Monkeypox Guidelines: मंकीपॉक्स को लेकर क्या है WHO और केंद्र की गाइडलाइंस? जानिए होमोसेक्सुअल पुरुषों में फैलने की संभावना क्यों है ज्यादा?
Monkeypox Guidelines: मंकीपॉक्स को लेकर क्या है WHO और केंद्र की गाइडलाइंस, जानिए होमोसेक्सुअल पुरुषों में फैलने की संभावना क्यों है ज्यादा?
Monkeypox Guidelines Latest Upddates: कोरोना के कहर के बाद पूरी दुनिया में इस समय मंकीपॉक्स बहुत तेजी से फैल रहा है। अब तक लगभग दुनिया के 78 देशों में 18 हजार से भी ज्यादा मंकीपॉक्स के केस सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस केरल में मिला था, इसके बाद बिहार, दिल्ली और गाजियाबाद में भी मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। तब से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए नोडल हॉस्पिटल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल (LNJPS)में मंकीपॉक्स का नोडल हॉस्पिटल बनकर तैयार हो चुका है। मंकीपॉक्स से बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन गाइडलाइंस जारी कर चुके हैं।
क्या है स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस
- मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को 21 दिन तक क्वॉरेंटाइन रहना होगा।
- 3 लेयर वाला मास्क पहने और कुछ समय अंतराल पर हाथों को धोते और सैनिटाइज करते रहें।
- घाव को ढक कर रखें और पूरी तरह से ठीक होने पर ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज लें।
- हॉस्पिटल में संक्रमित या संदिग्ध रोगी के डायरेक्ट संपर्क में अगर गलती से भी कोई स्वास्थ्य कर्मी आ जाता है, तो उस पर 21 दिन तक कड़ी निगरानी रखनी होगी और जब तक उसमें कोई लक्षण दिखाई ना दे तब तक उसे ड्यूटी से हटाया या बाहर नहीं किया जा सकता।
- मंकीपॉक्स का संक्रमण मरीज के छुए हुए कपड़े, बिस्तर, बर्तन इत्यादि के डायरेक्ट संपर्क में आने से फैल सकता है।
- मंकीपॉक्स के मरीज को दूसरों से आइसोलेट रखें।
- मरीज या संक्रमित जानवर के संपर्क में आने पर अच्छे से हाथ धोऐं।
- मरीज का उपचार करते समय केंद्र द्वारा इस गाइडलाइंस के साथ ही केंद्र द्वारा सभी राज्य सरकारों को अलर्ट जारी कर दिया गया है।
मंकीपॉक्स के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की गाइडलाइंस: करें पार्टनर्स की संख्या कम
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इसे ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदानोस गेब्रेयेसेस ने कहा है कि, मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीजों में से 98% मामले गे (GAY) और बाइसेक्सुअल के हैं। और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में पाए गए हैं। टेड्रोस ने गे और बाइसेक्सुअल पुरुषों को सुरक्षित विकल्प अपनाने और अपने सेक्सुअल पार्टनर की संख्या को कम करने की सलाह दी है। इसके साथ ही उन्होंने मंकीपॉक्स के मरीज को आइसोलेट रहने, फिजिकल कांटेक्ट ना करने और नए सेक्सुअल पार्टनर ना बनाने की सलाह दी है। और अनजान लोगों को अपने सेक्स ग्रुप में शामिल ना करने की सलाह भी दी है। WHO के अनुसार मरीज के साथ स्किन टू स्किन कांटेक्ट से बचना चाहिए। गर्भवती महिला और बच्चों के जल्दी संक्रमित होने को लेकर भी डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है।
क्या कंडोम के इस्तेमाल से मंकीपॉक्स का खतरा कम हो सकता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार एंडी सील ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि मंकीपॉक्स सेक्स से फैलता है। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह यौन संचारित संक्रमण है या नहीं? यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या कंडोम का इस्तेमाल मंकीपॉक्स के संक्रमण को कम या रोक सकता है या नहीं? क्योंकि मंकीपॉक्स हरपीज की तरह ही करीबी शारीरिक संपर्क से फैलता है। वैज्ञानिक परीक्षण में मंकीपॉक्स के मरीजों के सीमेंन के सैंपल में मंकीपॉक्स का डीएनए पाया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मंकीपॉक्स एक्सपर्ट रोसमंड लुइस के अनुसार संक्रमितों में 99% मामले पुरुषों के होते हैं और उनमें से 95% ऐसे पुरुष शामिल है जो पुरुषों से ही यौन संबंध रखते हैं। अनजान व्यक्तियों के साथ सेक्स करने से बनने वाला नेटवर्क इस बीमारी के संक्रमण को और फैलाने का काम करता है। मंकीपॉक्स के 95% मामले सेक्सुअल एक्टिविटी से फैलते हैं सेक्स के दौरान होने वाली इंटिमेसी शारीरिक नजदीकी और बॉडी फ्लुएड का आदान-प्रदान मंकीपॉक्स के संक्रमण के फैलने का मुख्य कारण है। इसके साथ ही साथ मंकीपॉक्स के मरीज को गले लगाना किस करना उसका तौलिया, बिस्तर इत्यादि शेयर करने से भी संक्रमण फैलता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स वायरस से फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह जानवरों द्वारा इंसानों में और इंसानों से इंसानों में फैलता है। इसके लक्षण चेचक की तरह ही है, लेकिन यह चेचक से कम गंभीर है। इसमें बुखार,सर दर्द, तीन सप्ताह तक गले में खराश और अंगों में सूजन आ जाती है। घाव में खुजली और दर्द भी होता है। चूहे, गिलहरी और बंदरों से इसके फैलने का अधिक खतरा होता है। यह एक जूनोटिक संक्रामक रोग है।
केंद्र सरकार ने दिए वैक्सीन और टेस्टिंग किट बनाने के निर्देश
केंद्र सरकार ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को डायग्नोस्टिक किट और वैक्सीन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। ICMR ने टेंडर नोटिस देने के साथ ही इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं।