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Kisan Andolan Ke Ek Sal: पंजाब कैसे बना किसान आंदोलन का गढ़, इन नेताओं ने निभाई अहम भूमिका, पढ़ें डिटेल

Janjwar Desk
26 Nov 2021 7:42 AM GMT
Kisan Andolan Ke Ek Sal: पंजाब कैसे बना किसान आंदोलन का गढ़, इन नेताओं ने निभाई अहम भूमिका, पढ़ें डिटेल
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(पंजाब ने रखी क्रांतिकारी किसान आंदोलन की नींव)

Kisan Andolan Ke Ek Sal: किसानों के इस क्रांतिकारी आंदोलन में पंजाब की अहम भूमिका रही। पंजाब का कोई भी जिला इस आंदोलन से अछूता नहीं रहा। खेतों से निकलकर पंजाब के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे...

Kisan Andolan Ke Ek Sal: तीन कृषि कानूनों (Agriculture Bills) के खिलाफ किसान आंदोलन को 26 नवंबर शुक्रवार को एक साल पूरे हो गए हैं। एक साल से चल रहे इस आंदोलन (Kisan Andolan ko ek sal pure) के दौरान देशभर के किसानों ने इसमें भाग लिया और केंद्र सरकार को अपना फैसला बदलने को मजबूर कर दिया। मगर, किसानों के इस क्रांतिकारी आंदोलन में पंजाब की अहम भूमिका रही। पंजाब का कोई भी जिला इस आंदोलन से अछूता नहीं रहा। खेतों से निकलकर पंजाब के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे। ट्रैक्टर और त्रिपाल पर उन्होंने अपनी रातें गुजारी। तेज बारिश और चिलचिलाती धूप के बावजूद पंजाब के किसान अपने मोर्चे से नहीं हटे।

पंजाब ने किसान आंदोलन की रखी नींव

पिछले साल 5 जून 2020 को केंद्र सरकार ने तीन आर्डिनेंस संसद में पेश किए। संसद में कृषि बिल पेश करने के पहले दिन ही कांग्रेस के तत्कालीन पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Punjab Congress) ने फतेहगढ़ साहिब में विधायकों के साथ बैठक कर इसका विरोध किया। फिर 12 जून 2020 को कृषि बिल (Agriculture Farm Bill) के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन उगराहां (Bhartiya Kisan Union) ने बरनाला के बडबर टोल प्लाजा पर धरना दिया। धीरे-धीरे यह आंदोलन पंजाब के अन्य जिलों में फैलना शुरू हो गया। पंजाब से उठे विरोध के स्वर को सरकार ने दबाने की तमाम कोशिशें की लेकिन यह आंदोलन पंजाब के छोटे-छोटे गांव और फिर जिलों तक जा पहुंचा।

अक्टूबर 2020 में पंजाब के तत्कालिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) ने पंजाब विधानसभा में तीनों कृषि कानूनों (Three Agriculture Bill) के खिलाफ संशोधित बिल पेश किए। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 21 नवंबर 2020 को पंजाब भवन में किसान संगठनों की बैठक बुलाई। 25 नवंबर को पंजाब के किसानों ने दिल्ली चलों का आवाह्न कर दिया। तीन अलग-अलग रास्तों से पंजाब के किसानों ने दिल्ली की ओर कूच कर दिया। पंजाब के अंबाला, करनाल, खन्नौरी आदि में किसानों के साथ पुलिस की बरदस्त झड़प हुई। 26 नवंबर की शाम तक पंजाब के किसान संगठन दिल्ली के सिंघू (Singhu Border) और टिकरी बार्डर (Tikri Border) पर पहुंच गए। किसानों ने सीमा पर अनिश्चितकाल तक धरना पर बैठने का ऐलान कर दिया। पंजाब से उठी आंदोलन की चिराग यूपी, हरियाणा और फिर पूरे देश में फैल गई।

किसान आंदोलन में पंजाब के प्रमुख किसान नेता

केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में यूपी, हरियाणा के अलावा पंजाब के 32 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। पंजाब के प्रमुख किसान नेता इस एतिहासिक आंदोलन के खास चेहरे बने और अग्रिम मोर्चे पर जिम्मेदारी संभाली। आईए जानते हैं किसान आंदोलन में पंजाब के उन किसान नेताओं के बारे में जिन्होंने अपने मजबूत इरादों से मोदी सरकार को तीन कृषि कानून बिल वापस लेने पर मजबूर कर दिया।

