ) के बाद महाराष्ट्र के नांदेड़, अमरावती और मालेगांव सहित 6 शहरों में हुई हिंसा ( Maharashtra Violance ) के बाद अब वहां पर सियासी तवा पूरी तरह से गरम हो चुका है। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच विवादित संगठन रजा अकादमी ( Raza Academy ) एक बार फिर से चर्चा में हैं। रजा अकादमी पर इस बात को लेकर अंगुली उठाए जा रहे हैं कि कहीं आजाद मैदान की तरह कई शहरों में हिंसक घटनाओं के पीछे भी उसी का हाथ तो नहीं। हालांकि, अभी तक इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ( Nitish Rane ) के बेटे और बीजेपी विधायक नीतेश राणे के बयान ने इस मुद्दे को तूल दे दिया है।
आजाद मैदान हिंसा में सामने आया था रजा अकादमी का नाम
हाल ही में मुंबई के आजाद मैदान में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी असम में हुई हिंसा और म्यांमार में रोहिंग्या के साथ हिंसा को लेकर विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर आगजनी की गई थी। अमर जवान की मूर्ति को तोड़ा गया था। पुलिस वालों के साथ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। घटना में 2 लोगों की मौत हुई थी जबकि 50 से ज्यादा पुलिस के जवान घायल हो गए थे। मुंबई पुलिस का अनुमान है इस घटना में ढाई करोड़ से ज्यादा की प्राइवेट और सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था।
नीतीश राणे ने क्या कहा?
भारतीय जनता पार्टी के विधायक नीतेश राणे ( Nitesh Rane ) ने रजा अकादमी को त्रिपुरा हिंसा की आड़ में महाराष्ट्र में हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के नांदेड शहर में कल हुई हिंसा के पीछे रजा अकादमी का हाथ है। बीजेपी विधायक ने रजा अकादमी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार रजा अकादमी पर कार्रवाई नहीं करती है तो महाराष्ट्र के हित में हमें उन्हें खत्म करना पड़ेगा।
नांदेड में सुधरे हालात
हालांकि, महाराष्ट्र के नांदेड शहर मे शुक्रवार और शनिवार को हुई हिंसा के बाद अब स्थिति शांतिपूर्ण है। पुलिस ने कुछ जगह पर अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है। शनिवार की हिंसा में कुछ गाड़ियों में तोडफोड हुई थी। भीड़ द्वारा पत्थराव में 2 पुलिस अधिकारी भी घायल हुए थे। नांदेड शहर के इतवारा थाना पुलिस द्वारा मामले की जांच शुरू कर दी गई है। अभी तक मामले मे कोई गिरफ्तारी नहीं की है।
फौरी जांच की जरूरत
अगर नीतीश राणे की बातों का आधार यह है कि मुम्बई के भिंडीबाजार, नागपाड़ा,पायधुनी, डोंगरी सहित ठाणे के मुंब्रा,कौसा,कोपरी इलाको में भी रज़ा अकादमी के आह्वान पर बंद का असर रहा, तो इस मामले की फौरी जांच की जरूरत है। ऐसा इसलिए कि बंद के आह्वान का सबसे ज्यादा हिंसक असर नांदेड़ शहर के सदर इलाके और मालेगांव और वाशिम में देखने को मिला। अमरावती में चार दिनों के लिए कफ्र्यू लागू है। तीन दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी गई हैं। महाराष्ट्र के छह जिले में हिंसक घटनाएं हुई हैं। इन दो शहरों में 1 दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए जिसमें 4 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इसके अलावा, दुकानों को बंद करवाते समय तोड़फोड़ और लूटपाट एवं आगजनी की घटनाएं भी हुई हैं। अभी तक हिंसक घटनाओं के मामले में 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है और 20 ही एपफआईआर दर्ज हुए हैं। महाराष्ट्र पुलिस को अलर्ट मोड में रहने को कहा गया है
कुल 6 जिलों में हुई हिंसक घटनाएं
त्रिपुरा हिंसा के विरोध में शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद दोपहर से देर शाम तक राज्य के 6 जिलो में और खासकर शहर के सदर भाग में एक विशेष समुदाय के इलाको में हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई थी। इन 6 जिलो में प्रमुख रूप से मराठवाड़ा रीजन का नांदेड़ जिला, उत्तर महाराष्ट्र रीजन के नासिक जिले का ग्रामीण भाग का मालेगांव शहर, विदर्भ रीजन के 2 जिले वाशिम और अमरावती और मराठवाड़ा के ही बीड और परभणी में शहर बंद करवाने के दौरान हिसंक घटनाएं हुईं।
ये है रजा अकादमी का इतिहास
रजा अकादमी की स्थापना 1978 में अलहज मोहम्मद सईद नूरी ने की थी। नूरी 1986 से रजा अकादमी के अध्यक्ष रहे। इसकी रजा अकादमी की स्थापना सुन्नी विद्वानों की विशेष रूप से इमाम-ए-अहमद रजा खान कादरी और अन्य की पुस्तकों को प्रकाशित करने के लिए की गई थी। उर्दू, अरबी, हिंदी और अंग्रेजी में विभिन्न इस्लामी विषयों की कई सौ किताबें रजा अकादमी ने प्रकाशित की हैं।
रजा अकादमी का नाम बरेली से आने वाले धार्मिक गुरु इमाम अहमद रजा खान के नाम पर रखा गया। रजा अकादमी मुस्लिम धर्म से जुड़ी किताबों को छापने और लोगों तक पहुंचाने का काम करती है। संस्था का असली मकसद मुस्लिम धर्म की किताबों का पब्लिकेशन करना, धर्मिक किताबों को पूरी दुनिया के लोगों तक पहुंचाना, मदरसे और दीन से जुड़ी किताबों का ट्रांसलेशन करना था। जब रजा अकादमी को बनाया गया तब ये एक एजुकेशन सोसाइटी थी। इसका रजिस्ट्रेशन भी रजा वेलफेयर सोसायटी के नाम से हुआ था। धीरे-धीरे ये एक सोशल आर्गेनाइजेशन बन गई। मुस्लिम समाज से जुड़े हर मुद्दे पर अपनी राय रखने लगी। ये मुस्लिम लोगों को उस मुद्दे पर एकजुट करने का काम करने लगी। रजा अकादमी का नाम चर्चा में तब आया जब मुंबई के आजाद मैदान मे दंगे हुए।