1. जोगिंदर सिंह उगराहां

जोगिंदर सिंह उगराहां (Joginder Singh Ugrahan) भारत में किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। जोगिंदर पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम शहर के रहने वाले हैं। उनका जन्म और पालन-पोषण एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। भारतीय सेना से काम कर चुके जोगिंदर रिटायर होने के बाद खेती किसानी की ओर रुख किया। बहुत जल्द वे किसानों की समस्याओं औऱ उनके हितों की लड़ाई में सक्रिय हो गए। साल 2002 में जिगंदर सिंग ने भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) का गठन किया और तब से वो लगातार किसानों के मुद्दों पर काम कर रहे हैं। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां एक प्रभावी वक्ता हैं और यही कारण है कि किसान आंदोलन जैसे संघर्षपूर्ण कार्य के लिए वे किसानों को जुटाने में सफल रहे। किसानों के बीच जोगिंदर सिंग खासे लोकप्रिय नेता हैं। उनका संगठन पंजाब का एक प्रमुख किसान संगठन है। पंजाब का मालवा क्षेत्र इस संगठन का गढ़ माना जाता है।

2. सरवन सिंह पंधेर

किसान आंदोलन के दौरन सरवन सिंह पंधेर (Sarwan Singh Pandher) का नाम पंजाब में युवा किसान नेता के रुप में उभरा। सरवन सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर जिले के पंधेर गांव में हुआ। उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है और छात्र जीवन से ही वे आंदोलनों में शामिल रहे हैं। करीब 43 साल के सरवन सिंह पंधेर ने अपना पूरा जीवन सार्वजनिक हित के लिए समर्पित कर दिया है उन्होंने शादी नहीं की।

वो किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव भी हैं। इस संगठन का गठन 2000 में सतनाम सिंह पन्नू ने किया था। सरवन सिंह पंधेर वर्तमान किसान आंदोलन में बड़ी भूमिका में नज़र आए हैं। सरवन सिंह पंधेर की किसान आंदोलन के दौरान बढ़ती लोकप्रियता के कारण उन्हें भविष्य के लिए बड़े आंदोलनकारी नेता के रूप में देखा जा रहा है।

3. डॉक्टर दर्शनपाल सिंह

डॉक्टर दर्शनपाल सिंह ( Dr Darshanpal Singh) क्रांतिकारी किसान यूनियन के बड़े नेता हैं। इनका मुख्य आधार पटियाला और आसपास के इलाकों में है। हालांकि, यह संगठन संख्याबल के मामले में छोटा है लेकिन डॉक्टर दर्शन पाल वर्तमान में 30 किसान संगठनों के समन्वयक हैं। यही कारण है कि वो एक बड़े नेता के रूप में सामने आए हैं। 1973 में एमबीबीएस (MBBS) और एमडी (MD) करने के बाद वो सरकारी सेवा में रहे। दर्शन पाल सिंह अपने छात्र जीवन और नौकरी के दौरान छात्र संघ और डॉक्टरों के संगठन में हमेशा सक्रिय रहे हैं।

4. जगमोहन सिंह

किसान नेता जगमोहन सिंह (Jagmohan Singh) पंजाब के फिरोजपुर जिले के करमा गांव से हैं। वह भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के नेता हैं। उगराहां संगठन के बाद भारतीय किसान यूनियन डकौंदा को किसानों का दूसरा सबसे बड़ा संगठन माना जाता है। पंजाब के सबसे सम्मानित किसान नेताओं में से जगमोहन सिंह की गिनती होती है। साल 1984 के सिख विरोधी नरसंहार के बाद जहमोहन सिंग पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता बन गए। पंजाब के विभिन्न प्रदर्शनों में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई है। किसान के संघर्ष के प्रति उनकी ईमानदारी के कारण उन्हें अन्य संगठनों में भी सम्मान मिलता है। वर्तमान में वह आंदोलन के खिलाफ 30 किसान संगठनों के गठबंधन में भी अग्रणी उत्तर दायित्व निभा रहे हैं।

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